संतकबीरनगर जिले के दुधारा क्षेत्र के बस्ती-बस्ता गांव में एक साथ तीन किशोरों का जनाजा निकला तो पूरा गांव रो पड़ा। त्योहार के अवसर पर हुई दुर्घटना ने सभी को रुला दिया। गांव में हर तरफ सिर्फ चींखें सुनाई दे रहीं थीं। बुधवार की देर शाम बड़ी संख्या में क्षेत्रवासियों की मौजूदगी में तीनों किशोरों के शवों को गांव के कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-खाक किया गया। जनाजे में शामिल हर व्यक्ति गमजदा था और घटना पर अफसोस जता रहा था।
संतकबीरनगर: एक साथ तीन किशोरों का निकला जनाजा तो रो पड़ा गांव, कब्रिस्तान में किया गया सुपर्द-ए-खाक
हर आंखें नम थीं और सभी घटना पर जता रहे थे अफसोस
इनमें से घायल तौसीद पुत्र स्वर्गीय साबिर अली की हॉस्पिटल में इलाज के दौरान मौत हो गई थी। अन्य पांच घायलों की हालत गंभीर होने पर चिकित्सकों ने मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया था। बाद में दो और घायल मोहम्मद आरिफ पुत्र वाहिद अली और सुल्तान अहमद पुत्र अजमत की मौत हो गई थी। बुधवार को दोपहर बाद तीनों किशोरों के शवों का पोस्टमार्टम हुआ। शाम करीब तीन बजे तीनों शव को एक साथ गांव के मदरसे पर ले जाया गया। उसके बाद में तीनों शवों को अंतिम दर्शन के लिए उनके घर ले जाया गया। शाम में पांच बजे मदरसे के प्रांगण में सैकड़ों लोगों की मौजूदगी में जनाजे की नमाज अदा की गई। देर शाम तीनों शवों को गांव की कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-खाक किया गया। सब ने नम आंखों के साथ उन्हें अंतिम विदाई दी।
हादसे ने छीन ली पीड़ितों के घर की रौनक
दुर्घटना में मृतकों के परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल था। कल तक जो बच्चे घर की रौनक हुआ करते थे, मां-बाप जिन बच्चों के आंखों से ओझल होते ही परेशान हो जाया करते थे, वही मां-बाप उन्हें हमेशा के लिए विदा कर रहे थे। मोहम्मद आरिफ पुत्र वाहिद अली तीन संतानों में अपने मां-बाप का इकलौता बेटा था। बड़ी बहनें शबीना (17) और यासमीन (14) के बाद आरिफ तीसरे नंबर पर था। घर का इकलौता पुत्र और सबसे छोटा होने के कारण वह सबका चहेता था। आरिफ की मां जाहिदा खातून इकलौते पुत्र को खोने का सदमा बर्दाश्त नहीं कर पा रही थीं और बार-बार बेहोश हो जा रही थीं।
गांव के लोग और रिश्तेदार आरिफ की मां और उसकी दोनों बहनों को समझाने में जुटे थे, लेकिन उसके आंसू थमने के नाम नहीं ले रहे थे। सुल्तान अहमद पुत्र अजमत अली भी अपने चार भाई-बहनों में सबसे छोटा था। बड़ा भाई सोनू 20 वर्ष, मोनू 18 वर्ष और बहन रेहाना 16 वर्ष का रो-रो कर बुरा हाल था। सुल्तान की मौत मंगलवार की रात में ही हो गई थी, लेकिन उसकी मां को हृदय रोग है। इसलिए लोगों ने उसकी मौत की खबर छुपाए रखा और बुधवार देर शाम को उसे बताया गया। बेटे की मौत की खबर से मां के ऊपर मानों पहाड़ टूट पड़ा। इसी तरह तौसीफ पुत्र स्वर्गीय साबिर अली तीन भाइयों में सबसे छोटा था। उसकी मौत से विधवा मां का रो-रोकर बेहाल थी। बेटे की मौत का सदमा बर्दाश्त करना उसके लिए मुश्किल हो रहा था। तीनों परिवारों पर छाया मातम को देख कर गांव का हर शख्स गमजदा था। ग्रामीणों ने बताया कि हादसे के बाद गांव के बच्चे अपने साथियों को खो देने के सदमे से उबर नहीं पा रहे हैं।
अब भी सात घायल बच्चों का चल रहा है इलाज
दुर्घटना में घायल 11 में से सात बच्चों का अब भी इलाज चल रहा है। इनमें मोहम्मद कैफ पुत्र बशीर अहमद, मोहम्मद सैफ पुत्र नसीर अहमद, अहमद फ़ैज पुत्र मोहम्मद खालिद, मोहम्मद अरमान पुत्र जाहिद अली का गोरखपुर में इलाज चल रहा है। जबकि अहमद कमर पुत्र मोहम्मद हारुन और नौशाद अहमद पुत्र मोहम्मद उमर का जिला मुख्यालय पर इलाज चल रहा है।