बस्ती जिले के मशरूम उत्पादकों को इस बार पिंक मशरूम के स्पान (बीज) वितरित किए जाएंगे। औद्यानिक प्रयोग एवं प्रशिक्षण केंद्र के मशरूम विभाग से बीज वितरित किए जाएंगे। पिंक मशरूम के स्पान आने के बाद जिले में चार प्रजाति के मशरूम पैदा किए जाएंगे। रंगीन होने के कारण यह बेहद आकर्षक लगता है।
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अब तक बटन, ढिंगरी व दूधिया प्रजाति के मशरूम उत्पादित किए जाते हैं, जो सफेद या मटमैले रंग के होते हैं। इस बार पिंक मशरूम के स्पान भी तैयार किए जाएंगे। गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय पंतनगर उत्तराखंड से उद्यान विभाग पिंक मशरूम कल्चर मंगवा रहा है।
मशरूम के विभागाध्यक्ष विवेक वर्मा बताते हैं कि कल्चर से स्पान तैयार करने में करीब 20 दिन का समय लगता है। इसके बाद तैयार स्पान उत्पादकों को वितरित किए जाएंगे। पिंक मशरूम देखने में काफी आकर्षक और स्वाद में बेहद लजीज होते हैं। बाजार में इसकी कीमत सफेद मशरूम से ज्यादा होती है। प्रति सौ ग्राम ताजे मशरूम में करीब 90.1 ग्राम जल, 2.1 ग्राम प्रोटीन, एक ग्राम वसा, 4.7 ग्राम कार्बोहाइड्रेट, ऊर्जा 36 ग्राम पाई जाती है।
तीन सौ से अधिक हैं उत्पादक
जिले में हर्रैया तहसील का हसीनाबाद और उभाएं क्षेत्र मशरूम उत्पादन का हब है। यहां उत्पादित मशरूम को आसपास के जिले के व्यापारी उत्पादन स्थल से ही खरीद लेते हैं। इससे उत्पादकों को बेचने के लिए अतिरिक्त श्रम नहीं करना पड़ता। कृषि विज्ञान केंद्र के फसल सुरक्षा वैज्ञानिक डॉ. आरवी सिंह बताते हैं कि सिर्फ हर्रैया क्षेत्र में 300 से 350 मशरूम उत्पादक हैं। इसके अलावा जिले के अन्य भागों में भी उत्पादन किया जा रहा है।
औद्योगिक प्रयोग एवं प्रशिक्षण केंद्र का मशरूम विभाग पूर्वांचल के कई जिलों के किसान व बेरोजगार युवाओं को प्रशिक्षण देता है। इनमें बस्ती सहित गोरखपुर, सिद्धार्थनगर, संतकबीरनगर, सुल्तानपुर, अंबेडकरनगर, अयोध्या, बाराबंकी, गोंडा, बलरामपुर, बहराइच आदि जिले के लोग शामिल हैं। विभागाध्यक्ष विवेक वर्मा बताते हैं कि चालू साल में अब तक करीब 231 लोग प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके हैं, जिसमें 46 महिलाएं शामिल हैं।