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UP: अवैध असलहों से जमाते थे भौकाल... साइबर ठगों के लिए खुलवाते थे खाते; अंबुज हत्याकांड में कई खुलासे

अमर उजाला नेटवर्क, गोरखपुर Published by: शाहरुख खान Updated Fri, 05 Dec 2025 03:32 PM IST
सार

गोरखपुर के अंबुज हत्याकांड में कई खुलासे हुए हैं। आरोपी अवैध असलहों से भौकाल जमाते थे। इसके अलावा साइबर ठगों के लिए खाते भी खुलवाते थे।

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Ambuj murder case They used illegal weapons to create havoc opened accounts for cyber fraudsters
मृतक व गिरफ्तार हत्यारोपी - फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
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विस्तार
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गोरखपुर में हुए अंबुज हत्याकांड ने शहर में पनप रहे एक खतरनाक ट्रेंड की परतें खोलकर रख दी हैं। युवा सोशल मीडिया की चकाचौंध, गैंगस्टर लाइफ की शोशेबाजी और त्वरित कमाई की चाह में अपराध के दलदल में फंसते जा रहे हैं। पुलिस की जांच में यह भी सामने आया है कि आरोपी न केवल अवैध असलहों के साथ भौकाल जमाते थे, बल्कि साइबर ठगों के लिए किराए पर बैंक खाते भी खुलवाते थे।
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ये खाते फर्जीवाड़े और ऑनलाइन ठगी के बड़े नेटवर्क में इस्तेमाल होते थे, जिससे लाखों की रकम को ट्रांसफर कर गायब कर दिया जाता था। तिवारीपुर पुलिस ने सूर्यविहार कॉलोनी निवासी अंबुज मणि उर्फ रीशु हत्याकांड में शामिल आयुष सिंह और सदरे आलम को मंगलवार को गिरफ्तार किया था।
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दोनों की निशानदेही पर वारदात में इस्तेमाल अर्टिगा कार भी बरामद कर ली गई है। पूछताछ में सदरे आलम ने बताया कि हत्या में प्रयुक्त कुल्हाड़ी बिट्टू उर्फ अहमद खान के पास है, जो वारदात के बाद अंडरग्राउंड है। पुलिस अब उसकी गिरफ्तारी और हथियार बरामद करने के लिए दबिश दे रही है।

पुलिस सूत्रों के अनुसार, तारामंडल निवासी पंडित गैंग के कई गुर्गे सोशल मीडिया पर अपनी लक्जरी लाइफ, महंगी बाइक, अवैध हथियारों की रील डालकर खुद को खतरनाक दिखाने की होड़ में शामिल हैं।
 

इनकी शोहरत देखते हुए साइबर ठग और संगठित अपराधी इन्हें मोहरा बनाते हैं। बदले में इन्हें रुपये, घूमना-फिरना और सोशल मीडिया का ग्लैमर मिलता है। पुलिस की जांच में सामने आया कि कई युवक प्रति खाते 10 हजार से 25 हजार रुपये लेकर बैंक अकाउंट या मोबाइल वॉलेट खुलवाते थे। 

ठगी के रुपये इन्हीं खातों में ट्रांसफर होता था। पुलिस को मिले दस्तावेज बताते हैं कि यह नेटवर्क सिर्फ गोरखपुर ही नहीं, बल्कि यूपी-बिहार सीमा तक फैला है। अंबुज हत्याकांड में शामिल कुछ युवकों के रिश्तों का कनेक्शन इसी साइबर-सिस्टम से जुड़े मिले हैं।
 

निगरानी में चूक, साइबर सेल और पुलिस पर उठे सवाल
आरोपियों के सोशल मीडिया अकाउंट पर हथियार लहराने, धमकी भरे स्टेटस, शराब और बाइक राइड की रील भरी पड़ी है। विशेषज्ञों के अनुसार, यह डिजिटल गुंडागर्दी पिछले दो वर्षों में काफी बढ़ी है। युवक खुलेआम हथियारों के साथ वीडियो बनाते हैं, धमकी भरे पोस्ट डालते हैं। 

वहीं साइबर मॉनिटरिंग सिस्टम सोशल मीडिया गतिविधियों को गंभीरता से नहीं ले रही है। ऐसे में साइबर सेल व पुलिस पर सवाल उठ रहे हैं। ऐसे अपराध में शामिल युवा अक्सर गरीब या मध्यमवर्गीय परिवारों से आते हैं। एक बेटे की गलती से पूरा परिवार समाज में बदनाम हो जाता है। 

एक अभिभावक ने नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर कहा कि हमारा बच्चा बिगड़ा, लेकिन उसे बढ़ावा देने वाले लोग आज भी बाहर घूम रहे हैं। शर्मिंदगी हम झेलते हैं, फायदा वो उठाते हैं। 
 

यह है मामला
तिवारीपुर के सूर्यविहार कॉलोनी निवासी संतोष मणि त्रिपाठी का बेटा अंबुज मणि उर्फ रीशु 26 नवंबर की रात अपने दोस्तों आयुष सिंह निवासी पचपेड़वा हड़हवा फाटक, सदरे आलम निवासी करीमनगर चिलुआताल और बिट्टू उर्फ अहद खान के साथ घर से निकला था। 

 

हल्दी कार्यक्रम में जाने की बात कहकर दोस्त उसे साथ ले गए थे। इसके बाद सभी चिलुआताल पहुंचे, जहां सभी ने शराब पी। पुलिस की जांच में सामने आया कि अवैध पिस्टल के रुपये को लेकर विवाद बढ़ा और मारपीट के बाद अंबुज का गला कुल्हाड़ी से काट दिया गया। 
 

हत्या के बाद शव को कार में डालकर महाराजगंज के भिटौली क्षेत्र ले जाया गया, जहां सिर और धड़ अलग-अलग स्थानों पर फेंका दिया गया। पुलिस ने सोमवार को शव बरामद कर घटना का पर्दाफाश किया।
 

आरोपी बिट्टू की तलाश की जा रही है। जेल भिजवाए गए आरोपियों के गैंग के बारे में जानकारी मिली है। पुलिस टीमें काम कर रही हैं। जल्द ही गैंग का पर्दाफाश किया जाएगा। अभिनव त्यागी, एसपी सिटी
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