महिलाओं की अंगुलियों में अगर अलनर या वर्ल लूप है तो उन्हें स्तन कैंसर का खतरा हो सकता है। बाबा राघव दास (बीआरडी) मेडिकल कॉलेज के एनाटमी विभाग के शोध में इसका खुलासा हुआ है। 290 महिलाओं पर हुए इस शोध में 145 सामान्य और 145 कैंसर पीड़ित महिलाओं को शामिल किया गया था।
Exclusive: हाथ की लकीरों से स्तन कैंसर की हुई पहचान, 290 महिलाओं पर हुए शोध में आया सामने
डॉ. सज्जाद जफर ने बताया कि हाथों की रेखाएं केवल लोगों का भविष्य ही नहीं बतातीं, बल्कि यह बीमारियों की भी सटीक जानकारी देती हैं। इन्हीं जानकारियों के लिए बीआरडी मेडिकल कॉलेज में 145 ऐसी महिलाओं पर शोध शुरू किया गया, जिनको स्तन कैंसर था और वह मेडिकल कॉलेज में रेडियोथेरेपी के लिए आतीं थीं। इन महिलाओं के अंगुलियों की लकीरों की जांच में चौंकाने वाली जानकारियां मिलीं। इनमें लगभग 93 फीसदी महिलाओं में अलनर या वर्ल लूप में रेखाएं मिलीं। जबकि सामान्य 145 महिलाओं की रेखाएं रेडियल और डबल लूप में मिलीं। शोध में शामिल महिलाओं और युवतियों की उम्र 25 से 70 वर्ष के बीच है। डॉ. सज्जाद ने बताया कि यह शोध जनरल ऑफ द एनाटॉमिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया में भी प्रकाशित हो चुका है।
1450 अंगुलियों की ली गई थी छाप
डॉ. सज्जाद ने बताया कि स्तन कैंसर से पीड़ित 145 महिलाओं की 1450 अंगुलियों की छाप शोध के लिए ली गई थी। चौंकाने वाली बात यह थी कि इन महिलाओं की सबसे छोटी उंगली की तरफ बाकी अंगुलियों की रेखाएं झुकी हुईं थीं। ऐसा केवल अलनर और वर्ल लूप में देखने को मिलता है। जबकि सामान्य 145 महिलाओं के 1450 अंगुलियों की छाप में दोनों लूप नहीं दिखे।
गर्भ में ही बन जाती हैं रेखाएं
डॉ. सज्जाद ने बताया कि हाथ और अंगुलियों की रेखाएं गर्भ में ही बन जाती हैं। यह पूरे जीवन कभी नहीं बदली जा सकती हैं। इनमें बदलाव तभी संभव है जब हाथ जल जाए या फिर हाथों की अंगुलियों में कोई गंभीर बीमारी हो जाए। तभी कुछ रेखाएं बदलती हैं। इसके अलावा कोई भी रेखाएं नहीं बदलती है।
आर्च लूप- रेखाएं टीले जैसी आकृति बनाती है।
वर्ल लूप- रेखाएं भवर जैसी आकृति बनाती है।
अल्नर लूप- रेखाओं का झुकाव कानी अंगुली की तरफ होता है।
रेडियल लूप- रेखाओं का झुकाव अंगूठे की तरफ होता है।
डबल लूप- रेखाओं का झुकाव एक-दूसरे से जुड़ा दिखता है।
कंपोजिट लूप- इसमें आर्च व वर्ल लूप का मिश्रण होता है।