ताजमहल के सेंट्रल टैंक पर सोमवार सुबह आठ बजे से फोटोग्राफर पहुंचे तो कोहरे में ताज दिखा नहीं। दोपहर तक इनमें से अधिकांश की बोहनी भी नहीं हुई। ताज की प्रसिद्ध डायना बेंच के पास अमर उजाला ने ताजमहल के फोटोग्राफरों से संवाद किया तो उन्होंने बताया कि कोरोना संक्रमण काल के 22 महीनों से वह रोजी-रोटी के लिए परेशान हैं। जब ताज बंद हुआ तो उन्हें व्यवसाय बदलना पड़ा। दोबारा ताज खुलने पर उम्मीद बंधी कि सरकार से भी कुछ राहत मिलेगी लेकिन कोरोना प्रोटोकॉल के नाम पर बंदिशें लगा दी गईं।
ताजनगरी में चार लाख लोगों को रोजगार देने वाले पर्यटन उद्योग पर कोरोना के बाद से छाए काले बादल छंटने का नाम नहीं ले रहे। चुनावी दौर में पर्यटन से जुड़े लोगों को उम्मीद थी कि चार लाख लोगों के वोट की खातिर पर्यटन और ताजमहल पार्टियों के एजेंडे में शामिल होगा, लेकिन न उनके दर्द पर मरहम की बात की गई न पर्यटन की पहचान ताजमहल का कोई जिक्र इस चुनाव में किसी दल ने किया है।
ताजनगरी में चार लाख लोगों को रोजगार देने वाले पर्यटन उद्योग पर कोरोना के बाद से छाए काले बादल छंटने का नाम नहीं ले रहे। चुनावी दौर में पर्यटन से जुड़े लोगों को उम्मीद थी कि चार लाख लोगों के वोट की खातिर पर्यटन और ताजमहल पार्टियों के एजेंडे में शामिल होगा, लेकिन न उनके दर्द पर मरहम की बात की गई न पर्यटन की पहचान ताजमहल का कोई जिक्र इस चुनाव में किसी दल ने किया है।