राजसमंद में आचार्य श्री महाश्रमण के निर्देशों के बाद जैन समाज ने सड़क नामकरण को लेकर बड़ा और सराहनीय निर्णय लिया है। सोमवार देर शाम जैन समाज के पदाधिकारी कलेक्टर अरुण कुमार हसीजा के निवास पर पहुंचे और 50 फीट रोड का नाम नगर परिषद को पुनः समर्पित कर दिया। जैन समाज के प्रतिनिधियों ने बताया कि सड़क का नाम पहले “आचार्य महाश्रमण अहिंसा मार्ग” रखा गया था, लेकिन अब समाज किसी भी प्रकार की मानसिक या शारीरिक हिंसा को स्वीकार नहीं कर सकता। आचार्य महाश्रमण की आज्ञा, आदेश और स्वीकृति के पश्चात एक लिखित पत्र कलेक्टर को सौंपा गया।
जैन समाज ने स्पष्ट किया कि वे इस प्रकरण में किसी भी प्रकार का विवाद नहीं चाहते और नगर परिषद द्वारा सड़क का पूर्ववर्ती नाम ही रखा जाए, जिसे समाज स्वीकार करता है। पत्र में यह भी उल्लेख किया गया कि आचार्य महाश्रमण स्वयं, उनकी धवल सेना, जैन समाज एवं तेरापंथ समाज किसी भी प्रकार की उपलब्धि या नामकरण की आकांक्षा नहीं रखते।
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गत 30 नवंबर को कांकरोली में आचार्य महाश्रमण की अहिंसा यात्रा के दौरान इस मार्ग का लोकार्पण “आचार्य महाश्रमण अहिंसा मार्ग” के नाम से किया गया था। जैन समाज ने राजपूत समाज द्वारा प्रदर्शित सद्भाव, सामंजस्य और महानता की भी खुले शब्दों में सराहना की। उन्होंने पत्र में लिखा कि राजसमंद क्षेत्र एक शांत, सुदृढ़ और सभ्य नगर है, जहां हिंसा का कोई स्थान नहीं है।
जानें क्या था विवाद का कारण
50 फीट रोड को आचार्य महाश्रमण अहिंसा मार्ग के नाम से रखने के बाद पता चला कि इस सड़क का नाम महाराणा राजसिंह मार्ग रखने के लिए 20 साल पहले शिलान्यास किया गया था। इसके बाद मार्ग को लेकर बड़े स्तर पर बयानबाजी हुई। 19 दिसंबर को आयुक्त ब्रजेश राय और सभापति अशोक टाक पर स्याही छिड़कने की घटना के बाद माहौल गर्मा गया। इसी तनाव के बीच बालकृष्ण स्टेडियम में मारपीट की भी घटना हो गई थी। जैन समाज की पहल से विवाद को शांतिपूर्ण तरीके से हल किया गया और सड़क का नाम नगर परिषद को पुनः समर्पित कर दिया गया।