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Kargil Vijay Diwas 2021: कारगिल शहीदों की यादों को अलग अंदाज से संजोए हैं जगदीश बिष्ट, बस यही है तमन्ना
संवाद न्यूज एजेंसी, नयागांव (पंजाब)
Published by: निवेदिता वर्मा
Updated Mon, 26 Jul 2021 11:39 AM IST
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कारगिल विजय दिवस 2021: नयागांव के जगदीश बिष्ट।
- फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
आज यानी 26 जुलाई को कारगिल युद्ध की 22वीं वर्षगांठ विजय दिवस के रूप में देशभर में मनाई जा रही है। 1999 में 18 हजार फीट की ऊंचाई पर कारगिल का युद्ध तकरीबन दो माह तक चला, जिसमें 527 वीर सैनिकों ने शहादत दी। वीर जवानों की शहादत पर पूरे देश को गर्व है लेकिन देश के प्रति प्रेम वर्दी पहनकर ही प्रदर्शित हो ऐसा जरूरी नहीं। देशभक्ति का जज्बा कुछ लोगों में जुनून बनकर धड़कता है। ऐसे ही हैं, जगदीश कुमार बिष्ट, जिनका सेना से तो कोई नाता नहीं, पर सैनिकों और शहीदों के प्रति उनका जुनून बेमिसाल है। जगदीश कुमार बिष्ट ने कारगिल युद्ध की तमाम यादों को संजोकर रखा है। कारगिल युद्ध के समय अखबारों में छपी खबरों और शहीदों से जुड़े तमाम फोटो 22 साल बाद भी उनके पास सुरक्षित हैं। वह भी सिर्फ देशभक्ति के जुनून के लिए। यह किसी सैनिक या सरकारी कर्मचारी की कहानी नहीं है। यह कहानी है उत्तराखंड टिहरी के मूल निवासी जगदीश कुमार बिष्ट की, जो फिलहाल नयागांव के सिंघा देवी कॉलोनी में रहते हैं।
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कारगिल विजय दिवस 2021
- फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
जगदीश ने बताया कि उन्होंने कारगिल युद्ध से संबंधित 480 फोटो की सात एलबम बनाकर रखी हुई हैं। जो उस समय अखबारों की सुर्खियां थीं। उन्होंने बताया कि वह अब तक इन फोटो की एलबम की देश के अलग-अलग स्थानों पर 9 बार प्रदर्शनी लगा चुके हैं। यही नहीं वह 2019 में सेक्टर 10 स्थित आर्ट म्यूजियम मे कारगिल विजय दिवस के उपलक्ष में भी प्रदर्शनी का हिस्सा बने चुके हैं। बिष्ट का कहना है कि वह पहले एक फोटोग्राफर थे, लेकिन अभी बच्चे अपना काम करते हैं।
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कारगिल विजय दिवस 2021
- फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
बिष्ट कहते हैं कि मेरी तमन्ना है कि मैंने जो दुर्लभ तस्वीरें संजोई हैं उनके जरिये लोगों में देशभक्ति की भावना पैदा कर सकूं। उन्होंने बताया कि कारगिल युद्ध में कुल 527 भारतीय जवान शहीद हुए थे। इनमें से 104 जवान उत्तराखंड के रहने वाले थे। शायद कई जवान ऐसे होंगे, जिनके घर वालों को भी नहीं पता होगा लेकिन मेरे पास पूरे 104 जवानों का फोटो के साथ पूरा ब्यौरा है।
कारगिल विजय दिवस 2021
- फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
जगदीश कुमार बिष्ट के परिवार से भारतीय सेना में कोई भी नहीं है, उनका सेना से सीधा कोई नाता नहीं है। उनका कहना है कि जब भारत-पाकिस्तान का बंटवारा हुआ था उस समय उनके पिता लाहौर में नौकरी करते थे। बंटवारे के कारण वह जिस ट्रेन से भारत वापस आ रहे थे उस ट्रेन को रास्ते में रोक कर कत्लेआम किया गया था।
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कारगिल विजय दिवस 2021
- फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
पूरी ट्रेन में उनके पिता सहित कुल 22 लोग ही जिंदा वापस आ पाए थे। जब बचपन में पिता जी यह कहानी सुनाते थे तो देश भक्ति का जज्बा उनके मन में भी होता था। जब कारगिल युद्ध हुआ, उस समय उन्होंने ठान लिया था कि वह कुछ ऐसा करेंगे जो सबसे अलग होगा। इसी जज्बे के कारण उन्होंने कारगिल युद्ध से जुड़ी यादों को संजो कर रखा हुआ है।