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Gorakhpur News: जमानत पर जेल से छूटने बाद मेडिकल काॅलेज में फिर सक्रिय हुए गैंगस्टर मरीज माफिया
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- जुलाई 2023 में पुलिस ने छह मरीज माफिया को पुलिस ने भिजवाया था जेल, पांच पर हुई थी गैंगस्टर एक्ट की कार्रवाई
- जमानत पर जेल से छूटने के बाद दोबारा एंबुलेंस की मदद से मरीजों को प्राइवेट अस्पताल में करा रहे भर्ती
- मेडिकल काॅलेज में नये मरीज माफिया हुए सक्रिय, पुरानों ने बदला ठिकाना
अमर उजाला ब्यूरो
गोरखपुर। मेडिकल कॉलेज परिसर में फिर से मरीज माफिया सक्रिय हो गए हैं। पुलिस सूत्रों के अनुसार, जमानत पर जेल से बाहर आए पुराने गैंगस्टर दोबारा एंबुलेंस और बिचौलियों के जरिये मरीजों को निजी अस्पतालों में भर्ती करा रहे हैं। वहीं, पुराने गिरोहों के साथ-साथ कुछ नए चेहरे भी सक्रिय हो गए हैं, जो पुलिस और प्रशासन के लिए सिरदर्द बने हुए हैं।
जुलाई 2023 में गुलरिहा पुलिस ने चिलुआताल के फतेपुर निवासी रिजवान, रियासुद्दीन, मोहम्मद अकसीम, मिर्जापुर निवासी औरंगजेब, गुलरिया निवासी असिफ अली उर्फ गोलू व तीन अज्ञात के खिलाफ केस दर्ज कर गिरफ्तार कर जेल भिजवा दिया था। इनमें से 20 दिसंबर को रिजवान, रियासुद्दीन, मोहम्मद अकसीम, औरंगजेब और आसिफ अली के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट की कार्रवाई की गई थी। पुलिस ने उस वक्त दावा किया था कि मेडिकल कॉलेज परिसर में सक्रिय इन माफिया के नेटवर्क को तोड़ दिया गया है, लेकिन अब लगभग डेढ़ साल बाद जमानत पर छूटे आरोपी फिर से सक्रिय दिख रहे हैं।
सूत्रों के अनुसार, यह माफिया गिरोह एंबुलेंस ड्राइवरों, वार्ड बॉय और निजी अस्पतालों के बिचौलियों से मिलकर एक संगठित गिरोह चला रहे हैं। जैसे ही कोई गंभीर मरीज मेडिकल कॉलेज पहुंचता है, ये लोग खुद को अस्पताल स्टाफ या सामाजिक कार्यकर्ता बताकर परिजनों से संपर्क करते हैं। मरीज की गंभीर हालत का हवाला देकर उन्हें प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराने का दबाव बनाते हैं, और वहां भर्ती कराने पर मोटा कमीशन पाते हैं।
हाल ही में जांच के दौरान पुलिस को पता चला कि जेल से छूटने के बाद कुछ पुराने माफिया फिर से नया ठिकाना बदलकर मेडिकल कॉलेज के अलग-अलग वार्डों के पास सक्रिय हो गए हैं। इनकी पहचान को छिपाने के लिए ये नई एंबुलेंस, अलग मोबाइल नंबर और नए सहयोगियों का इस्तेमाल कर रहे हैं। पुलिस सूत्रों के मुताबिक, कई निजी अस्पतालों का इनसे सीधा साठगांठ है। मरीजों को रेफर करने के एवज में इन माफिया को हर भर्ती मरीज पर दो से पांच हजार रुपये तक का कमीशन मिलता है। यही वजह है कि कार्रवाई के बावजूद यह गिरोह दोबारा सक्रिय हो गया है।
कोट
मेडिकल कॉलेज परिसर में मरीज माफिया की गतिविधियों पर पुलिस लगातार निगरानी रख रही है। सीसीटीवी फुटेज, एंबुलेंस चालकों और सुरक्षाकर्मियों से पूछताछ की जा रही है। कुछ संदिग्धों की पहचान की गई है और जल्द ही उनके खिलाफ गैंगस्टर एक्ट के तहत दोबारा कार्रवाई की जाएगी। मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने भी पुलिस से संयुक्त जांच अभियान चलाने का अनुरोध किया है।
अभिनव त्यागी, एसपी सिटी
-- -
नए और पुराने दोनों माफिया सक्रिय
फिलहाल मेडिकल कॉलेज परिसर में पुराने और नए दोनों तरह के मरीज माफिया सक्रिय हैं। पुलिस को आशंका है कि इनका नेटवर्क फिर से फैलने लगा है। जल्द ही संयुक्त छापेमारी और पहचान अभियान चलाकर इस रैकेट को एक बार फिर तोड़ने की तैयारी की जा रही है।
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अमर उजाला ब्यूरो
गोरखपुर। मेडिकल कॉलेज परिसर में फिर से मरीज माफिया सक्रिय हो गए हैं। पुलिस सूत्रों के अनुसार, जमानत पर जेल से बाहर आए पुराने गैंगस्टर दोबारा एंबुलेंस और बिचौलियों के जरिये मरीजों को निजी अस्पतालों में भर्ती करा रहे हैं। वहीं, पुराने गिरोहों के साथ-साथ कुछ नए चेहरे भी सक्रिय हो गए हैं, जो पुलिस और प्रशासन के लिए सिरदर्द बने हुए हैं।
जुलाई 2023 में गुलरिहा पुलिस ने चिलुआताल के फतेपुर निवासी रिजवान, रियासुद्दीन, मोहम्मद अकसीम, मिर्जापुर निवासी औरंगजेब, गुलरिया निवासी असिफ अली उर्फ गोलू व तीन अज्ञात के खिलाफ केस दर्ज कर गिरफ्तार कर जेल भिजवा दिया था। इनमें से 20 दिसंबर को रिजवान, रियासुद्दीन, मोहम्मद अकसीम, औरंगजेब और आसिफ अली के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट की कार्रवाई की गई थी। पुलिस ने उस वक्त दावा किया था कि मेडिकल कॉलेज परिसर में सक्रिय इन माफिया के नेटवर्क को तोड़ दिया गया है, लेकिन अब लगभग डेढ़ साल बाद जमानत पर छूटे आरोपी फिर से सक्रिय दिख रहे हैं।
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सूत्रों के अनुसार, यह माफिया गिरोह एंबुलेंस ड्राइवरों, वार्ड बॉय और निजी अस्पतालों के बिचौलियों से मिलकर एक संगठित गिरोह चला रहे हैं। जैसे ही कोई गंभीर मरीज मेडिकल कॉलेज पहुंचता है, ये लोग खुद को अस्पताल स्टाफ या सामाजिक कार्यकर्ता बताकर परिजनों से संपर्क करते हैं। मरीज की गंभीर हालत का हवाला देकर उन्हें प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराने का दबाव बनाते हैं, और वहां भर्ती कराने पर मोटा कमीशन पाते हैं।
हाल ही में जांच के दौरान पुलिस को पता चला कि जेल से छूटने के बाद कुछ पुराने माफिया फिर से नया ठिकाना बदलकर मेडिकल कॉलेज के अलग-अलग वार्डों के पास सक्रिय हो गए हैं। इनकी पहचान को छिपाने के लिए ये नई एंबुलेंस, अलग मोबाइल नंबर और नए सहयोगियों का इस्तेमाल कर रहे हैं। पुलिस सूत्रों के मुताबिक, कई निजी अस्पतालों का इनसे सीधा साठगांठ है। मरीजों को रेफर करने के एवज में इन माफिया को हर भर्ती मरीज पर दो से पांच हजार रुपये तक का कमीशन मिलता है। यही वजह है कि कार्रवाई के बावजूद यह गिरोह दोबारा सक्रिय हो गया है।
कोट
मेडिकल कॉलेज परिसर में मरीज माफिया की गतिविधियों पर पुलिस लगातार निगरानी रख रही है। सीसीटीवी फुटेज, एंबुलेंस चालकों और सुरक्षाकर्मियों से पूछताछ की जा रही है। कुछ संदिग्धों की पहचान की गई है और जल्द ही उनके खिलाफ गैंगस्टर एक्ट के तहत दोबारा कार्रवाई की जाएगी। मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने भी पुलिस से संयुक्त जांच अभियान चलाने का अनुरोध किया है।
अभिनव त्यागी, एसपी सिटी
नए और पुराने दोनों माफिया सक्रिय
फिलहाल मेडिकल कॉलेज परिसर में पुराने और नए दोनों तरह के मरीज माफिया सक्रिय हैं। पुलिस को आशंका है कि इनका नेटवर्क फिर से फैलने लगा है। जल्द ही संयुक्त छापेमारी और पहचान अभियान चलाकर इस रैकेट को एक बार फिर तोड़ने की तैयारी की जा रही है।