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जब तक दोषी जिंदा है, पूरा गांव शर्मिंदा है, पवन के डेथ ऑर्डर जारी होते ही ये बोले गांववाले

डिजिटल न्यूज डेस्क, अमर उजाला, गोरखपुर Published by: विजय जैन Updated Tue, 07 Jan 2020 08:19 PM IST
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nirbhaya case, after releasing death warrant of convicts by patiala house court villagers reaction
निर्भया का दोषी पवन गुप्ता। - फोटो : अमर उजाला
सात साल पहले दिल्ली की सड़कों पर चलती बस में निर्भया के साथ खौफनाक वारदात को अंजाम देने वाले छह दरिंदों में एक गोरखपुर जोन के बस्ती जिले का पवन गुप्ता उर्फ कालू भी शामिल है। 16 दिसंबर 2012 को जब चलती बस में छात्रा के साथ गैंगरेप हुआ, जब पवन गुप्ता उर्फ कालू भी अपने दोस्तों के साथ उसी बस में था। उसकी हरकत पर आज भी गांव के लोगों को यकीन नहीं होता। इसका जिक्र होते ही उनका सिर शर्म से झुक जाता है। पवन के डेथ आर्डर जारी होने पर गांववासी एकसुर में बोले-अच्छा हुआ, ये पहले ही होना चाहिए था।

 
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nirbhaya case - फोटो : अमर उजाला
निर्भया कांड का अभियुक्त पवन गुप्ता बस्ती जिले के जगन्नाथपुर का निवासी है। उसके परिवार के लोग तो दिल्ली के आरकेपुरम रविदास कैंप में रहते हैं, लेकिन यहां के लोग इन दिनों फांसी की चर्चा सुनकर सहम से गए हैं। पवन गुप्ता के बचपन के दोस्त और अन्य लड़के कहते हैं कि उसे क्रिकेट का बहुत शौक था। उसने महादेवा में नमकीन बनाने की फैक्ट्री खोली लेकिन वह चल नहीं पाई। इसके बाद वह दिल्ली चला गया और वहां जूस का व्यवसाय करने लगा।
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nirbhaya case - फोटो : सोशल मीडिया
पवन के पिता, दादी और बहन आदि परिवार के सदस्य आरकेपुरम इलाके के उसी संतरविदास कैंप में रहते थे। उसकी बहन और दादी ने 2017 में फांसी की सजा के बाद अदालत और कानून पर टिप्पणी की थी। दोनों का मानना था कि उन्हें न्याय पाने के लिए प्रयास करने का मौका नहीं दिया गया। पवन के चाचा भी दिल्ली में रहकर काम करते हैं। निर्भया कांड के बाद पवन की मां की मौत पर पिता एक बार अपने गांव जगन्नाथपुर आए थे, लेकिन वह क्रिया-कर्म के बाद लौट गए।
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Nirbhaya - फोटो : अमर उजाला
दो भाई व दो बहन में सबसे बड़ा पवन दुकानदारी के अलावा ग्रेजुएशन की पढ़ाई भी कर रहा था। पिता ने यहां लालगंज थाने के महादेवा चौराहे के पास गांव में भी जमीन ली थी और उस पर मकान बनवाना शुरू किया था, मगर 16 दिसंबर 2012 में हुए निर्भया कांड के बाद से काम ठप हो गया। मौजूदा समय वह खंडहर जैसा दिखता है। निचली अदालत ने 10 सितंबर 2013 में जब उसे फांसी की सजा सुनाई तो गांव में लोगों ने समर्थन किया लेकिन दादी ने उसके छूटने की बात की थी।
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nirbhaya case - फोटो : अमर उजाला
13 मार्च 2014 में हाईकोर्ट व 27 मार्च 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने मौत की सजा बरकरार रखी। अब दया याचिका को भी सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर परिवार की उम्मीदों पर पानी फेर दिया। आज दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने निर्भया केस के सभी दोषियों का डेथ वारंट जारी कर दिया है। दोषियों को 22 जनवरी की सुबह 7 बजे फांसी दी जाएगी। दोषियों को 14 दिन का वक्त मिला है। मुकेश, पवन, विनय और अक्षय को फांसी होगी। वहीं, दोषियों के वकील एपी सिंह ने कहा कि क्येरिटव याचिका दायर करेंगे।
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