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UP: वैज्ञानिकों ने जाहिर की चिंता...तो आगरा एक बंजर रेगिस्तान बन जाएगा, एक तिहाई ही रह गया है ऑर्गेनिक कार्बन
डॉ. विचित्र सिंह, अमर उजाला नेटवर्क, आगरा
Published by: धीरेन्द्र सिंह
Updated Sun, 29 Sep 2024 03:14 PM IST
सार
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स्याल्दे में बंजर खेत। संवाद
ग्लोबल वार्मिंग का असर आगरा की मिट्टी पर भी पड़ने लगा है। तापमान लगातार बढ़ने से खेतों की मिट्टी से ऑर्गेनिक कार्बन, जिसे मिट्टी का खून कहा जाता है, घट रहा है। अधिक तापमान के कारण यह कार्बन डाई ऑक्साइड गैस में तब्दील होकर वायुमंडल में घुल जा रहा है। भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान, आगरा के वैज्ञानिकों ने इसको लेकर चिंता जाहिर की है। उनका आकलन है कि अगर यह सिलसिला जारी रहा तो आगामी 20 वर्षों में आगरा की भूमि रेगिस्तान में तब्दील हो जाएगी।
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बंजर होती भूमि
- फोटो : अमर उजाला
कृषि विभाग को भी मिल रहीं लगातार शिकायतें
जिला कृषि अधिकारी विनोद कुमार सिंह ने बताया कि उनके पास बड़ी संख्या में किसान आते हैं, जो कम उपज, पौधों के कमजोर तने, जड़ों और पौधों की धीमी विकास दर की समस्याओं की शिकायत करते हैं। ऐसी स्थिति में सबसे पहले उनके खेत की मिट्टी का परीक्षण कराया जाता है, जिसमें पोषक तत्वों की कमी पाई जा रही है।
जिला कृषि अधिकारी विनोद कुमार सिंह ने बताया कि उनके पास बड़ी संख्या में किसान आते हैं, जो कम उपज, पौधों के कमजोर तने, जड़ों और पौधों की धीमी विकास दर की समस्याओं की शिकायत करते हैं। ऐसी स्थिति में सबसे पहले उनके खेत की मिट्टी का परीक्षण कराया जाता है, जिसमें पोषक तत्वों की कमी पाई जा रही है।
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मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान
- फोटो : अमर उजाला
केस-1
बरौली अहीर ब्लॉक के नगला शीशिया के किसान हरिकांत ने हाल में मृदा परीक्षण लैब, आगरा में अपने खेत की मिट्टी की जांच कराई। इसमें पाया गया कि इनके खेत में नाइट्रोजन की स्थिति 110.25, पोटाश 235, फॉस्फोरस 40 प्रतिशत ही रह गया है। पोषक तत्वों की कमी के कारण इनको फसल की सही उपज नहीं मिल पा रही है।
केस-2
बिचपुरी ब्लॉक के पथौली गांव के किसान जितेंद्र सिंह ने मृदा परीक्षण लैब में अपने खेत की मिट्टी की जांच कराई। इसमें पाया गया कि मिट्टी में नाइट्रोजन तत्व महज 94.5, पोटाश 258 और फॉस्फोरस 54 प्रतिशत ही रह गया है। उनको भी खेती में परेशानी सामने आ रही है। फसल की सही पैदावार नहीं मिल पा रही है।
बरौली अहीर ब्लॉक के नगला शीशिया के किसान हरिकांत ने हाल में मृदा परीक्षण लैब, आगरा में अपने खेत की मिट्टी की जांच कराई। इसमें पाया गया कि इनके खेत में नाइट्रोजन की स्थिति 110.25, पोटाश 235, फॉस्फोरस 40 प्रतिशत ही रह गया है। पोषक तत्वों की कमी के कारण इनको फसल की सही उपज नहीं मिल पा रही है।
केस-2
बिचपुरी ब्लॉक के पथौली गांव के किसान जितेंद्र सिंह ने मृदा परीक्षण लैब में अपने खेत की मिट्टी की जांच कराई। इसमें पाया गया कि मिट्टी में नाइट्रोजन तत्व महज 94.5, पोटाश 258 और फॉस्फोरस 54 प्रतिशत ही रह गया है। उनको भी खेती में परेशानी सामने आ रही है। फसल की सही पैदावार नहीं मिल पा रही है।
बंजर होती भूमि
- फोटो : अमर उजाला
रिपोर्ट के आधार पर किसानों की दी जा रही सलाह
आगरा मंडल की मृदा परीक्षण/कल्चर लैब के सहायक निदेशक विकास सेठ ने बताया कि किसानों के खेत की मिट्टी की जांच के बाद लैब के प्रभारी डाॅ. ब्रजराज सिंह रिपोर्ट के आधार पर सलाह दे रहे हैं। किसानों को बताया जा रहा है कि वह अपने खेत में किस प्रकार के और कितनी मात्रा में रसायनों का प्रयोग करें।
ऑर्गेनिक कार्बन में कमी के दो प्रमुख कारण
1. रासायनिक खाद और कीटनाशकों का अधिक इस्तेमाल
2. तापमान में बढ़ोतरी से मिट्टी की नमी का खत्म होना
आगरा मंडल की मृदा परीक्षण/कल्चर लैब के सहायक निदेशक विकास सेठ ने बताया कि किसानों के खेत की मिट्टी की जांच के बाद लैब के प्रभारी डाॅ. ब्रजराज सिंह रिपोर्ट के आधार पर सलाह दे रहे हैं। किसानों को बताया जा रहा है कि वह अपने खेत में किस प्रकार के और कितनी मात्रा में रसायनों का प्रयोग करें।
ऑर्गेनिक कार्बन में कमी के दो प्रमुख कारण
1. रासायनिक खाद और कीटनाशकों का अधिक इस्तेमाल
2. तापमान में बढ़ोतरी से मिट्टी की नमी का खत्म होना
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बंजर होती भूमि
- फोटो : अमर उजाला
आगरा की मिट्टी में रसायनों की स्थिति
- ऑर्गेनिक कार्बन : 0.28% (आदर्श स्थिति : 0.71% या अधिक)
- पोटाश : 120 (आदर्श स्थिति : 280)
- नाइट्रोजन : 200 (आदर्श स्थिति : 500)
- फॉस्फोरस : 10 (आदर्श स्थिति : 20 या अधिक)
- ऑर्गेनिक कार्बन : 0.28% (आदर्श स्थिति : 0.71% या अधिक)
- पोटाश : 120 (आदर्श स्थिति : 280)
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- फॉस्फोरस : 10 (आदर्श स्थिति : 20 या अधिक)