प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को जैसे ही कुशीनगर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे का लोकार्पण किया, लोगों की आंखों में अच्छे दिन का सपना तैर गया। उन सपनों को भाषा देते हुए, अर्थशास्त्री प्रोफेसर कौस्तुभ नारायण मिश्र कहते हैं कि एक बड़ी परियोजना पूरे इलाके की तस्वीर बदल देती है। यह एयरपोर्ट कुशीनगर ही नहीं, पूर्वांचल के विकास को नया आयाम देगा। प्राकृतिक रूप से समृद्ध होने के बावजूद गरीबी, बीमारी और बेकारी का पर्याय बन चुके कुशीनगर के लिए बुधवार 20 अक्तूबर की तारीख उम्मीदों का नया सूरज लेकर आई। जहां के लोगों को कभी घेंघा रोग के चलते बऊक कहकर अपमानित किया जाता था, आज उनके इलाके में प्रधानमंत्री अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे का उद्घाटन करने पहुंचे थे।
वर्ष 1994 में देवरिया से अलग होकर अस्तित्व में आए कुशीनगर जिले में नौ चीनी मिलें थीं ,लेकिन सब जर्जर हो चुकी थीं। वर्ष 1996 के बाद एक-एक कर पडरौना, कठकुइयां, छितौनी, रामकोला व लक्ष्मीगंज की मिलें बंद हो गईं। कोल्ड स्टोरेज बंद होने के चलते किसानों ने आलू से भी मुंह मोड़ लिया। खेती पर आधारित उद्योगों की बदहाली के चलते यहां के नौजवानों को दिल्ली, मुंबई व सूरत के अलावा बड़ी संख्या में उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा व जम्मू-कश्मीर में कृषि मजदूर के रूप में कार्य करना पड़ रहा है।
इस जिले की खास पहचान भगवान बुद्ध की महापरिनिर्वाण स्थली पर पर्यटन उद्योग की अपार संभावनाएं हैं, लेकिन दुर्भाग्यवश इस पर भी ध्यान नहीं दिया गया। यहां हर साल करीब पांच लाख देशी व विदेशी पर्यटक आते तो हैं, लेकिन रात्रि विश्राम करने वालों की संख्या इसमें से कुछ हजार की ही है। इस नाते यहां का पर्यटन उद्योग भी कमजोर है। लेकिन, अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे का परिचालन शुरू होने के बाद विदेशी पर्यटकों का कुशीनगर आगमन बढ़ने के साथ ही यहां रात्रि विश्राम के अवसर भी बढ़ने की संभावना है। इससे पर्यटन उद्योग में तेजी आएगी।
आर्थिक स्थिति से बदलता है सामाजिक माहौल
बिरला धर्मशाला के प्रबंधक वीरेंद्र तिवारी कहते हैं कि अगर व्यक्ति के पास आय के स्रोत हैं तो उसके रहन सहन में बदलाव स्वत: ही दिखने लगता है। उसका सामाजिक दायरा भी बढ़ता है। यह नियम व्यक्ति, परिवार व राष्ट्र पर समान रूप से लागू होता है। कुशीनगर का एयरपोर्ट यहां के लोगों के जीवन में यही बदलाव लाएगा।
कुशीनगर को वास्तव में मिलेगी वैश्विक पहचान
व्यापारी संजय मारोदिया बताते हैं कि जब भी वे लोग व्यापारी के सिलसिले में देश के किसी बड़े शहर में जाते थे और वहां अपने क्षेत्र का नाम बताते थे तो अधिकांश बार कुशीनगर का लोकेशन पूछा जाता था, लेकिन अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा बन जाने के बाद अब यह संकट खत्म हो गया। अब कुशीनगर को वास्तव में वैश्विक पहचान मिलेगी।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी गोरखपुर कुशीनगर रविंद्र कुमार ने बताया कि में अभी जो पर्यटक आते हैं, उनमें से अधिकांश उसी दिन दूसरी जगह चले जाते हैं या यहां आते-आते इतना थक चुके होते हैं कि भगवान बुद्ध का दर्शन-पूजन कर आगे बढ़ जाते हैं। जब तक यहां पर्यटकों का रात्रि विश्राम नहीं होगा, होटल व अन्य कारोबार गति नहीं पकड़ेगा। कुशीनगर में अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा बन जाने पर अब पर्यटक यहां सीधे पहुंचेंगे और रात्रि विश्राम की अवधि भी बढ़ेगी। इससे पर्यटन क्षेत्र में उछाल आएगा।
बुद्ध पीजी कॉलेज कुशीनगर के अर्थशास्त्र के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. कौस्तुभ नारायण मिश्र ने बताया कि किसी भी क्षेत्र की सामाजिक स्थिति पर वहां रहने वालों की आर्थिक स्थिति का भी प्रभाव पड़ता है। आर्थिक तरक्की के लिए रोजगार बहुत जरूरी है। पर्यटन उद्योग ऐसा क्षेत्र है, जिसका तेजी से विकास हो रहा है। इसमें केवल घूमना भर शामिल नहीं है, बल्कि शैक्षिक, धार्मिक, आवासीय, चिकित्सा, परिवहन समेत कई बिंदु शामिल हैं। एक पर्यटन केंद्र कई हजार लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार देने की क्षमता रखता है।
चंद्रलोक गेस्ट हाऊस के मालिक अनुपम पाठक ने बताया कि कुशीनगर में पर्यटन उद्योग से लोगों को बड़ी उम्मीद है। मैत्रेय परियोजना जब शुरू हुई तो ऐसा लगा कि जल्दी ही यहां भी पर्यटकों की संख्या बढ़ेगी। इससे कारोबार की सुगमता के साथ ही आय भी बढ़ेगी। परंतु दुर्भाग्य से वह परियोजना धरातल पर नहीं उतरी। एयरपोर्ट चालू होने पर ही सारी उम्मीद टिकी है। यहां से नियमित उड़ान शुरू होने का कुशीनगर के होटल कारोबार पर सकारात्मक असर होगा।
प्रबंधक होटल लोटस के मालिक राजेंद्र मोहन गुप्ता ने बताया कि कुशीनगर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा कुशीनगर ही नहीं, पूर्वांचल के विकास को नया आयाम देगा। इस हवाई अड्डा के चालू होने पर विदेश के जो पर्यटक दिल्ली-मुंबई रुकते हुए कुशीनगर आते थे, अब वे यहां सीधे आएंगे। यात्रियों का समय बचेगा तो उसका उपयोग वह कुशीनगर में घूमने व ध्यान आदि में लगाएंगे। इससे होटल कारोबार को सीधा फायदा मिलेगा।