राजस्थान में गौशालाओं के अनुदान भुगतान को लेकर सियासत गरमा गई है। गोपाष्टमी के मौके पर शुरू हुआ यह मुद्दा अब राजनीतिक बयानबाजी का केंद्र बन गया है। पशुपालन, डेयरी एवं गोपालन राज्य मंत्री जवाहर सिंह बेढम और नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली के बीच जुबानी जंग तेज हो गई है। दोनों ही नेता एक-दूसरे पर जनता को भ्रमित करने और जिम्मेदारी से बचने के आरोप लगा रहे हैं।
‘कांग्रेस फैला रही ‘बासी खबरों’ से भ्रम’
मंत्री जवाहर सिंह बेढम ने कांग्रेस पर हमला कर कहा कि कांग्रेस जनता को गुमराह करने के लिए पुरानी खबरों का सहारा ले रही है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के निर्देश पर गौशालाओं को 640 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है और पूरी प्रक्रिया को ऑनलाइन प्रणाली से जोड़ा गया है ताकि पारदर्शिता बनी रहे। बेढम ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली बिना तथ्यों को समझे बयानबाजी कर रहे हैं। उनका ट्वीट भी पुरानी खबर पर आधारित है। कांग्रेस के पास अब कोई नया मुद्दा नहीं बचा, इसलिए वह ‘बासी खबरों’ से राजनीति कर रही है। मंत्री ने यह भी कहा कि राज्य सरकार गौशालाओं के विकास और पशुपालन क्षेत्र को सशक्त बनाने के लिए ठोस कदम उठा रही है।
‘सरकार अपनी कमजोर मॉनिटरिंग सुधारे’
वहीं, नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने भी मंत्री बेढम के बयान पर करारा जवाब दिया। उन्होंने कहा कि सरकार को जनता को बरगलाने के बजाय अपनी मॉनिटरिंग प्रणाली सुधारनी चाहिए। जूली ने आरोप लगाया कि अलवर जिले की 39 गौशालाओं को नौ माह से अनुदान नहीं मिला है, जिससे करीब 20 हजार गौवंश चारे और पानी के संकट से जूझ रहे हैं।
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जूली ने कहा कि तीन महीने पहले भी अनुदान लंबित था और अब भी स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार सिर्फ छवि चमकाने में लगी है, जबकि कांग्रेस सरकार ने अपने कार्यकाल में गौशालाओं के लिए नौ माह तक का अनुदान सुनिश्चित किया था, जो पहले तीन महीने का हुआ करता था।
अनुदान अवधि बढ़ाने की मांग, सियासी गर्मी और बढ़ी
जूली ने भाजपा सरकार से मांग की कि वह गौशालाओं के अनुदान को 12 महीने तक बढ़ाने की घोषणा करे, ताकि गौवंश की देखरेख में कोई बाधा न आए। उन्होंने कहा कि सरकार को गौशाला संचालकों की समस्याओं को गंभीरता से लेना चाहिए। इस बीच, मंत्री बेढम ने दोहराया कि सरकार ने समय पर भुगतान और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठाए हैं।
गोपाष्टमी पर शुरू हुई बहस बनी सियासी मुद्दा
गोपाष्टमी के अवसर पर शुरू हुई यह बहस अब एक राजनीतिक तकरार का रूप ले चुकी है। जहां सरकार पारदर्शिता और ऑनलाइन भुगतान प्रक्रिया की बात कर रही है, वहीं विपक्ष इसे प्रशासनिक लापरवाही और अनियमितता का मामला बता रहा है।
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