पति की दीर्घायु के लिए सुहागिनें आज करवा चौथ का व्रत रखी हैं। वाराणसी से प्रकाशित हृषिकेश पंचांग के अनुसार चार नवंबर को चतुर्थी तिथि का मान संपूर्ण दिन और रात दो बजकर आठ मिनट तक है।
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इस दिन मृगशिरा नक्षत्र होने से अमृत नाम का औदायिक योग भी निर्मित हो गया है जो पूरे दिन और रात्रि तीन बजे तक हैं। इस योग में पूजन से उत्तम फल की प्राप्ति होगी। चंद्रोदय रात में सात बजकर 57 मिनट पर होगा। इसी समय चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाएगा।
व्रत का महत्व
पंडित शरद चंद्र मिश्र के अनुसार यह व्रत कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चंद्रोदय व्यापिनी चतुर्थी के दिन किया जाता है। पति की दीर्घायु एवं अखंड सौभाग्य के लिए इस दिन चंद्रदेव के अलावा शिव परिवार की पूजा-अर्चना की जाती है।
करवा चौथ पर दिनभर उपवास रखकर रात में चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही भोजन या फलाहार का विधान है। यह व्रत केवल सुहागिनों को ही करने का विधान है। व्रत रख सुहागिनें अपने पति की लंबी आयु, स्वास्थ्य और सौभाग्य की कामना करती हैं।
ज्योतिर्विद पंडित नरेंद्र उपाध्याय के अनुसार सूर्योदय से पहले स्नान करें और व्रत का संकल्प लें। पूरे दिन निर्जल व्रत रख शाम को भगवान शिव-पार्वती, कार्तिकेय, गणेश और चंद्रमा का पूजन करें। करवा लें और उसमें लड्डू रखकर नैवेद्य अर्पित करें। एक लोटा, एक वस्त्र और दक्षिणा समर्पण करें। सविधि पूजन करें। करवा चौथ की कथा सुने या स्वयं वाचन करें। चंद्रमा के उदय होने पर चंद्रमा का पूजन कर अर्घ्य प्रदान करें। इसके पश्चात ब्राह्मण सुहागिनों को भोजन कराएं।