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चौरीचौरा डबल मर्डर : चार संदिग्धों का पॉलीग्राफ टेस्ट खोलेगा राज...कोर्ट ने दी अनुमति
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तीन नामजद आरोपियों के साथ मुकदमा वादी का भी होगा पॉलीग्राफ टेस्ट
चौरीचौरा थाना क्षेत्र के शिवपुर चकदहा गांव में हुई थी मां-बेटी की हत्या
अमर उजाला ब्यूरो
गोरखपुर। चौरीचौरा थाना क्षेत्र के शिवपुर चकदहा गांव में हुए सनसनीखेज मां-बेटी (पूनम और उसकी छोटी बेटी अनुष्का) हत्याकांड की जांच अब अंतिम चरण में पहुंच गई है। पुलिस के प्रार्थना पत्र पर न्यायालय ने चार संदिग्धों का पॉलीग्राफ टेस्ट कराने की अनुमति दे दी है। इन चार लोगों में तीन नामजद आरोपी संजय उर्फ शैलेंद्र, उसके पिता कोटेदार सूरज और भाई सुरेंद्र शामिल हैं। मुकदमा वादी खुशबू (पूनम की बड़ी बेटी) का भी पॉलीग्राफ टेस्ट कराया जाएगा।
यह टेस्ट 15 जनवरी को कराए जाने की संभावना है। पुलिस का दावा है कि इस वैज्ञानिक जांच के बाद साढ़े चार महीने से उलझी इस दोहरे हत्याकांड की गुत्थी सुलझ सकती है।
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बीते 29 मार्च की देर रात 1:30 बजे शिवपुर चकदहा गांव में पूनम और उसकी छोटी बेटी अनुष्का की गड़ासे से काटकर निर्मम हत्या कर दी गई थी। घटना के वक्त दोनों मां-बेटी घर के बरामदे में सो रही थीं। वहीं घर में मौजूद बड़ी बेटी खुशबू को हमलावरों ने दूसरे कमरे में बंद कर दिया था। सूचना पर पहुंची चौरीचौरा पुलिस ने मौके से साक्ष्य जुटाए थे।
जांच में सामने आया कि हत्या के बाद आरोपी, पूनम का एंड्रॉयड मोबाइल फोन अपने साथ ले गए थे। खुशबू ने पुलिस को बताया था कि उसने कमरे के दरवाजे के छेद से हमलावरों को देखा था। उसकी तहरीर पर पुलिस ने गांव के ही संजय उर्फ शैलेंद्र, उसके पिता कोटेदार सूरज और भाई सुरेंद्र व दो अज्ञात आरोपियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी।
पुलिस ने एक नामजद आरोपी संजय को गिरफ्तार कर जेल भिजवाया था, जो अब जमानत पर बाहर है। पुलिस को आशंका है कि हत्याकांड में अन्य लोग भी शामिल हैं। जांच के दौरान 100 से अधिक लोगों से पूछताछ की गई और करीब 50 संदिग्धों के कॉल डिटेल रिकॉर्ड (सीडीआर) खंगाले गए। कई लोगों को हिरासत में लेकर सख्ती से पूछताछ भी की गई, लेकिन ठोस साक्ष्य के अभाव में उन्हें छोड़ना पड़ा। इसी क्रम में पुलिस को चार लोगों की भूमिका संदिग्ध लगी। उनसे पूछताछ के बावजूद जब कोई ठोस सुराग नहीं मिला तो विवेचक ने पॉलीग्राफ टेस्ट कराने का निर्णय लिया। इसके लिए फॉरेंसिक विशेषज्ञों को पत्र भेजा गया है।
वर्जन
न्यायालय से अनुमति मिलने के बाद पॉलीग्राफ टेस्ट की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। समय मिलते ही चारों संदिग्धों का टेस्ट कराया जाएगा। जांच पूरी तरह वैज्ञानिक आधार पर की जा रही है। जल्द ही इस जघन्य हत्याकांड का पर्दाफाश कर दिया जाएगा।
- ज्ञानेंद्र प्रसाद, एसपी नार्थ
क्या है पॉलीग्राफ टेस्ट
पाॅलीग्राफ टेस्ट एक वैज्ञानिक तकनीक है जिसमें व्यक्ति जब सवालों के जवाब देता है तो उसके शारीरिक और मनोवैज्ञानिक प्रतिक्रिया को मापा जाता है। यह टेस्ट विशेष रूप से न्यायिक और आपराधिक जांच में इस्तेमाल होता है जहां व्यक्ति की सचाई की जांच करना महत्वपूर्ण होता है। टेस्ट की शुरुआत से पहले टेस्ट लेने वाले और देने वाले के बीच एक प्री-टेस्ट इंटरव्यू होता है। इसमें टेस्ट के उद्देश्यों को समझाया जाता है और व्यक्ति को टेस्ट के दौरान क्या होने वाला है, इसकी जानकारी दी जाती है। व्यक्ति को एक कुर्सी पर बैठाया जाता है और उसके शरीर पर कुछ सेंसर लगाए जाते हैं। ये सेंसर व्यक्ति के शरीर के विभिन्न हिस्सों से जुड़े होते हैं जैसे कि छाती, उंगलियों और हाथों पर। सेंसर के जरिये मापदंडों को रिकॉर्ड किया जाता है। ये मापदंड हैं दिल की धड़कन, रक्तचाप, श्वसन दर और त्वचा की विद्युत चालकता आदि।
