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क्या आपको पता है: लोन की किस्त भरने तक कौन है कार का असली मालिक?

ऑटो डेस्क, अमर उजाला Published by: श्रीधर मिश्रा Updated Sun, 04 Oct 2020 04:30 PM IST
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Do you know who is the owner of the car until the loan installment is completed?
सांकेतिक - फोटो : Amar Ujala

क्या आपको पता है कि लोन की किस्त पूरी नहीं होने तक गाड़ी का मालिक कौन है? यह सवाल इसलिए जरूरी है, क्योंकि देश की सबसे बड़ी अदालत ने कहा है कि कर्ज की किस्तें पूरी होने तक वाहन का मालिक केवल फाइनेंसर ही रहेगा। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में साफ कहा है कि अगर लोन की किस्तों में डिफॉल्ट होने पर फाइनेंसर वाहन पर कब्जा कर लेता है, तो यह अपराध नहीं माना जाएगा।

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सांकेतिक - फोटो : Unsplash

क्या है पूरा मामला?


कोर्ट का फैसला उस केस में आया है, जहां अम्बेडकर नगर के रहने वाले राजेश तिवारी ने साल 2003 में महिंद्रा मार्शल गाड़ी को फाइनेंस पर खरीदा था। तिवारी ने इस कार के लिए एक लाख रुपये का डाउनपेमेंट किया था और बाकी की शेष राशि को लोन पर कर दिया। 

इस गाड़ी पर उन्हें हर महीने 12,531 रुपये का किस्त भरना था। ग्राहक ने शुरुआत के सात महीनों तक गाड़ी की किस्त भरी लेकिन इसके बार की किस्त को वो भर नहीं पाए। पांच महीने तक फाइनेंसिंग कंपनी ने इंतजार किया, लेकिन फिर भी जब तिवारी किस्त नहीं भर पाए तब कंपनी ने उनकी कार उठवा ली।

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सांकेतिक - फोटो : Unsplash

उपभोक्ता कोर्ट में दर्ज हुआ केस


किस्त न भरने पर फाइनेंसिंग कंपनी ने ग्राहक की गाड़ी उठवा ली और फिर उसे बेच दिया। ग्राहक को जब इसकी जानकारी मिली तब उसने जिला उपभोक्ता अदालत में केस दर्ज कर दिया।

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सांकेतिक - फोटो : Unsplash

उपभोक्ता कोर्ट ने फाइनेंसर पर लगाया था जुर्माना


ग्राहक के अपील के बाद उपभोक्ता कोर्ट ने फाइनेंसर को दो लाख 23 हजार रुपये का हर्जाना अदा करने का आदेश दिया था। कोर्ट का कहना था कि फाइनेंसर ने बिना नोटिस दिए ग्राहक की गाड़ी उठवा ली। कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी कहा किफाइनेंसर ने ग्राहक को किस्त भरने के लिए पूरा मौका नहीं दिया।

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सांकेतिक - फोटो : Unsplash

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?


सुप्रीम कोर्ट ने फाइनेंसर की अपील को स्वीकार करते हुए उस पर राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग की तरफ से लगाए गए जुर्माने को रद्द कर दिया। 

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि गाड़ी को खरीदने वाला डिफॉल्टर था, जिसने खुद माना कि वह सात किस्त ही चुका पाया। कोर्ट ने कहा कि फाइनेंसर ने 12 महीने के बाद गाड़ी को कब्जे में लिया। हालांकि, एंग्रीमेंट में नोटिस देने का प्रावधान था, जिसको तोड़ने पर फाइनेंसर को 15000 रुपये का जुर्माना भरना होगा।

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