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Gorakhpur News: रिंग रोड बने कैसे..लेखपाल को सर्किल रेट नहीं मालूम, अफसर पहुंचे नहीं
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- हाल महमूदाबाद पंचायत भवन में लगाए किसानों के कैंप का, किसानों की न कोई सुनने वाला और न जवाब देने वाला
संवाद न्यूज एजेंसी
पिपराइच। जंगल कौड़िया से जगदीशपुर तक रिंग रोड के निर्माण कार्य की अड़चनें बढ़ती जा रही हैं। किसानों की सहमति और अभिलेखों को तैयार करने की प्रक्रिया भले शुरू हुई है, लेकिन एसएलओ और एनएचएआई के अधिकारी गंभीर नहीं नजर आ रहे हैं। किसानों को शिविर के बारे में जानकारी नहीं दी जा रही है।
शनिवार को ग्राम सभा जंगल अहमद अली शाह उर्फ तुर्रा बाजार सहित अन्य गांवों के किसानों को महमूदाबाद उर्फ मोगलपुरा के पंचायत भवन में किसानों को बुलाया गया, लेकिन परियोजना से जुड़े कर्मचारी मौके पर नहीं पहुंचे। किसानों ने जब लेखपाल से सर्किल रेट के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि मुझे कुछ नहीं मालूम है। यह हाल था शनिवार को महमूदाबाद पंचायत भवन में लगाए गए किसानों के कैंप का, जहां किसानों की सुनने वाला और जवाब देने वाला कोई नहीं था। इस तरह तो किसानों की जमीन मिलना और जगदीशपुर जंगल कौड़िया रिंग रोड मुश्किल नजर आ रहा है।
रिंग रोड निर्माण कार्य के लिए जगह-जगह गांवों में शिविर लगाकर किसानों को उनको मिलने वाले मुआवजे/प्रतिकर धनराशि की जानकारी दी जा रही है। उनका सहमति पत्र इत्यादि तैयार कराया जा रहा है। शनिवार की सुबह 10 बजे से दोपहर तीन बजे तक शिविर लगाया गया। यहां स्थानीय लेखपाल के अलावा भूमि अध्याप्ति अधिकारी (एसएलओ) और एनएचएआई के कर्मचारी नहीं पहुंचे। उनका इंतजार करने के बाद ग्राम प्रधान प्रतिनिधि रामाज्ञा राजभर सहित अनेक किसानों ने शासन से निर्धारित सर्किल रेट संबंधी जानकारी लेखपाल से मांगी। लेखपाल दिलीप कुमार सिंह ने बताया कि इस बारे में मुझे कोई जानकारी नहीं है।
महमूदाबाद उर्फ मोगलपुरा का आंकड़ा देते हुए कि कुल 67 गाटा नंबर को मिलाकर 9.62 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहित होनी है। इस योजना में करीब 400 किसानों की सहभागिता होनी है। कैंप में आए सौ किसानों को अधिग्रहित जमीन का मुआवजा किसको और किस आधार पर मिलेगा। लेखपाल ने इसके बारे में बताया। महमूदाबाद उर्फ मोगलपुरा गांव के अधिकांश किसान 2016 के सर्किट रेट से चार गुना धन मिलने पर भूमि देने पर सहमति जता रहे हैं। लेकिन तुर्रा बाजार के सभी किसानों ने इस निर्णय पर नाराजगी जताई। कहा आज मिलने वाले मुआवजे से कई गुना अधिक बाजार भाव है। वनकटिया खुर्द में मौलाखोर सहित अन्य गांवों के किसानों को बुलाया गया था। लेकिन ग्राम प्रधान प्रतिनिधि रघुवंश यादव तथा मौलाखोर के प्रधान सहित ग्रामीणों को इसकी जानकारी नहीं थी। गांव के लेखपाल थाना समाधान दिवस में चले गए थे।
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अब यहां शहरी आबादी विकसित हो रही है। प्रापर्टी डीलर सात से 10 रुपये प्रति डिस्मिल की दर से भूमि खरीद रहे हैैं। सरकार का मुआवजा कम है। शिविर में कोई नहीं आया। ऐसे तो उनको जमीन का एक टुकड़ा भी नहीं मिल पाएगा।
जगदीश चौहान, खुटवा टोला
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मुआवजे का मजाक किया जा रहा है। जमीन देने पर कितना पैसा मिलेगा, यह बताया नहीं जा रहा है। जमीन की कीमत बढ़ती जा रही है। विकास के नाम पर छलावा ठीक नहीं है।
श्रीपत चौहान, तुर्रा बाजार
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वर्ष 2016 में सर्किल रेट तीन लाख रुपये था। यदि यह रेट उचित है तो इसका चार गुना मुआवजा देने पर किसानों का कम नुकसान होगा। लेकिन इसके बारे में सही जानकारी तो मिले।
बांके लाल यादव, मोगलपुरा
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जब जमीन का चिन्हिनकरण कर दिया गया है तो मुआवजे की दर बताने में क्या हर्ज है। सर्किल रेट को लेकर असमंजस की स्थिति है। ऐसे तो किसान परेशान हो जाएंगे।
सतई कन्नौजिया, महमूदाबाद उर्फ मोगलपुरा
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संवाद न्यूज एजेंसी
पिपराइच। जंगल कौड़िया से जगदीशपुर तक रिंग रोड के निर्माण कार्य की अड़चनें बढ़ती जा रही हैं। किसानों की सहमति और अभिलेखों को तैयार करने की प्रक्रिया भले शुरू हुई है, लेकिन एसएलओ और एनएचएआई के अधिकारी गंभीर नहीं नजर आ रहे हैं। किसानों को शिविर के बारे में जानकारी नहीं दी जा रही है।
शनिवार को ग्राम सभा जंगल अहमद अली शाह उर्फ तुर्रा बाजार सहित अन्य गांवों के किसानों को महमूदाबाद उर्फ मोगलपुरा के पंचायत भवन में किसानों को बुलाया गया, लेकिन परियोजना से जुड़े कर्मचारी मौके पर नहीं पहुंचे। किसानों ने जब लेखपाल से सर्किल रेट के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि मुझे कुछ नहीं मालूम है। यह हाल था शनिवार को महमूदाबाद पंचायत भवन में लगाए गए किसानों के कैंप का, जहां किसानों की सुनने वाला और जवाब देने वाला कोई नहीं था। इस तरह तो किसानों की जमीन मिलना और जगदीशपुर जंगल कौड़िया रिंग रोड मुश्किल नजर आ रहा है।
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रिंग रोड निर्माण कार्य के लिए जगह-जगह गांवों में शिविर लगाकर किसानों को उनको मिलने वाले मुआवजे/प्रतिकर धनराशि की जानकारी दी जा रही है। उनका सहमति पत्र इत्यादि तैयार कराया जा रहा है। शनिवार की सुबह 10 बजे से दोपहर तीन बजे तक शिविर लगाया गया। यहां स्थानीय लेखपाल के अलावा भूमि अध्याप्ति अधिकारी (एसएलओ) और एनएचएआई के कर्मचारी नहीं पहुंचे। उनका इंतजार करने के बाद ग्राम प्रधान प्रतिनिधि रामाज्ञा राजभर सहित अनेक किसानों ने शासन से निर्धारित सर्किल रेट संबंधी जानकारी लेखपाल से मांगी। लेखपाल दिलीप कुमार सिंह ने बताया कि इस बारे में मुझे कोई जानकारी नहीं है।
महमूदाबाद उर्फ मोगलपुरा का आंकड़ा देते हुए कि कुल 67 गाटा नंबर को मिलाकर 9.62 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहित होनी है। इस योजना में करीब 400 किसानों की सहभागिता होनी है। कैंप में आए सौ किसानों को अधिग्रहित जमीन का मुआवजा किसको और किस आधार पर मिलेगा। लेखपाल ने इसके बारे में बताया। महमूदाबाद उर्फ मोगलपुरा गांव के अधिकांश किसान 2016 के सर्किट रेट से चार गुना धन मिलने पर भूमि देने पर सहमति जता रहे हैं। लेकिन तुर्रा बाजार के सभी किसानों ने इस निर्णय पर नाराजगी जताई। कहा आज मिलने वाले मुआवजे से कई गुना अधिक बाजार भाव है। वनकटिया खुर्द में मौलाखोर सहित अन्य गांवों के किसानों को बुलाया गया था। लेकिन ग्राम प्रधान प्रतिनिधि रघुवंश यादव तथा मौलाखोर के प्रधान सहित ग्रामीणों को इसकी जानकारी नहीं थी। गांव के लेखपाल थाना समाधान दिवस में चले गए थे।
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अब यहां शहरी आबादी विकसित हो रही है। प्रापर्टी डीलर सात से 10 रुपये प्रति डिस्मिल की दर से भूमि खरीद रहे हैैं। सरकार का मुआवजा कम है। शिविर में कोई नहीं आया। ऐसे तो उनको जमीन का एक टुकड़ा भी नहीं मिल पाएगा।
जगदीश चौहान, खुटवा टोला
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मुआवजे का मजाक किया जा रहा है। जमीन देने पर कितना पैसा मिलेगा, यह बताया नहीं जा रहा है। जमीन की कीमत बढ़ती जा रही है। विकास के नाम पर छलावा ठीक नहीं है।
श्रीपत चौहान, तुर्रा बाजार
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वर्ष 2016 में सर्किल रेट तीन लाख रुपये था। यदि यह रेट उचित है तो इसका चार गुना मुआवजा देने पर किसानों का कम नुकसान होगा। लेकिन इसके बारे में सही जानकारी तो मिले।
बांके लाल यादव, मोगलपुरा
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जब जमीन का चिन्हिनकरण कर दिया गया है तो मुआवजे की दर बताने में क्या हर्ज है। सर्किल रेट को लेकर असमंजस की स्थिति है। ऐसे तो किसान परेशान हो जाएंगे।
सतई कन्नौजिया, महमूदाबाद उर्फ मोगलपुरा
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