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UP: इंदौर से सीखा...कैसे शहर होगा साफ-सुथरा, तब आगरा ने बना पाई सबसे स्वच्छ 10 शहरों में जगह
अमर उजाला न्यूज नेटवर्क, आगरा
Published by: धीरेन्द्र सिंह
Updated Sat, 19 Jul 2025 09:51 AM IST
सार
स्वच्छता सर्वेक्षण में आगरा ने पूरे देश में 10वीं रैंक हासिल की है। ये सब संभव हो पाया उस कूड़े के पहाड़ को हटाने की वजह से, जो शहर की खूबसूरती पर दाग लगा रहा था। इतना ही नहीं कूड़े की प्रोसेसिंग से कमाई भी की और रैंक भी सुधारी।
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स्मार्ट सिटी आगरा
- फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
महज एक साल में 85वें स्थान से छलांग लगाकर देश के सबसे स्वच्छ 10 शहरों में आगरा शामिल हो गया। इसके पीछे बड़ी वजह कूड़े के पहाड़ों को खत्म करने के साथ ही इससे प्रोसेसिंग रही। इंदौर नगर निगम की तर्ज पर आगरा नगर निगम ने न केवल कचरे को निपटाया, बल्कि इससे कमाई भी की। स्वच्छ सर्वेक्षण में इस वजह से अच्छे अंक मिले, जिसका असर शहर की सफाई के साथ रैंकिंग पर पड़ा।

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आगरा सफाई कर्मचारी
- फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
नगर निगम के लिए यह गीला कचरा कमाई का बड़ा स्रोत है। इसके अलावा 100 टन गोबर से खाद बनाई जा रही है। करीब 10 टन कंपोस्ट खाद इससे बनाई जा रही है, जो नगर निगम के पार्कों और सड़कों के किनारे लगे पौधों में उपयोग की जा रही है। इसका कुछ हिस्सा बेचा भी जा रहा है, जिसका 50 फीसदी नगर निगम को मिल रहा है।
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स्मार्ट सिटी आगरा
- फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
प्लास्टिक दाने का निर्माण, खरीद रहीं कंपनियां
स्वच्छ सर्वेक्षण में कूड़े के पहाड़ खत्म होने के साथ कचरा निस्तारण को देखा गया। सबसे बड़ी मुसीबत प्लास्टिक कचरे की थी, जिसे प्लास्टिक दाना बनाकर और शू लास्ट के साथ सिंचाई के लिए प्लास्टिक पाइप बनाने में उपयोग किया जा रहा है। हर दिन पांच टन प्लास्टिक प्रोसेसिंग की जा रही है, जबकि 65 टन मैटेरियल रिकवरी फैसिलिटी में निकाली जा रही है। इससे नगर निगम को चार लाख रुपये की आय हो रही है। सुदेश यादव ने बताया कि भवन निर्माण के मलबे से पेवर, कर्व ब्लॉक बनाए जा रहे हैं। 20 टन क्षमता वाले प्लांट की क्षमता अब बढ़ाकर 150 टन की जा रही है।
स्वच्छ सर्वेक्षण में कूड़े के पहाड़ खत्म होने के साथ कचरा निस्तारण को देखा गया। सबसे बड़ी मुसीबत प्लास्टिक कचरे की थी, जिसे प्लास्टिक दाना बनाकर और शू लास्ट के साथ सिंचाई के लिए प्लास्टिक पाइप बनाने में उपयोग किया जा रहा है। हर दिन पांच टन प्लास्टिक प्रोसेसिंग की जा रही है, जबकि 65 टन मैटेरियल रिकवरी फैसिलिटी में निकाली जा रही है। इससे नगर निगम को चार लाख रुपये की आय हो रही है। सुदेश यादव ने बताया कि भवन निर्माण के मलबे से पेवर, कर्व ब्लॉक बनाए जा रहे हैं। 20 टन क्षमता वाले प्लांट की क्षमता अब बढ़ाकर 150 टन की जा रही है।

स्मार्ट सिटी आगरा
- फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
सितंबर 2026 में शुरू होगा कूड़े से बिजली बनाने का प्लांट
कूड़े से बिजली बनाने का प्लांट सितंबर 2026 में चालू हो जाएगा। तब आगरा की रैंकिंग में और सुधार होगा। टॉप-3 में आने के लिए कूड़े से बिजली बनाने के साथ इन प्लांटों का पूरी क्षमता के साथ संचालन जरूरी है। नगर निगम ने कुबेरपुर लैंडफिल साइट पर 72 एकड़ जमीन में से 47 एकड़ कचरे को निपटाकर खाली कराई है। इसमें से 11 एकड़ पर हरियाली की गई है, वहीं 10 एकड़ पर मियावाकी पद्धति से जंगल विकसित किया जा रहा है। बाकी जमीन खाद बनाने, ब्लॉक बनाने, सेनेटरी लैंडफिल साइट बनाने में उपयोग की गई है।
कूड़े से बिजली बनाने का प्लांट सितंबर 2026 में चालू हो जाएगा। तब आगरा की रैंकिंग में और सुधार होगा। टॉप-3 में आने के लिए कूड़े से बिजली बनाने के साथ इन प्लांटों का पूरी क्षमता के साथ संचालन जरूरी है। नगर निगम ने कुबेरपुर लैंडफिल साइट पर 72 एकड़ जमीन में से 47 एकड़ कचरे को निपटाकर खाली कराई है। इसमें से 11 एकड़ पर हरियाली की गई है, वहीं 10 एकड़ पर मियावाकी पद्धति से जंगल विकसित किया जा रहा है। बाकी जमीन खाद बनाने, ब्लॉक बनाने, सेनेटरी लैंडफिल साइट बनाने में उपयोग की गई है।
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स्मार्ट सिटी आगरा
- फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
इंदौर से यह सीखे सबक
- घरों से गीला और सूखा कूड़ा अलग-अलग लेना
- कूड़ा उठाने की डिजिटल मॉनिटरिंग, स्कैनिंग
- कूड़ा उठाने वाले वाहनों की जीपीएस लोकेशन
- कूड़े के पुराने पहाड़ों को प्रोसेसिंग के जरिये खत्म किया
- रोजाना आने वाले कचरे की प्रोसेसिंग कर खाद बनाई
- प्लास्टिक कचरे का इस्तेमाल सड़क, दाना बनाने में
- शहर में सड़कों पर, गलियों में बने डलावघर खत्म किए
- ट्रीटेड सीवर का इस्तेमाल पार्क के पौधों की सिंचाई में
- घर-घर में अलग-अलग कचरे के लिए डस्टबिन दिए
- घरों से गीला और सूखा कूड़ा अलग-अलग लेना
- कूड़ा उठाने की डिजिटल मॉनिटरिंग, स्कैनिंग
- कूड़ा उठाने वाले वाहनों की जीपीएस लोकेशन
- कूड़े के पुराने पहाड़ों को प्रोसेसिंग के जरिये खत्म किया
- रोजाना आने वाले कचरे की प्रोसेसिंग कर खाद बनाई
- प्लास्टिक कचरे का इस्तेमाल सड़क, दाना बनाने में
- शहर में सड़कों पर, गलियों में बने डलावघर खत्म किए
- ट्रीटेड सीवर का इस्तेमाल पार्क के पौधों की सिंचाई में
- घर-घर में अलग-अलग कचरे के लिए डस्टबिन दिए