जैन धर्म के तेरापंथ संप्रदाय से जुड़े,बाड़मेर निवासी वकील मीठालाल कंकुचौपड़ा (84) ने संथारापूर्वक देह त्याग कर मोक्ष प्राप्त किया। शुक्रवार को शाम उन्होंने चौविहार संथारा के साथ अपनी अंतिम सांस ली। यह बाड़मेर के इतिहास में पहली बार है, जब किसी तेरापंथी श्रावक ने इस कठिन साधना को पूर्ण कर देवलोक गमन किया है, जिससे पूरे शहर और जैन समाज में गौरव और शोक की मिली-जुली भावना है।
यह संथारा दृढ़ मनोबल का प्रतीक
मीठालाल चौपड़ा जिन्हें प्यार से वकील साहब कहा जाता था, ने जीवन के अंतिम पड़ाव में आध्यात्म की राह चुनी। उन्होंने सोमवार को ही अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति से चो विहार संथारा के प्रत्याख्यान (संकल्प) ले लिए थे। बाद में आचार्य श्री महाश्रमण की आज्ञा से, मुनि यशवंत कुमार और मुनि मोक्ष कुमार ने बुधवार को उन्हें आधिकारिक रूप से विहार संथारा का प्रत्याख्यान दिलवाया। मुनि यशवंत कुमार ने बताया कि यह संथारा दृढ़ मनोबल का प्रतीक है और मीठालाल चौपड़ा ने अपनी साधना से यह साबित कर दिया कि एक आम श्रावक भी इतनी बड़ी तपस्या कर सकता है।
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रीति-रिवाजों के अनुसार उनका अग्नि संस्कार किया
मीठालाल चौपड़ा की वैकुंठी यात्रा शनिवार को उनके निवास स्थान भगतों की गली, स्टेशन रोड, बाड़मेर से प्रारंभ हुई। इस यात्रा में सिर्फ उनके परिजन ही नहीं, बल्कि तेरापंथ सभा, महिला मंडल, कन्या मंडल, स्थानकवासी समाज, मूर्ति पूजक समाज, और अन्य जैन समाजों के सदस्यों सहित बड़ी संख्या में नगरवासी शामिल हुए। पूरे रास्ते भगवान महावीर और भिक्षु स्वामी के नारे गूंज रहे थे और धार्मिक गीत गाए जा रहे थे, जिससे पूरा माहौल आध्यात्मिक और भावुक हो गया। जगह-जगह लोगों ने वैकुंठी यात्रा का दर्शन कर उन्हें अपनी अंतिम श्रद्धांजलि दी। यात्रा गांधी चौक, ढाणी बाजार, और पीपली चौक होते हुए मोक्षधाम पहुंची, जहाँ उनके पुत्र दिनेश चौपड़ा और परिवार के अन्य सदस्यों ने रीति-रिवाजों के अनुसार उनका अग्नि संस्कार किया।
बाड़मेर में 84 वर्षीय बुजुर्ग वकील ने लिया संथारा- फोटो : credit