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Mahishasura Mardini Mandir Udaipur sits on silver mixed ground temple was completed in 100 years
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Mahishasura Mardini Mandir: रजत मिश्रित भूमि पर विराजमान महिषासुर मर्दिनी, 100 साल में बनकर तैयार हुआ था मंदिर
न्यूूज डेस्क, अमर उजाला, उदयपुर Published by: अरविंद कुमार Updated Mon, 31 Mar 2025 11:04 AM IST
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चैत्र नवरात्रि का पावन पर्व आते ही श्रद्धालु शक्ति उपासना में लीन हो जाते हैं। ऐसे में दक्षिणी राजस्थान के प्रसिद्ध शक्तिपीठों में से एक जावर माता का मंदिर भी अपने आप मे विशेष महत्व लिए हुए है। उदयपुर से लगभग 35 किलोमीटर दूर स्थित यह मंदिर सिर्फ आस्था का केंद्र ही नहीं, बल्कि ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक भी है।
जावर गांव प्राचीन काल से ही खनिज संपदा के लिए प्रसिद्ध रहा है। हजारों वर्षों से यहां चांदी और जस्ता का खनन होता आ रहा है, और इसी समृद्ध भूमि पर मां जावर माता का दिव्य मंदिर स्थित है। यह देवी महिषासुर मर्दिनी के रूप में पूजित हैं, लेकिन अन्य मंदिरों की तुलना में यहां उनका स्वरूप अत्यंत शांत और सौम्य है। आमतौर पर महिषासुर मर्दिनी को युद्धरत रूप में दर्शाया जाता है, लेकिन इस मंदिर में देवी का स्वरूप भक्तों को आंतरिक शांति और आध्यात्मिक ऊर्जा प्रदान करता है।
इतिहास में झांके तो पता चलता है कि मौर्य काल से ही इस क्षेत्र में धातु खनन के प्रमाण मिलते हैं। जावर की मिट्टी में चांदी और अन्य धातुओं की प्रचुरता के कारण इसे "रजत मिश्रित भूमि" कहा जाता है। दसवीं शताब्दी में इडर रियासत के शासक ने इस मंदिर की स्थापना करवाई थी, और मंदिर के शिलालेखों से ज्ञात होता है कि इसका निर्माण कार्य लगभग सौ वर्षों में पूर्ण हुआ। महाराणा उदयसिंह द्वारा उदयपुर बसाने के बाद मेवाड़ के शासकों ने भी इस मंदिर में विशेष श्रद्धा रखी और यहां कई धार्मिक कार्य संपन्न कराए।
आज भी जावर माता मंदिर में दूर - दूर से श्रद्धालु अपनी आस्था लेकर आते हैं। मान्यता है कि जो भी भक्त सच्चे मन से माता से मन्नत मांगता है, उसकी सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं। विशेष रूप से नवरात्रि के दौरान यहां भक्तों की अपार भीड़ उमड़ती है, और माता की आराधना का अद्भुत नजारा देखने को मिलता है। यदि आप दिव्य अनुभूति और आध्यात्मिक शांति की तलाश में हैं, तो इस चैत्र नवरात्रि पर जावर माता के दर्शन अवश्य करें। यहां आकर न केवल देवी का आशीर्वाद प्राप्त होगा, बल्कि एक अद्वितीय सांस्कृतिक धरोहर को करीब से जानने का अवसर भी मिलेगा।
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