आज हम आपको उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले के एक ऐसे शख्स के बारे में बताने जा रहे हैं। जिसके पिता डकैतों से मुठभेड़ करते हुए शहीद हो गए थे। उस घटना को जानकर शख्स ने अपराधियों को सबक सिखाने के लिए पुलिस में भर्ती होने की ठान ली। कड़ी मेहनत और संघर्षों के बीच उसने अपना लक्ष्य हासिल कर लिया। आगे की स्लाइड्स में पढ़िए पूरी कहानी...
जानकारी के अनुसार, जिले में अगस्त माह 2020 में पुलिस और बदमाशों के बीच मुठभेड़ हुई थी। मुठभेड़ में दो बदमाशों के पैर में गोली लगने के बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था। इस मुठभेड़ में एक खास शख्स मौजूद था, जिसका नाम रविश यादव है। रविश के लिए यह दिन यादगार हो गया।
रवीश एक वर्ष का ही था जब उसके पिता जंगल पार्टी के डकैतों से मुठभेड़ करते हुए शहीद हो गए थे। बड़ा होने पर पिता की वीरगाथा सुनी तो उसने भी पुलिस में भर्ती होने की ठान ली। साढ़े तीन साल पहले यूपी पुलिस में बतौर कांस्टेबल भर्ती हुआ और अब कुशीनगर जिले के रामकोला थाने में तैनाती है।
कुशीनगर जिला बनने के कुछ ही महीने बाद 30 अगस्त 1994 की रात में कुबेरस्थान थाना क्षेत्र के पचरुखिया के पास बांसी नदी में पुलिस और जंगल डकैतों के बीच मुठभेड़ हुई थी। उस मुठभेड़ में जिले के एनकाउंटर स्पेशलिस्ट दारोगा अनिल कुमार पांडेय समेत छह पुलिसकर्मी शहीद हुए थे। उन पुलिस कर्मियों में एक नाम विश्वनाथ यादव का भी था। विश्वनाथ यादव का बेटा रवीश भी यूपी पुलिस का सिपाही है।
रवीश ने कहा कि जब उसके पिता शहीद हुए थे उसकी उम्र महज एक वर्ष की थी। स्कूल जाने की उम्र में उसे पता लगा कि बदमाशों ने उससे पिता का साया छीन लिया है तभी से उसके मन में यह प्रबल इच्छा रही कि वह भी पुलिस में भर्ती होकर अपराधियों का सफाया करेगा। वर्ष 2017 में पुलिस की वर्दी पहनने के बाद अगस्त 2020 में पहला मौका मिला जब उसने अपराधियों से मुठभेड़ में हिस्सा लिया और सफलता पूर्वक दो बदमाश पकड़े भी गए।