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Ujjain News: शिवसम्भवम में कलाकारों ने की शिव वंदना, गायन, वादन और नृत्य से शिवमयी हुआ श्रावण महोत्सव
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, उज्जैन
Published by: उज्जैन ब्यूरो
Updated Sun, 04 Aug 2024 02:45 PM IST
सार
महोत्सव की पहली प्रस्तुति में पुणे की नम्रता गायकवाड और प्रमोद गायकवाड ने भगवान शिव की आराधना में शहनाई वादन किया। राग श्याम कल्याण से प्रारम्भ हुई इस प्रस्तुति का समापन भजन से हुआ। इस दौरान शहनाई पर हितेश सालुके और तबले पर सागर ने संगत की।
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श्रावण के दूसरे शनिवार पर इस तरह दी गई प्रस्तुति
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विस्तार
श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के तत्वावधान में आयोजित 19वें अखिल भारतीय श्रावण महोत्सव 2024 के दूसरे दिन की संध्या में दीप प्रज्ज्वलन के साथ विभिन्न सांस्कृतिक प्रस्तुतियों का आयोजन हुआ। इस अवसर पर पुणे की नम्रता गायकवाड और प्रमोद गायकवाड द्वारा शहनाई वादन, उज्जैन के शर्मा बंधुओं का गायन और मुंबई की निकिता बनावलीकर की कथक प्रस्तुति आकर्षण का केंद्र रही।
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कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलन कर मंदिर प्रबंध समिति के सदस्य राजेंद्र शर्मा गुरुजी, सहायक प्रशासनिक अधिकारी आरके तिवारी और श्रावण महोत्सव के आयोजकों की ओर से किया गया। इसके बाद अतिथियों ने सभी कलाकारों और सहयोगियों का स्वागत किया और उन्हें सम्मानित किया।
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महोत्सव की पहली प्रस्तुति में पुणे की नम्रता गायकवाड और प्रमोद गायकवाड ने भगवान शिव की आराधना में शहनाई वादन किया। राग श्याम कल्याण से प्रारम्भ हुई इस प्रस्तुति का समापन भजन से हुआ। इस दौरान शहनाई पर हितेश सालुके और तबले पर सागर ने संगत की।
दूसरी प्रस्तुति में शर्मा बंधुओं ने राग यमन में 'देव देव महादेव' से शुरुआत की। इसके बाद राग शिवरंजनी में 'बरसे बदरिया सावन की', राग मालकौंस में 'जय महेश जटा जूट, कंठ सोहे काल कूट', और अंत में राग दरबारी में 'राम जपें शिव जी का नाम, शिवजी जपते सदा श्री राम' का गायन किया। इस दौरान गायक कलाकार पंडित राजीव शर्मा, पंडित मुकेश शर्मा, पंडित शैलेश शर्मा, और पंडित मिथिलेश शर्मा थे, और संगतकारों में वायलिन पर रवीन्द्र राव, की-बोर्ड पर अभिषेक सिंह चौहान, तबला पर अरूण कुशवाह, ढोलक पर अखिलेश शर्मा और ऑक्टोपैड पर हरीश शेर ने संगत की।
महोत्सव की अंतिम प्रस्तुति के रूप में मुंबई की प्रख्यात कथक नृत्यांगना निकिता बनावलीकर ने कथक नृत्य के माध्यम से शिव आराधना की। उन्होंने शिव स्तुति से आरंभ करते हुए पारंपरिक तीन ताल में उठान, आमद, परमेलु, परन, तत्कार आदि का समावेश किया। भाव पक्ष में कथक के आदि देव कृष्ण और राधा पर आधारित ठुमरी की प्रस्तुति के साथ महोत्सव का समापन हुआ। इस प्रस्तुति में श्री तनय रेगे ने तबले पर, सुश्री शुभदा गायकवाड़ ने संवादिनी पर और आदित्य आप्टे ने गायन पर संगत की। मंच संचालन दीपक कोडपे द्वारा किया गया।

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