राजस्थान की राजधानी जयपुर में रहने वाली 71 वर्षीय विधवा जनक देवी शर्मा ने अपनी पैतृक कृषि भूमि को फर्जी दस्तावेजों के जरिए हड़पने का गंभीर आरोप लगाते हुए न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। जनक देवी, ग्राम कानोता (तहसील बस्सी) निवासी हैं और स्वर्गीय मूलचंद शर्मा की पुत्री तथा स्वर्गीय कैलाशचंद शर्मा की पत्नी हैं। जनक देवी के अनुसार, उनके पिता मूलचंद शर्मा के नाम ग्राम कानोता में खाता संख्या नया 475 (पुराना 299) में महत्वपूर्ण कृषि भूमि दर्ज थी। इसमें शामिल थे, खसरा नंबर 406 (0.4299 हे.), खसरा नंबर 586 (0.6070 हे.), खसरा नंबर 681 (1.9726 हे.)।
मिलीभगत से तैयार हुए फर्जी दस्तावेज
जनक देवी ने बताया कि पिता के निधन के बाद 1998 में प्रेमचंद पुत्र रामलाल, शुभम पुत्र विमलेश (शुभम के दादा: नाथूलाल), राधेश्याम पुत्र रामलाल, तत्कालीन नायब तहसीलदार, पटवारी हल्का कानोता और सरपंच ने मिलकर कूटरचित दस्तावेज तैयार किए। इन दस्तावेजों में उनके पिता को निःसंतान दिखाते हुए पूरी भूमि पर अवैध रूप से कब्जा कर लिया गया, जबकि वे उनकी जीवित और वैध उत्तराधिकारी थीं।
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वर्षों से संघर्ष, शिकायतों पर नहीं हुई कार्रवाई
उन्होंने बताया कि इस धोखाधड़ी के खिलाफ वे कई वर्षों से लगातार संघर्ष कर रही हैं। इसके लिए उन्होंने प्रधानमंत्री कार्यालय, राजस्थान मुख्यमंत्री कार्यालय, जयपुर जिला कलेक्टर, और एसडीएम बस्सी तक कई बार लिखित शिकायतें भेजीं। प्रधानमंत्री कार्यालय से राज्य सरकार को कार्रवाई हेतु पत्र भी भेजा गया, लेकिन कोई असर नहीं पड़ा। पुलिस स्तर पर भी एफआईआर दर्ज नहीं की गई। मजबूर होकर उन्होंने 12 अगस्त 2025 को पुलिस उपायुक्त जयपुर (पूर्व) और थाना अधिकारी कानोता को रजिस्टर्ड डाक से रिपोर्ट भेजी, लेकिन वहां से भी कोई कार्रवाई नहीं हुई।
पुलिस जांच के आदेश
आखिरकार न्याय की उम्मीद में उन्होंने 19 अगस्त 2025 को माननीय न्यायालय बस्सी में परिवाद संख्या 270/19-8-2025 दायर किया। अदालत ने गंभीरता से संज्ञान लेते हुए मामले को धारा 175(3) भारतीय न्याय संहिता 2023 के तहत थाना कानोता को जांच के लिए भेजने के आदेश दिए हैं।
अभी भी न्याय की प्रतीक्षा
जनक देवी का कहना है कि वे प्रधानमंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक हर स्तर पर गुहार लगा चुकी हैं, लेकिन अब तक उनकी सुनवाई नहीं हुई। वे आज भी अपनी पैतृक भूमि वापस पाने और न्याय मिलने की प्रतीक्षा कर रही हैं।