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UP: पहले और अब की वो तस्वीरें...जिनकी वजह से स्वच्छता में टॉप-10 में आया आगरा, देश में हासिल की ये रैंक

अमर उजाला न्यूज नेटवर्क, आगरा Published by: धीरेन्द्र सिंह Updated Fri, 18 Jul 2025 10:01 AM IST
सार

स्वच्छता सर्वेक्षण में आगरा ने पूरे देश में 10वीं रैंक हासिल की है। ये सब संभव हो पाया उस कूड़े के पहाड़ को हटाने की वजह से, जो शहर की खूबसूरती पर दाग लगा रहा था। 

 

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Swachh survekshan 2025 garbage mountain was made to disappear then Agra came in the top-10
आगरा की तस्वीरें - फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
दस लाख से ज्यादा आबादी वाले शहरों में प्रदेश में दूसरा और देश में 10वां स्थान हासिल करने वाले आगरा नगर निगम ने बीते एक साल में कई काम मिशन मोड में किए। आगरा नगर निगम ने कुबेरपुर लैंंडफिल साइट से कूड़े का पहाड़ खत्म किया तो घरों से निकल रहे गीले कचरे से खाद बनाना शुरू किया। डलावघर खत्म करने के साथ वहां दोबारा कचरा न डाला जाए इसलिए सेल्फी प्वाइंट और पार्क बनाए गए। घर-घर से कचरा उठाने के साथ कुबेरपुर तक पहुंचाने वाले वाहनों में जीपीएस लगवाकर इनकी मॉनीटरिंग की गई ताकि कचरा उठाकर शहर में ही डंप न कर दिया जाए। इन कदमों ने आगरा को 85वें स्थान से देश में 10वें स्थान पर पहुंचाया।
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इन वजहों से आगरा की रैंकिंग में सुधार
कूड़े का निस्तारण कर विकसित किए पार्क
आगरा नगर निगम ने शहर का कचरा फेंकने के लिए कुबेरपुर में लैंडफिल साइट बनाई थी, जहां कूड़े का पहाड़ था। यहां स्वच्छ भारत मिशन के सह प्रभारी सुदेश यादव के निर्देशन में 20 लाख मीट्रिक टन कचरा खत्म कर लैंडफिल साइट की जमीन खाली कराई गई और कचरे के पहाड़ की जगह 15 एकड़ जमीन पर हरियाली विकसित कर पार्क बनाए गए हैं। दुर्गंध से भरी रहने वाली कुबेरपुर लैंडफिल साइट पर अब नगर निगम कर्मचारी ही योगासन के कार्यक्रम कर रहे हैं। स्वच्छ सर्वेक्षण में इससे अंक मिले और रैंक में सुधार हुआ।


 
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Swachh survekshan 2025 garbage mountain was made to disappear then Agra came in the top-10
कूड़े का पहाड़ - फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
गीले कचरे से बनाई जा रही खाद
आगरा में घर-घर से कचरा एकत्र करने के बाद गीले कचरे से अलग-अलग जगहों पर खाद बनाई जा रही है। ट्रांसफर स्टेशन से गीले कचरे और सूखे कचरे को अलग कर कुबेरपुर लैंडफिल साइट भेजा गया, जहां गीले कचरे और फूलों से खाद बनाई जा रही है, वहीं मैटेरियल रिकवरी फैसिलिटी के जरिये प्लास्टिक कचरा अलग करके उसे प्रोसेसिंग के लिए भेजा जा रहा है। शहर में हर दिन 800 मीट्रिक टन कचरा निकल रहा है, जिसमें से 500 मीट्रिक टन कचरे को प्रोसेस करने का दावा किया गया।

 
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बदल गई तस्वीर - फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
कूड़े से बिजली बनाने की तैयारी
कुबेरपुर लैंडफिल साइट पर 11.25 एकड़ जमीन कूड़े से बिजली बनाने के लिए स्पार्क ब्रासन कंपनी को दी गई है। इसकी बाउंड्री और लैंडफिल का काम किया जा रहा है। कचरे से आगरा में 15 मेगावाट तक बिजली का उत्पादन किया जाएगा। इससे न केवल कचरे के पहाड़ लैंडफिल साइट पर नहीं लगेंगे, बल्कि कचरे का हर दिन निपटारा भी हो जाएगा। इसी साल दिसंबर के अंत तक प्लांट को तैयार किया जा सकता है, जिसके बाद अगले साल से बिजली उत्पादन होने के आसार हैं। तीन साल पहले ही इस प्लांट को सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी मिल चुकी है।


 
Swachh survekshan 2025 garbage mountain was made to disappear then Agra came in the top-10
आगरा - फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
5-आर सेंटरों ने किया कचरे का उपयोग
स्वच्छ सर्वेक्षण में रैंक सुधरने की वजह 5-आर सेंटरों का निर्माण रहा, जहां रिफ्यूज, रिड्यूज, रीयूज, रिपेयर, रिसाइकिल के जरिये उन चीजों का इस्तेमाल किया गया जो अब तक कचरे में फेंकी जा रही थीं। इन सेंटरों से स्वयंसेवी संस्थाओं की महिलाओं को जोड़कर उन्हें रोजगार दिया गया। वहीं कबाड़ से कमाल की चीजों को बनाकर देशभर के पर्यटकों को लुभाया गया। शहर में जगह-जगह कबाड़ से कमाल कृतियां चौराहों, सड़कों के किनारे लगाई गई हैं। निगम की वर्कशॉप में लगातार उनसे निर्माण किया जा रहा है। इसका असर रैंकिंग पर पड़ा।

 
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आगरा - फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
डलावघर किए खत्म, बनाए सेल्फी प्वाइंट
आगरा को गार्बेज फ्री सिटी में 5 स्टार सर्टिफिकेट हासिल हुआ है। इससे 1100 अंकों का सीधा फायदा रैंकिंग में हुआ। जीएफसी मिशन में लगे सेनेटरी इंस्पेक्टर संजीव यादव ने बताया कि डलावघर खत्म कर उनकी जगह सेल्फी प्वाइंट और पार्क बनाए गए ताकि सड़कों के किनारे कचरा न दिखे। सेल्फी प्वाइंट बनने से लोगों ने वहां कचरा डालना बंद कर दिया। डलावघर न होने और नियमित सफाई का असर स्वच्छ सर्वेक्षण की रैंकिंग पर पड़ा। अगले साल इसमें और सुधार किया जाएगा।

 
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