बाड़मेर में नसबंदी फेल होने के मामले में बाड़मेर जिला अपर एवं सत्र न्यायालय ने बड़ा कदम उठाते हुए गुरुवार को मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) की गाड़ी कुर्क कर ली। यह कार्रवाई कोर्ट के 2016 के आदेश की पालना में की गई है, क्योंकि जुर्माना राशि ब्याज सहित अब तक जमा नहीं की गई थी।
दरअसल, 16 फरवरी 2003 को भाडखा स्वास्थ्य केंद्र में एक महिला ने नसबंदी ऑपरेशन करवाया था। महिला पहले से चार बच्चों की मां थी, लेकिन ऑपरेशन फेल होने के कारण उसे पांचवीं संतान को भी जन्म देना पड़ा। आर्थिक रूप से कमजोर होने के चलते महिला पर बच्चों का पालन-पोषण भारी पड़ गया।
इस मामले में पीड़िता ने 17 दिसंबर 2009 को कोर्ट में परिवाद पेश किया। सुनवाई के बाद 15 मार्च 2016 को कोर्ट ने महिला को 2 लाख रुपये हर्जाना, खर्च सहित ब्याज के साथ देने का आदेश दिया था। आदेश के मुताबिक पीड़िता को दावा दायर करने से पहले 9% वार्षिक और वसूली तक 6% वार्षिक ब्याज देने का प्रावधान किया गया।
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लंबे समय तक आदेश का पालन न होने पर कोर्ट ने अंतिम कार्रवाई के रूप में सीएमएचओ की गाड़ी कुर्क करने का आदेश दिया। आदेश एक सप्ताह पहले जारी हुआ था, जिसके बाद गुरुवार को कोर्ट स्टाफ और सहायक नाजिर ने स्वास्थ्य विभाग कार्यालय से गाड़ी कुर्क की। पीड़िता के अधिवक्ता अमृत जैन ने बताया कि 2009 में परिवाद दर्ज हुआ और 2016 में फैसला आया, लेकिन 2025 तक भी हर्जाना राशि नहीं दी गई। अब कोर्ट की सख्ती से पीड़िता को न्याय मिलने का रास्ता साफ हुआ है।