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Gorakhpur News: अवैध पार्किंग पकड़ी, फिर धंधेबाज से कहा- तुम्हीं चलाओ
संवाद न्यूज एजेंसी, गोरखपुर।
Published by: vivek shukla
Updated Tue, 05 Dec 2023 02:43 PM IST
सार
अपर नगर आयुक्त निरंकार सिंह ने कहा कि नगर निगम की तरफ से टेंडर फाइनल होने तक मेसर्स प्रमोद कुमार दूबे से ही पार्किंग का संचालन करवाया जा रहा। जितने दिन अवैध तरीके से संचालन हुआ, उस समयावधि का शुल्क जमा करवाया गया है।
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सांकेतिक तस्वीर।
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
सिविल लाइंस स्थित नगर निगम की जमीन पर जिस संचालक को अवैध ढंग से पार्किंग शुल्क वसूलते 17 नवंबर को पकड़ा गया था, नगर निगम ने उसे ही टेंडर फाइनल होने तक पार्किंग शुल्क वसूलने का जिम्मा सौंप दिया है। हालांकि संचालक से इस दौरान के लिए 1.65 लाख रुपये कर भी जमा करवाया गया। चर्चा है कि पहले अवैध बताकर नगर निगम ने कार्रवाई की और अब मजबूरी बताकर उसी को संचालन का जिम्मा सौंप दिया।
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दरअसल, नगर निगम की टीम ने सिटी माल के सामने नजूल की भूमि पर संचालित पार्किंग का निरीक्षण किया था। बकौल अपर नगर आयुक्त मौके पर अवैध रूप से पार्किंग शुल्क वसूला जा रहा था। टीम को देखते ही संचालक व उसके सहयोगी भागने लगे थे। टीम ने दौड़ाकर दो-तीन लोगों को पकड़ा था, जिनके पास से रेलवे कार पार्किंग लिखी पर्ची की दो गड्डियां मिलीं थीं। पर्चियों पर 40 रुपये शुल्क भी दर्ज थे।
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अपर नगर आयुक्त ने दावा किया था कि निगम की ओर से वर्तमान में वहां किसी को भी पार्किंग स्टैंड का ठेका नहीं दिया गया है। जबकि, विस्तृत जांच में यह सामने आया है कि प्रशासन की ओर से पिछले साल एक साल के लिए टेंडर निकाला गया था मगर पांच महीने पहले ही अनुबंध की अवधि खत्म हो गई थी और तब से संचालक द्वारा अवैध तरीके से वसूली की जा रही थी।
नगर निगम ने कार्रवाई के बाद इस समय अवधि का आंकलन किया और संचालक से 1.65 लाख रुपये की वसूली करवा ली। वहीं, अब नगर निगम का दावा है कि पार्किंग का टेंडर निकाल दिया गया है। निविदा अधिक राशि देने वाले को एक साल के लिए स्टैंड आवंटित कर दिया जाएगा। तब तक इसके संचालन और अर्जित आय के हिस्से को नगर निगम में जमा करवाना होगा।
व्यापारियों ने कहा, तब शुल्क ही जमा करवा लेते
नाम न छपने की शर्त पर व्यापारियों ने कहा कि अगर शुल्क जमा करवा टेंडर का संचालन उसी ठेकेदार से करवाना था, तो अवैध बताकर कार्रवाई करने की क्या जरूरत थी। इसी शर्त नियम पर उससे पहले से ही शुल्क जमा करवा लेते। अगर कार्रवाई की तो फिर संचालन क्यों दिया? क्या ठेकेदार संचालन के बदले कमाई का कुछ हिस्सा रखकर संचालित कर रहा? अगर वापस इसी फर्म को ठेका मिल गया तो इस कार्रवाई का क्या मतलब हुआ।
कोट
अपर नगर आयुक्त निरंकार सिंह ने कहा कि नगर निगम की तरफ से टेंडर फाइनल होने तक मेसर्स प्रमोद कुमार दूबे से ही पार्किंग का संचालन करवाया जा रहा। जितने दिन अवैध तरीके से संचालन हुआ, उस समयावधि का शुल्क जमा करवाया गया है। इतने कम दिनों के लिए अब बाहरी या किससे संचालन करवाया जाता?
व्यापारियों ने कहा, तब शुल्क ही जमा करवा लेते
नाम न छपने की शर्त पर व्यापारियों ने कहा कि अगर शुल्क जमा करवा टेंडर का संचालन उसी ठेकेदार से करवाना था, तो अवैध बताकर कार्रवाई करने की क्या जरूरत थी। इसी शर्त नियम पर उससे पहले से ही शुल्क जमा करवा लेते। अगर कार्रवाई की तो फिर संचालन क्यों दिया? क्या ठेकेदार संचालन के बदले कमाई का कुछ हिस्सा रखकर संचालित कर रहा? अगर वापस इसी फर्म को ठेका मिल गया तो इस कार्रवाई का क्या मतलब हुआ।
कोट
अपर नगर आयुक्त निरंकार सिंह ने कहा कि नगर निगम की तरफ से टेंडर फाइनल होने तक मेसर्स प्रमोद कुमार दूबे से ही पार्किंग का संचालन करवाया जा रहा। जितने दिन अवैध तरीके से संचालन हुआ, उस समयावधि का शुल्क जमा करवाया गया है। इतने कम दिनों के लिए अब बाहरी या किससे संचालन करवाया जाता?
