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Mandla News: रामनगर में आदि उत्सव का भव्य आयोजन, जनजातीय संस्कृति और गौरव को मिली नई पहचान
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, मंडला
Published by: मंडला ब्यूरो
Updated Sun, 04 May 2025 09:30 PM IST
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सार
Mandla: मुख्यमंत्री साय ने अपने संबोधन में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में जनजातीय समाज के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं, जिनमें जनजातीय गौरव दिवस, धरती आबा योजना, जनमन आवास योजना प्रमुख हैं।

मंच पर मौजूद छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय
- फोटो : अमर उजाला डिजिटल
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विस्तार
मंडला जिले के रामनगर में आयोजित आदि उत्सव कार्यक्रम ने जनजातीय समाज की समृद्ध संस्कृति, परंपरा और इतिहास को एक मंच पर प्रस्तुत कर पूरे समाज को गौरवान्वित किया। इस कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए और उन्होंने जनजातीय समाज के योगदान को रेखांकित करते हुए कहा कि यह आयोजन जनजातीय समाज के लिए गौरव का महाकुंभ है।
मुख्यमंत्री साय ने चौगान स्थित मढ़िया में पूजा-अर्चना कर प्रदेशवासियों की सुख-समृद्धि की कामना की और जनजातीय समाज के महापुरुषों जैसे रानी दुर्गावती, राजा शंकरशाह व कुंवर रघुनाथशाह को श्रद्धांजलि अर्पित की, जिन्होंने मातृभूमि की रक्षा में अपने प्राण न्योछावर किए।
इस अवसर पर गोंडवाना ध्वजारोहण, लोकनृत्य, लोकगीत, और अन्य सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के साथ भव्य स्वागत किया गया। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री साय के अलावा केन्द्रीय जनजातीय मंत्री जुएल ओराम, राष्ट्रीय अनुसूचित जनजातीय आयोग अध्यक्ष अंतर सिंह आर्य, मध्यप्रदेश की लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री संपतिया उइके, और कई अन्य जनप्रतिनिधि व अधिकारी मौजूद रहे।
मुख्यमंत्री साय ने अपने संबोधन में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में जनजातीय समाज के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं, जिनमें जनजातीय गौरव दिवस, धरती आबा योजना, जनमन आवास योजना प्रमुख हैं। उन्होंने कहा कि भारत सरकार जनजातीय क्षेत्रों के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, बिजली और पानी को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रही है।
कार्यक्रम में सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते ने बताया कि गोंडवाना साम्राज्य की समृद्ध विरासत, जैसे मोतीमहल, बेगम महल और नागपुर नगर की स्थापना, जनजातीय गौरव की मिसाल हैं। उन्होंने चौगान स्थित देव मढ़िया को जनजातीय आस्था का प्रमुख केंद्र बताया।
पढ़ें: कूडो वर्ल्ड कप में सागर के सोहेल करेंगे भारतीय टीम का नेतृत्व, बुल्गारिया में आयोजित होगी प्रतियोगिता
आदि उत्सव में मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह/निकाह योजना, ट्राईबल मिलेट फेस्टिवल, स्वास्थ्य शिविर, दिव्यांग शिविर, और आदिवासी संगोष्ठियों का आयोजन भी हुआ, जिससे जनजातीय समाज को एक मंच पर एकजुट होकर अपनी सांस्कृतिक पहचान साझा करने का अवसर मिला।
यह आयोजन पिछले सात वर्षों से आयोजित हो रहा है और इस बार इसे और भी भव्य रूप में प्रस्तुत किया गया है। यह आयोजन न केवल सांस्कृतिक जागरूकता बढ़ाने में सहायक है, बल्कि जनजातीय समाज को एक नई पहचान और गौरव भी प्रदान कर रहा है।

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मुख्यमंत्री साय ने चौगान स्थित मढ़िया में पूजा-अर्चना कर प्रदेशवासियों की सुख-समृद्धि की कामना की और जनजातीय समाज के महापुरुषों जैसे रानी दुर्गावती, राजा शंकरशाह व कुंवर रघुनाथशाह को श्रद्धांजलि अर्पित की, जिन्होंने मातृभूमि की रक्षा में अपने प्राण न्योछावर किए।
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इस अवसर पर गोंडवाना ध्वजारोहण, लोकनृत्य, लोकगीत, और अन्य सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के साथ भव्य स्वागत किया गया। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री साय के अलावा केन्द्रीय जनजातीय मंत्री जुएल ओराम, राष्ट्रीय अनुसूचित जनजातीय आयोग अध्यक्ष अंतर सिंह आर्य, मध्यप्रदेश की लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री संपतिया उइके, और कई अन्य जनप्रतिनिधि व अधिकारी मौजूद रहे।
मुख्यमंत्री साय ने अपने संबोधन में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में जनजातीय समाज के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं, जिनमें जनजातीय गौरव दिवस, धरती आबा योजना, जनमन आवास योजना प्रमुख हैं। उन्होंने कहा कि भारत सरकार जनजातीय क्षेत्रों के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, बिजली और पानी को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रही है।
कार्यक्रम में सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते ने बताया कि गोंडवाना साम्राज्य की समृद्ध विरासत, जैसे मोतीमहल, बेगम महल और नागपुर नगर की स्थापना, जनजातीय गौरव की मिसाल हैं। उन्होंने चौगान स्थित देव मढ़िया को जनजातीय आस्था का प्रमुख केंद्र बताया।
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आदि उत्सव में मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह/निकाह योजना, ट्राईबल मिलेट फेस्टिवल, स्वास्थ्य शिविर, दिव्यांग शिविर, और आदिवासी संगोष्ठियों का आयोजन भी हुआ, जिससे जनजातीय समाज को एक मंच पर एकजुट होकर अपनी सांस्कृतिक पहचान साझा करने का अवसर मिला।
यह आयोजन पिछले सात वर्षों से आयोजित हो रहा है और इस बार इसे और भी भव्य रूप में प्रस्तुत किया गया है। यह आयोजन न केवल सांस्कृतिक जागरूकता बढ़ाने में सहायक है, बल्कि जनजातीय समाज को एक नई पहचान और गौरव भी प्रदान कर रहा है।