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अमेठी में गांधी VS गांधी: जनता को चुनना पड़ा दो में से एक गांधी, जानिए किस पर लोगों ने जताया अपना भरोसा
इरफान गाजी, अमर उजाला अमेठी
Published by: रोहित मिश्र
Updated Mon, 01 Apr 2024 03:45 PM IST
सार
Amethi Lok Sabha: अमेठी का एक लोकसभा चुनाव ऐसा भी रहा जब जनता को दो में से एक गांधी को चुनना पड़ा। राजीव गांधी के सामने संजय गांधी की पत्नी मेनका गांधी चुनावी मुकाबले में थीं। जानिए इस चुनाव का रोचक किस्सा।
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अमेठी में राजीव के सामने मेनका गांधी
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
विमान हादसे में पति संजय के निधन से सूनी मांग। गोद में मासूम वरुण। सास इंदिरा की हत्या। विकट हालात में पति की विरासत संभालने की उम्मीद लिए मेनका गांधी 1984 में राजीव के विरुद्ध अमेठी में उतरीं तो गांधी बनाम गांधी से चुनावी रोमांच चरम पर था। एक तरफ मेनका के प्रति सहानुभूति थी तो वहीं दूसरी ओर राजीव गांधी के पक्ष में मजबूत लहर। मेनका को सुनने और देखने सभाओं में भीड़ तो खूब उमड़ी, लेकिन इसे वोट में तब्दील राजीव ने किया। इंदिरा गांधी की हत्या के बाद लोकसभा चुनाव का मौका था। अमेठी में कांग्रेस से राजीव गांधी मैदान में थे।
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उनके मुकाबिल मेनका गांधी चुनाव में डट गईं। इससे कांग्रेस के रणनीतिकारों की चिंता बढ़ गई। गांधी परिवार की बहू ने शुरुआत में जिस तरह से ताबड़तोड़ सभाएं और बैठकें करके माहौल बनाया उसे राजीव गांधी की जीत मुश्किल लगने लगी। ऐसे में पूरे देश की नजरें अमेठी चुनाव पर टिक गईं। स्थानीय नेता व कार्यकर्ता भी पशोपेश में पड़े। कुछ सालपहले जो संजय गांधी के हमराह हुआ करते थे वे अब राजीव गांधी के साथ थे,लेकिन मेनका की एंट्री ने उन्हें खेमों में बांट दिया। इंदिरा गांधी की हत्या के फौरन बाद हुए चुनाव से कांग्रेस के पक्ष में जबरदस्त लहर थी। ऐसे में पुराने कांग्रेसियों का झुकाव राजीव गांधी की ओर था। एक तरफ कांग्रेस की सत्ता, जबरदस्त लहर थी और दूसरी तरफ मेनका और पति संजय के करीबी लोगों का साथ। नित नए समीकरण बन रहे थे। रोज नए नारे भी गढ़े जा रहे थे। दीवारें नारों से पटी थीं। कांग्रेसियों का जोश उफान पर था।
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मेनका के विरुद्ध लिखे नारे मिटवाए
वयोवृद्ध कांग्रेसी ईश्वर शरण बताते हैं कि मेनका गांधी के खिलाफ किसी ने दीवारों पर नारा लिख दिया था। पता चला तो राजीव गांधी नाराज हो गए। इसपर सोनिया गांधी ने अपने करीबी लोगों को भेजकर रात में टार्च की रोशनी में उन नारों को दीवारों से साफ कराया।
और बूथ कैप्चरिंग विवाद
मतदान के दौरान रामगढ़ में बूथ कैप्चरिंग की सूचना मिली। मेनका गांधी अपने करीबी जेएन मिश्र व अकबर अहमद डंपी के साथ मौके पर पहुंचीं। वहां विरोध दर्ज करते हुए धरने पर बैठ गईं। तब विपक्षियों ने उनसे अभद्रता कर दी। अकबर अहमद डंपी की रिवाल्वर तक छीन ली गई। बाद में किसी तरह मामला शांत हुआ।
कुछ ने परिवार की तल्खी भी बढ़ाई...
ईश्वर शरण बताते हैं कि चुनाव के बहाने गांधी परिवार की तकरार और रिश्तों की खाई को और चौड़ा करने के लिए कुछ लोगों ने अपनी राजनीतिक रोटियां भी सेंकी। मेनका गांधी के खिलाफ अभद्रटिप्पणी करते हुए मनगढ़ंत नारे बना कर रातों रात दीवारों पर लिखवा दिए गए,ताकि मेनका के मन में सोनिया व राजीव गांधी के लिए नफरत और बढ़ जाए। कुछ लोग मेनका गांधी के करीबी बन कर भी दोनों परिवारों में तल्खी बढ़ाने का काम कर रहे थे।
क्या गया राजीव के पक्ष में
राजीव गांधी की जीत के पीछे उनकी शालीनता, जनसमर्थन, पार्टी और सहानुभूति थी।
क्या गया मेनका के विपक्ष में
मेनका गांधी को परिवार व पार्टी से बगावत, नाराजगी व सख्त तेवर के कारण समर्थन नहीं मिल सका।