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जालसाजों का बड़ा हथियार: रोज नए तरीके से बना रहे निशाना, सावधानी हटी तो खाली हो जाएगा खाता
अमर उजाला ब्यूरो गोरखपुर।
Published by: vivek shukla
Updated Sun, 28 May 2023 07:57 AM IST
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सार
एसपी सिटी कृष्ण कुमार बिश्नोई ने कहा कि साइबर क्राइम की दुनिया का कोई दायरा नहीं है। कुछ भी मुफ्त नहीं है, हर चीज की कीमत चुकानी होती है, बस यही है कि इसका अंदाजा अपना रकम गंवाने के बाद हो पा रहा है। साइबर अपराध को आज भी लोग ज्यादा ध्यान नहीं देते हैं और अपनी व्यक्तिगत जानकारियां साझा कर ठगी के शिकार हो रहे हैं।

साइबर सुरक्षा
- फोटो : AMAR UJALA

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विस्तार
हर रोज साइबर धोखाधड़ी से जुड़े मामले सामने आ रहे हैं। इन सबमें जालसाज साइबर अपराध के अनेक तरीकों को इस्तेमाल करते हैं, जिनसे अधिकतर लोग अनजान हैं। ठगी को अंजाम देने वाले मामलों में देखा गया है कि अपराधी उन तरीकों का इस्तेमाल करते हैं जो केवल टेक्नोलॉजी से जुड़ा व्यक्ति ही समझ सकता है। साइबर अपराधी एक गलती या लापरवाही का फायदा उठाकर आपकी जमापूंजी पर डाका डाल रहे हैं। वहीं, पुलिस भी इसे रोकने में बहुत हद तक सक्षम नहीं हो पाई है।
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जानकारी के मुताबिक, जालसाज सबसे ज्यादा खुद को बैंक कर्मी या किसी कंपनी का अधिकृत कर्मचारी बनाकर फोन पर गोपनीय जानकारी हासिल करते है। जालसाज सोशल मीडिया की मदद से पूरा डिटेल हासिल कर लेते हैं, जिस वजह से आसानी से जालसाज के चंगुल में आसानी से लोग फंसकर रकम गंवा देते हैं। इसके अलावा एटीएम कार्ड बदलकर भी जालसाजी की घटनाएं सामने आई है।
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मदद के बहाने जालसाज एटीएम कार्ड बदलकर कर रकम उड़ा देते हैं। आधार कार्ड और अन्य माध्यमों से भी जालसाजी हो रही है। कुल मिलाकर फिलहाल इससे बचने के लिए आप को खुद ही जागरूक होना पड़ेगा, नहीं तो आपका खाता खाली हो जाएगा।
इस तरह की जालसाज बनाते हैं निशाना

सांकेतिक फोटो
- फोटो : अमर उजाला
स्पामिंग: साइबर अपराध की इस प्रक्रिया में अक्सर जालसाज किसी व्यक्ति के ई-मेल पर सहमति के बिना लुभावने स्पैम मेल भेजते हैं। इस मेल में कई तरह की लिंक होती हैं, जिन पर क्लिक करने से आपके कंप्यूटर या स्मार्टफोन पर नियंत्रण जालसाज के हाथों में चला जाता है। फिर वह बैंक खाते सहित कई निजी जानकारियां हासिल कर आपको चपत लगा देते हैं।
साइबर स्टॉकिंग: साइबर अपराधी इस प्रक्रिया में निशाने पर लिए गए व्यक्ति से अश्लील बातें या चैटिंग के माध्यम से झांसे में ले लेते हैं। फिर रिकॉर्ड की गई बातचीत या चैटस के नाम पर व्यक्ति को ब्लैकमेल कर बैंक खाते से संबंधित जानकारी हासिल कर लेता और लोग ठगी का शिकार हो जाते है। कई बार वह खुद ही रिकॉर्डिंग या वीडियो वायरल करने की धमकी देकर रुपये की मांग करते हैं।
ई-मेल स्पूफिंग: साइबर जगल में ई-मेल स्पूफिंग को फिशिंग का हिस्सा माना जाता है और आसान भाषा में इसे चकमा देना कहा जा सकता है। इसमें जालसाज जानबूझकर ई-मेल में कुछ भाग को बदल देतेा है, मानो कि यह किसी और द्वारा लिखा गया था। कई बार इन मेल में लुभावनी बातों के साथ फर्जी और असुरक्षित वेबसाइटड के लिंक भी डाले जाते हैं, जिनका मकसद सिर्फ आपकी गोपनीय जानकारी हासिल करना होता है।0 पासवर्ड क्रैकिंग: साइबर अपराधों में यह सबसे गंभीर माना जाता है। इनमें साइबर अपराधी बार-बार पासवर्ड बदलकर मेल या नेट बैकिंग खाते को अपने नियंत्रण में लेने की कोशिश करते हैं।
साइबर स्टॉकिंग: साइबर अपराधी इस प्रक्रिया में निशाने पर लिए गए व्यक्ति से अश्लील बातें या चैटिंग के माध्यम से झांसे में ले लेते हैं। फिर रिकॉर्ड की गई बातचीत या चैटस के नाम पर व्यक्ति को ब्लैकमेल कर बैंक खाते से संबंधित जानकारी हासिल कर लेता और लोग ठगी का शिकार हो जाते है। कई बार वह खुद ही रिकॉर्डिंग या वीडियो वायरल करने की धमकी देकर रुपये की मांग करते हैं।
ई-मेल स्पूफिंग: साइबर जगल में ई-मेल स्पूफिंग को फिशिंग का हिस्सा माना जाता है और आसान भाषा में इसे चकमा देना कहा जा सकता है। इसमें जालसाज जानबूझकर ई-मेल में कुछ भाग को बदल देतेा है, मानो कि यह किसी और द्वारा लिखा गया था। कई बार इन मेल में लुभावनी बातों के साथ फर्जी और असुरक्षित वेबसाइटड के लिंक भी डाले जाते हैं, जिनका मकसद सिर्फ आपकी गोपनीय जानकारी हासिल करना होता है।0 पासवर्ड क्रैकिंग: साइबर अपराधों में यह सबसे गंभीर माना जाता है। इनमें साइबर अपराधी बार-बार पासवर्ड बदलकर मेल या नेट बैकिंग खाते को अपने नियंत्रण में लेने की कोशिश करते हैं।

cyber crime
- फोटो : अमर उजाला
फिशिंग: जालसाजी का यह तरीका काफी एडवांस माना जा रहा है। अपराधियों के लिए अधिकतर कामयाबी भरा है। इस प्रक्रिया में कोई भी साइबर अपराधी निशाने पर लिए गए व्यक्ति को कई सारे ई-मेल भेजकर झांसे में लेने की कोशिश करता है। फिर व्यक्ति को बहकाकर उनसे बैंक खाते, नेट बैकिंग पासवर्ड या पिन नंबर पा लेता है और इसकी मदद से खातों को खाली कर देता है।
हैकिंग: कंप्यूटर प्रणाली और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में हैकिंग का नाम खासा चर्चित है। इसमें जब कोई भी यूजर अनाधिकृत तरीके से किसी के कंप्यूटर सुरक्षा क्षेत्र में प्रवेश करता है तो इसे ही हैकिंग कहा जाता है। कई बार बड़े पैमाने पर हुई जालसाजी के मामलेों में साइबर अपराधियों ने हैकिंग जैसी प्रक्रिया का प्रयोग किया है। इसकें जालसाज व्यक्ति के कंप्यूटर को अपने नियंत्रण में कर लेता है।
सेक्सटोर्शन: आज के समय में यह तरीका सबसे ज्यादा प्रचलन में है। इसमें साइबर अपराधी किसी व्यक्ति से सोशल मीयया पर दोस्ती करता है फिर अनजान नंबर से वीडियो कॉल करता है। जैसे ही कोई इस कॉल को उठता है तो सामने स्क्रीन पर कुछ आपत्तिजनक दृश्य दिखाई देते हैं। फिर अपराधी आपको इस बातचीत के कुछ स्क्रीन शॉट भेजकर पैसे मांगते है और विरोध करने पर फोटो वायरल करने की धमकी देते है।
हैकिंग: कंप्यूटर प्रणाली और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में हैकिंग का नाम खासा चर्चित है। इसमें जब कोई भी यूजर अनाधिकृत तरीके से किसी के कंप्यूटर सुरक्षा क्षेत्र में प्रवेश करता है तो इसे ही हैकिंग कहा जाता है। कई बार बड़े पैमाने पर हुई जालसाजी के मामलेों में साइबर अपराधियों ने हैकिंग जैसी प्रक्रिया का प्रयोग किया है। इसकें जालसाज व्यक्ति के कंप्यूटर को अपने नियंत्रण में कर लेता है।
सेक्सटोर्शन: आज के समय में यह तरीका सबसे ज्यादा प्रचलन में है। इसमें साइबर अपराधी किसी व्यक्ति से सोशल मीयया पर दोस्ती करता है फिर अनजान नंबर से वीडियो कॉल करता है। जैसे ही कोई इस कॉल को उठता है तो सामने स्क्रीन पर कुछ आपत्तिजनक दृश्य दिखाई देते हैं। फिर अपराधी आपको इस बातचीत के कुछ स्क्रीन शॉट भेजकर पैसे मांगते है और विरोध करने पर फोटो वायरल करने की धमकी देते है।

cyber Fraud
- फोटो : Istock
लोन का ऑफर: सोशल मीडिया पर पर्सनल लोन देने का ऑफर देकर भी जालसाजी होती है। इसमें आपसे कागजी खर्च के नाम पर ऑनलाइन कुछ रुपये की मांग की जाती है और फिर पूरा खाता खाली हो जाता है।
कस्टमर केयर: गूगल पर भी जालसाज सक्रिय है। किसी भी कंपनी का टोल फ्री नंबर गूगल पर खोलने के दौरान जालसाज अपना लिंक देकर आपकी गोपनीय जानकारी हासिल कर लेते हैं और फिर खाता खाली हो जाता है।
सिम स्वैपिंग : सिम स्वैप का सीधा मतलब सिम कार्ड को बदल देना या उसी नंबर से दूसरा सिम निकलवा लेना है। सिम कार्ड स्वैपिंग के लिए लोगों के पास ये ठग फोन करते हैं और दावा करते हैं कि वे आपके सिम कार्ड की कंपनी जैसे एयरटेल, वोडाफोन, आइडिया या जियो के ऑफिस से बोल रहे हैं। ये ठग लोगों से इंटरनेट की स्पीड बढ़ाने और कॉल ड्रॉप को ठीक करने का दावा करते हैं। इसी बातचीत के दौरान ये आपसे 20 अंकों का सिम नंबर मांगते हैं जो कि सिम कार्ड के पीछे लिखा होता है। जैसे ही आप नंबर बताते हैं तो वे आपसे 1 दबाने के लिए कहते हैं। 1 दबाने के साथ ही नया सिम कार्ड जारी करने का ऑथेंटिकेशन पूरा हो जाता है और फिर आपके फोन से नेटवर्क गायब हो जाता है।
आधार कार्ड से जालसाजी: इस तरह की जालसाजी के ज्यादातर मामले में ग्राहक सेवा केंद्र पर आते है। इसमें जब कोई व्यक्ति रुपये निकालने या फिर आधार कार्ड को ठीक कराने जाता है तो जालसाज उसके फिंगर प्रिंट का क्लोन बना लेते हैं और आधार कार्ड का नंबर भी हासिल कर लेते हैं, फिर इसकी मदद से जालसाज आधार कार्ड से रुपये निकाल लेते हैं या फिर उसकी मदद से आपके बैंक खाते तक पहुंच जाते हैं।
कस्टमर केयर: गूगल पर भी जालसाज सक्रिय है। किसी भी कंपनी का टोल फ्री नंबर गूगल पर खोलने के दौरान जालसाज अपना लिंक देकर आपकी गोपनीय जानकारी हासिल कर लेते हैं और फिर खाता खाली हो जाता है।
सिम स्वैपिंग : सिम स्वैप का सीधा मतलब सिम कार्ड को बदल देना या उसी नंबर से दूसरा सिम निकलवा लेना है। सिम कार्ड स्वैपिंग के लिए लोगों के पास ये ठग फोन करते हैं और दावा करते हैं कि वे आपके सिम कार्ड की कंपनी जैसे एयरटेल, वोडाफोन, आइडिया या जियो के ऑफिस से बोल रहे हैं। ये ठग लोगों से इंटरनेट की स्पीड बढ़ाने और कॉल ड्रॉप को ठीक करने का दावा करते हैं। इसी बातचीत के दौरान ये आपसे 20 अंकों का सिम नंबर मांगते हैं जो कि सिम कार्ड के पीछे लिखा होता है। जैसे ही आप नंबर बताते हैं तो वे आपसे 1 दबाने के लिए कहते हैं। 1 दबाने के साथ ही नया सिम कार्ड जारी करने का ऑथेंटिकेशन पूरा हो जाता है और फिर आपके फोन से नेटवर्क गायब हो जाता है।
आधार कार्ड से जालसाजी: इस तरह की जालसाजी के ज्यादातर मामले में ग्राहक सेवा केंद्र पर आते है। इसमें जब कोई व्यक्ति रुपये निकालने या फिर आधार कार्ड को ठीक कराने जाता है तो जालसाज उसके फिंगर प्रिंट का क्लोन बना लेते हैं और आधार कार्ड का नंबर भी हासिल कर लेते हैं, फिर इसकी मदद से जालसाज आधार कार्ड से रुपये निकाल लेते हैं या फिर उसकी मदद से आपके बैंक खाते तक पहुंच जाते हैं।
ऐसे करें बचाव

Cyber Security
- फोटो : Agency (File Photo)
- - सबसे पहल आप किसी भी वेबसाइट के यूआरएल को चेक करें कि वो https से शुरू हो रहा या नहीं, जिसमें S यह दर्शाता है कि ये वेबसाइट एक सिक्योर कनेक्शन से कनेक्टेड हैं।
- - पासवर्ड यूनिक और कठिन हो। हर ऑनलाइन अकाउंट के लिए अलग पासवर्ड रखें।
- - पासवर्ड में अपर केस, लोअर केस, नंबर और स्पेशल कैरेक्टर का कंबीनेशन रखें।
- - 45 दिन में अपना पासवर्ड जरूर बदल दें।
- - अपने प्राइमरी ई-मेल अड्रेस को कभी सोशल मीडिया साइटस के लिए इस्तेमाल ना करें।
- - सोशल मीडिया साइटस के लिए सेकेंडरी ई-मेल अड्रेस बनाकर रखें।
- - अगर, कोई एकाउंट आप इस्तेमाल नहीं करते हैं तो उसे डिलीट कर दें।
- - किसी भी फ्री सॉफ्टवेयर को डाउनलोड करने से पहले सॉफ्टवेयर और वेबसाइट का जरिए देख लें। संबंधित एप से ही खरीदें।
- - ऑनलाइन बैंकिंग का इस्तेमाल करते समय ध्यान रखें कि आपने URL को मैनुअली टाइप किया हो।
- - अज्ञात ई-मेल को डाउनलोड ना करें।
- - अपने जरूरी फाइल को नियमित बैकअप लेते रहें। ऐसा करने से किसी भी रेग्युलर बैकअप लेते रहें। ऐसा करने से किसी भी रेनसमवेयर के अटैच से बचा जा सकता है।
- - आप अपने जरूरी दस्तावेज को हमेशा एक्सटर्नल ड्राइव में बैकअप लें।
- - जब आप आफिस छोड़े तो सुनिश्चित करें कि कंप्यूटर बंद हो गया है।
- - अपना पासवर्ड किसी के साथ साझा ना करें। पासवर्ड की परिधि आठ से 12 अंकों की होनी चाहिए।
- - फेसबुल, इंस्ट्राग्राम जैसे सोशल मीडिया एकाउंट के सुरक्षा फीचर को ऑन रखें
- - कस्टमर केयर का नंबर कभी भी दस अंकों का नहीं होता है।
- - अपने फोन पर अश्लील फोटो, वीडियो लिंक को ना खोले।
- - मुफ्त उपहार के चक्कर में कभी भी ना पड़े।
- - संभव हो तो बैंक या दूसरे व्यक्ति जानकारी के लिए देने के लिए अलग नंबर रखें, इससे सार्वजनिक ना करें।
- - आधार कार्ड को लॉक रखें, जब जरूरत हो तभी अनलॉक करें।
एसपी सिटी कृष्ण कुमार बिश्नोई ने कहा कि साइबर क्राइम की दुनिया का कोई दायरा नहीं है। कुछ भी मुफ्त नहीं है, हर चीज की कीमत चुकानी होती है, बस यही है कि इसका अंदाजा अपना रकम गंवाने के बाद हो पा रहा है। साइबर अपराध को आज भी लोग ज्यादा ध्यान नहीं देते हैं और अपनी व्यक्तिगत जानकारियां साझा कर ठगी के शिकार हो रहे हैं। इससे बचने के लिए गोरखपुर पुलिस ने सेफ्टी डाटा प्लान तैयार किया है, कोशिश की जा रही है यह जानकारियां सभी तक पहुंचा दी जाए।