गोरखपुर जिले में विनोद वन से शहीद अशफाक उल्लाह खां प्राणि उद्यान (चिड़ियाघर) ले जाने के लिए हिरण को पकड़ने में वनकर्मियों ने बेरहमी की सारी की हदें पार कर दीं। यही नहीं, बर्बरता का वीडियो भी बनाया और इसे वायरल भी कर दिया। इससे वन्य जीव प्रेमियों में नाराजगी है। कर्मचारियों की इस हरकत से वन विभाग के अधिकारी भी हैरान हैं। हालांकि कर्मचारियों को बचाने के लिए अधिकारी तर्क पेश कर रहे हैं कि हिरण हिंसक हो गया था, काबू करने के लिए सख्ती करनी पड़ी।
वीडियो वायरल: हिरण को काबू करने में बेरहम हो गए वनकर्मी, तस्वीरें देखकर कांप जाएगी रूह
वन विभाग सूत्रों के मुताबिक इनमें से एक हिरण काफी बेचैन और हमलावर हो गया। उसने दूसरे हिरणों को मारना शुरू कर दिया। इस पर उसे अलग करने का निर्णय लिया गया। वनकर्मियों ने इस पर हिरण को काबू करने के लिए बेरहमी की हदें पार कर दीं। एक कर्मी ने हिरण की गर्दन पर पैर रखा और हाथ से मुंह को दबा उसे बेबस किया। अन्य कर्मचारियों ने हिरण के अगले और पिछले पैरों को ऐसा जकड़ा कि उसे सांस लेने में दिक्कत होने लगी। इस बीच हिरण को प्रशांतक (ट्रैंक्वलाइजर) का इंजेक्शन देकर बेहोश कर दिया गया। वहीं किसी कर्मचारी ने इसका वीडियो बनाकर वायरल कर दिया।
डीएफओ अविनाश कुमार ने कहा कि वायरल वीडियो आश्चर्यजनक है। किसी भी वन्य जीव के साथ ऐसा बर्बर बर्ताव किया जाना गलत है। विनोद वन, वन विभाग के अधिकार क्षेत्र में आता है, यहां से हिरण पकड़कर प्राणि उद्यान ले जाए गए हैं। हिरण से इस तरह का व्यवहार उचित नहीं है। रेंजर से जवाब मांगा जाएगा। इस तरह के वीडियो वायरल होना विभाग की छवि को धूमिल करता है।
हिरण को बेरहमी से पकड़े जाने का वीडियो वायरल होने पर वन विभाग और उद्यान विभाग की कार्यशैली पर सवाल उठ रहे हैं। लोगों का कहना है कि वन्य जीव संरक्षित श्रेणी में आते हैं। केंद्रीय प्राणि उद्यान के नियम कहते हैं कि पशु को काबू करने में मजबूरी में यदि सख्ती करनी पड़े तो उसे गोपनीय रखा जाता है। ऐसे में वीडियो बनाकर वायरल करना गलत संदेश देता है। कोई भी व्यक्ति मुख्य, वन्य जीव प्रबंधक या प्राधिकृत अधिकारी की पूर्व लिखित अनुमति के बिना वन्य जीवों को कब्जे, हिरासत, नियंत्रण, स्थानांतरण, उपहार, बिक्री आदि नहीं कर सकता। इसके अलावा पशुओं केे पिंजड़े में कैद नहीं कर सकता। यह वन्य प्राणि संरक्षण अधिनियम का उल्लंघन माना जाता है।