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Basti News: आवासीय भवन को ढहाया...अब होगा कामर्शियल निर्माण
संवाद न्यूज एजेंसी, बस्ती
Updated Mon, 24 Nov 2025 01:52 AM IST
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बीएसए भवन के सामने गांधीनगर मार्ग के किनारे ढहाया जा रहा जिला पंचायत भवन का ऊपरी तल।
- फोटो : 1
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बस्ती। गांधीनगर मुख्य मार्ग के किनारे स्थित पुराना नार्मल स्कूल (वर्तमान में बीएसए भवन) के सामने जिला पंचायत के भवन में तोड़फोड़ शुरू कर दिया गया है। इस भवन का ऊपरी तल अब मलबे में तब्दील हो गया है। ऊपरी तल पर बने आवासीय भवन में लंबे समय से रसूखदारों का कब्जा चला आ रहा था। जिला पंचायत की सख्ती के बाद लोगों को आवास खाली करने पड़े। मुख्य मार्ग के किनारे यह भवन पूरी तरह कामर्शियल बनाया जाएगा। ऊपरी तल पर आवास के बजाय दुकानों का निर्माण होगा। जिससे जिला पंचायत के आमदनी का स्रोत बढ़ सकें।
कभी नार्मल स्कूल के नाम से शहर की चर्चित बिल्डिंग और परिसर में इधर एक दशक में काफी बदलाव देखने को मिल रहा है। पुराना नार्मल स्कूल भवन और परिसर बेसिक शिक्षा विभाग और जिला पंचायत के बीच स्वामित्व के विवाद में फंसा है। पांच साल पहले एक नया बीएसए भवन बनकर तैयार हुआ। यह विभाग के प्रस्ताव पर शासन के बजट से निर्मित कराया गया है। नवीन भवन में बीएसए कार्यालय संचालित भी हाेने लगा। जबकि नार्मल स्कूल का पुराना भवन भी बेसिक शिक्षा विभाग के ही अधीन अभी है।
वहीं इस भवन के सामने मुख्य मार्ग पर एक दर्जन दुकानें बनी हैं। इसके ऊपर आधा दर्जन आवासीय निर्माण पुराने समय का था। जिला पंचायत ने इस पर अपना स्वामित्व बताते हुए ऊपरी तल के आवासीय भवनों को खाली करा लिया है। पिछले एक पखवाड़े से ऊपरी तल पर तोड़फोड़ का कार्य शुरू किया गया है। जिला पंचायत के अनुसार यह भवन भी काफी पुराना हो गया है। नीचे स्थित दुकान और ऊपर का आवासीय भवन जर्जर हो चुका है। इसके मरम्मत के लिए 25 लाख रुपये का प्रस्ताव पारित हुआ है।
आम चर्चा है कि जिला पंचायत अब ऊपर कामर्शियल निर्माण करने के फेर में हैं। नीचे की तरह ऊपरी तल पर दुकान बनने से इस भवन से आय का स्रोत बढ़ जाएगा। बताया जा रहा है कि भवन के भूतल पर स्थित दुकानदारों को पहले की तरह ही रहने दिया जाएगा। ऊपरी तल पर कामर्शियल निर्माण करके नए सिरे से आवंटन प्रक्रिया अपनाई जाएगी। जबकि पुराने किराएदारों में चर्चा है कि निर्माण कार्य पूर्ण होने के बाद आवंटन में उनको वरीयता मिलेगी।
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समूचा भवन तोड़ने पर बीडीए कर सकता था अड़ंगा
आम चर्चा है कि जिला पंचायत और बीडीए भवन निर्माण को लेकर तकरार न बढ़े इसीलिए इस कामर्शियल भवन को पूरा नहीं ढहाया गया है। मरम्मत के नाम पर ऊपरी तल को ही केवल ढहाया गया है। अब यहां नए सिरे से दुकानों का निर्माण कर दिया जाएगा। जानकार बताते हैं कि यदि पहले से आवासीय निर्माण है तो उसे कामर्शियल में तब्दील करने के लिए मानचित्र स्वीकृति कराना जरूरी होता है। इसमें बीडीए एक्ट का पूरा पालन होना चाहिए। शायद इससे बचने के लिए ही जिला पंचायत ने मरम्मत के बहाने तोड़फोड़ कर नए सिरे निर्माण शुरू कराया है।
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निजी भवनों हो जाते हैं सील
गांधीनगर के परवेज, दिनेश कुमार, राजकुमार आदि का कहना है कि मुख्य मार्ग के किनारे यदि निजी आवासीय भवन को समय बदलने के साथ कामर्शियल भवन में परिवर्तित करना है तो बीडीए से मानचित्र स्वीकृति कराना जरूरी होता है। निजी भवन मॉलिक यदि बगैर मानचित्र के भवन का स्वरूप बदलते हैं तो उसे सील कर दिया जाता है। इस तरह के कई मामले शहर में सामने आ चुके हैं। साल भर में लगभग एक दर्जन निर्माणाधीन भवन सील किए गए। बाद में जुर्माना देकर और मानचित्र स्वीकृति कराने के बाद ही निर्माण की अनुमति मिली।
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बारी-बारी से सभी भवनों को दिया जा रहा नया स्वरूप
जिला पंचायत अध्यक्ष संजय चौधरी ने बताया कि जिला पंचायत के अधीन शहर की अचल संपत्तियों पर स्थित पुराने भवन को बारी- बारी से नया स्वरूप दिया जा रहा है। पुराना जिला पंचायत अध्यक्ष कार्यालय भी ढहाकर अब नई अत्याधुनिक तकनीक की बिल्डिंग तैयार की जा रही है। इसके अलावा विकास भवन के बगल और न्याय मार्ग के निकट स्थित कुछ पुराने दुकानों को मरम्मत करके नया कर दिया गया है। जिसका आवंटन भी अभी पिछले दिनों हुआ है। जिला पंचायत अपने आय के निजी स्रोत बना रहा है। ग्रामीण अंचल के विकास में भी जिला पंचायत अग्रणी भूमिका निभा रहा है। केवल रुधौली विधानसभा क्षेत्र में 70 करोड़ से अधिक लागत का विकास कार्य हुआ है। जिले भर में सौ से अधिक सड़कों का निर्माण जिला पंचायत ने कराया है। मेरे कार्यकाल पहले कभी भी जिला पंचायत में इतने विकास कार्य नहीं हुए।
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कोट
बीएसए भवन के सामने जिला पंचायत के स्वामित्व में पुराने समय से बिल्डिंग है। जो काफी जर्जर अवस्था में हो गई थी। नीचे संचालित दुकानों में जर्जर भवन से हादसे का खतरा था। ऊपरी तल पर आवासीय भवन भी रहने लायक नहीं थे। इसीलिए उसे तोड़ करके नए सिरे से मरम्मत कार्य कराया जा रहा है।
-विजय कुमार वर्मा, अपर मुख्य अधिकारी, जिला पंचायत, बस्ती।
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कभी नार्मल स्कूल के नाम से शहर की चर्चित बिल्डिंग और परिसर में इधर एक दशक में काफी बदलाव देखने को मिल रहा है। पुराना नार्मल स्कूल भवन और परिसर बेसिक शिक्षा विभाग और जिला पंचायत के बीच स्वामित्व के विवाद में फंसा है। पांच साल पहले एक नया बीएसए भवन बनकर तैयार हुआ। यह विभाग के प्रस्ताव पर शासन के बजट से निर्मित कराया गया है। नवीन भवन में बीएसए कार्यालय संचालित भी हाेने लगा। जबकि नार्मल स्कूल का पुराना भवन भी बेसिक शिक्षा विभाग के ही अधीन अभी है।
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वहीं इस भवन के सामने मुख्य मार्ग पर एक दर्जन दुकानें बनी हैं। इसके ऊपर आधा दर्जन आवासीय निर्माण पुराने समय का था। जिला पंचायत ने इस पर अपना स्वामित्व बताते हुए ऊपरी तल के आवासीय भवनों को खाली करा लिया है। पिछले एक पखवाड़े से ऊपरी तल पर तोड़फोड़ का कार्य शुरू किया गया है। जिला पंचायत के अनुसार यह भवन भी काफी पुराना हो गया है। नीचे स्थित दुकान और ऊपर का आवासीय भवन जर्जर हो चुका है। इसके मरम्मत के लिए 25 लाख रुपये का प्रस्ताव पारित हुआ है।
आम चर्चा है कि जिला पंचायत अब ऊपर कामर्शियल निर्माण करने के फेर में हैं। नीचे की तरह ऊपरी तल पर दुकान बनने से इस भवन से आय का स्रोत बढ़ जाएगा। बताया जा रहा है कि भवन के भूतल पर स्थित दुकानदारों को पहले की तरह ही रहने दिया जाएगा। ऊपरी तल पर कामर्शियल निर्माण करके नए सिरे से आवंटन प्रक्रिया अपनाई जाएगी। जबकि पुराने किराएदारों में चर्चा है कि निर्माण कार्य पूर्ण होने के बाद आवंटन में उनको वरीयता मिलेगी।
समूचा भवन तोड़ने पर बीडीए कर सकता था अड़ंगा
आम चर्चा है कि जिला पंचायत और बीडीए भवन निर्माण को लेकर तकरार न बढ़े इसीलिए इस कामर्शियल भवन को पूरा नहीं ढहाया गया है। मरम्मत के नाम पर ऊपरी तल को ही केवल ढहाया गया है। अब यहां नए सिरे से दुकानों का निर्माण कर दिया जाएगा। जानकार बताते हैं कि यदि पहले से आवासीय निर्माण है तो उसे कामर्शियल में तब्दील करने के लिए मानचित्र स्वीकृति कराना जरूरी होता है। इसमें बीडीए एक्ट का पूरा पालन होना चाहिए। शायद इससे बचने के लिए ही जिला पंचायत ने मरम्मत के बहाने तोड़फोड़ कर नए सिरे निर्माण शुरू कराया है।
निजी भवनों हो जाते हैं सील
गांधीनगर के परवेज, दिनेश कुमार, राजकुमार आदि का कहना है कि मुख्य मार्ग के किनारे यदि निजी आवासीय भवन को समय बदलने के साथ कामर्शियल भवन में परिवर्तित करना है तो बीडीए से मानचित्र स्वीकृति कराना जरूरी होता है। निजी भवन मॉलिक यदि बगैर मानचित्र के भवन का स्वरूप बदलते हैं तो उसे सील कर दिया जाता है। इस तरह के कई मामले शहर में सामने आ चुके हैं। साल भर में लगभग एक दर्जन निर्माणाधीन भवन सील किए गए। बाद में जुर्माना देकर और मानचित्र स्वीकृति कराने के बाद ही निर्माण की अनुमति मिली।
बारी-बारी से सभी भवनों को दिया जा रहा नया स्वरूप
जिला पंचायत अध्यक्ष संजय चौधरी ने बताया कि जिला पंचायत के अधीन शहर की अचल संपत्तियों पर स्थित पुराने भवन को बारी- बारी से नया स्वरूप दिया जा रहा है। पुराना जिला पंचायत अध्यक्ष कार्यालय भी ढहाकर अब नई अत्याधुनिक तकनीक की बिल्डिंग तैयार की जा रही है। इसके अलावा विकास भवन के बगल और न्याय मार्ग के निकट स्थित कुछ पुराने दुकानों को मरम्मत करके नया कर दिया गया है। जिसका आवंटन भी अभी पिछले दिनों हुआ है। जिला पंचायत अपने आय के निजी स्रोत बना रहा है। ग्रामीण अंचल के विकास में भी जिला पंचायत अग्रणी भूमिका निभा रहा है। केवल रुधौली विधानसभा क्षेत्र में 70 करोड़ से अधिक लागत का विकास कार्य हुआ है। जिले भर में सौ से अधिक सड़कों का निर्माण जिला पंचायत ने कराया है। मेरे कार्यकाल पहले कभी भी जिला पंचायत में इतने विकास कार्य नहीं हुए।
कोट
बीएसए भवन के सामने जिला पंचायत के स्वामित्व में पुराने समय से बिल्डिंग है। जो काफी जर्जर अवस्था में हो गई थी। नीचे संचालित दुकानों में जर्जर भवन से हादसे का खतरा था। ऊपरी तल पर आवासीय भवन भी रहने लायक नहीं थे। इसीलिए उसे तोड़ करके नए सिरे से मरम्मत कार्य कराया जा रहा है।
-विजय कुमार वर्मा, अपर मुख्य अधिकारी, जिला पंचायत, बस्ती।