सिरोही जिले के पिंडवाड़ा क्षेत्र में प्रस्तावित खनन परियोजना को लेकर ग्रामीणों का विरोध तेज हो गया है। प्रदेश के पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के दौरे के दौरान ग्रामीणों ने परियोजना को रद्द करने की मांग को लेकर जोरदार प्रदर्शन किया। उड़वारिया टोल प्लाजा पर बड़ी संख्या में एकत्रित ग्रामीणों ने पायलट को ज्ञापन सौंपा और खनन के खिलाफ नारेबाजी की। इस मौके पर कांग्रेस पदाधिकारियों ने भी ग्रामीणों का समर्थन करते हुए परियोजना निरस्त करने की मांग दोहराई।
खनन से पर्यावरण और आजीविका पर खतरे की आशंका
ग्रामीणों और खनन संघर्ष समिति के सदस्यों ने बताया कि जयपुर की एक निजी कंपनी मेसर्स कमलेश मेटा कास्ट प्राइवेट लिमिटेड द्वारा क्षेत्र में बड़े पैमाने पर चूना पत्थर खनन की योजना प्रस्तावित है। यह इलाका अरावली पर्वत श्रृंखला का हिस्सा है, जहां की हरियाली, जलस्रोत और पहाड़ स्थानीय जीवन का आधार हैं। ग्रामीणों ने चेतावनी दी कि यदि लगभग 800 हेक्टेयर भूमि पर खनन शुरू हुआ, तो भूजल स्तर में गिरावट, नदियों के सूखने और खेती के नष्ट होने की स्थिति बन जाएगी। उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र आदिवासी बहुल है, जहां अधिकांश लोग खेती, पशुपालन और मजदूरी पर निर्भर हैं। ऐसे में खनन शुरू होने पर न केवल पर्यावरणीय असंतुलन होगा, बल्कि विस्थापन का खतरा भी बढ़ जाएगा।
प्रशासनिक कार्रवाई न होने पर जताई नाराजगी
ग्रामीणों ने पायलट को बताया कि वे कई हफ्तों से आंदोलन कर रहे हैं और विभिन्न स्तरों पर प्रशासन तथा जनप्रतिनिधियों को ज्ञापन दे चुके हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। खनन संघर्ष समिति ने मांग की कि राज्य और केंद्र सरकार तुरंत इस परियोजना की स्वीकृति रद्द करें और पिंडवाड़ा तहसील को खनन मुक्त क्षेत्र घोषित किया जाए।
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सचिन पायलट बोले- जनभावनाओं से जुड़ा संवेदनशील मुद्दा
पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने ग्रामीणों की शिकायतें ध्यानपूर्वक सुनीं और कहा कि जनता की आवाज को अनसुना नहीं किया जाएगा। उन्होंने इसे जनभावनाओं से जुड़ा गंभीर मामला बताते हुए आश्वासन दिया कि वे इस विषय को राज्य सरकार और संबंधित मंत्रालयों के समक्ष गंभीरता से रखेंगे। पायलट ने कहा कि जनता के हक, अधिकार और पर्यावरण की सुरक्षा के साथ कोई समझौता नहीं किया जाएगा और वे व्यक्तिगत स्तर पर भी आवश्यक पहल करेंगे।
ग्रामीणों में दिखा उत्साह और एकजुटता का माहौल
सभा स्थल पर बड़ी संख्या में महिलाएं, युवा और बुजुर्ग मौजूद रहे। ‘धरती नहीं बिकने देंगे’ और ‘जल-जंगल-जमीन हमारी’ जैसे नारों से पूरा क्षेत्र गूंज उठा। ग्रामीणों ने कहा कि यह केवल खनन का विरोध नहीं, बल्कि पर्यावरण और आने वाली पीढ़ियों के भविष्य की रक्षा की लड़ाई है।
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