सब्सक्राइब करें

यूपी चुनाव 2022: ताजनगरी को मिला गंगाजल, गांवों में वादों का छल, देहात में पानी के लिए जूझती है जिंदगानी

अमर उजाला ब्यूरो, आगरा Published by: मुकेश कुमार Updated Mon, 07 Feb 2022 11:04 AM IST
सार

एत्मादपुर क्षेत्र में 15 से ज्यादा गांवों में खारे पानी का संकट है। खंदौली ब्लॉक में पानी खारा है तो लोग पीने के लिए टैंकर से पानी खरीदते हैं। फतेहपुर सीकरी, बाह, खेरागढ़ क्षेत्र में भी पानी की समस्या बरकरार है। 

विज्ञापन
Water problem in the rural area of Agra
1 of 6
बाह में नदी से पानी लेकर आते हैं ग्रामीण - फोटो : अमर उजाला
loader
बुलंद दरवाजे की बुलंदी समेटे फतेहपुर सीकरी हो या तीन-तीन नदियों का क्षेत्र खेरागढ़ या फिर यमुना से सटा एत्मादपुर विधानसभा का इलाका। चुनाव में पानी के लिए आगरा के गांव-गांव के लोगों को नेताओं ने वादों का छल दिया, पर पानी नहीं दे पाए। आगरा शहर में तो बुलंदशहर के पालड़ा झाल से गंगाजल मिल गया, लेकिन ग्रामीण इलाका आज भी पानी के संकट से जूझ रहा है। 

पांच साल पहले वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में पानी के लिए गहरी बोरिंग कराकर, टंकियों के जरिये और नदियों में चेकडैम बनाकर पानी रोकने के वादे किए, लेकिन पांच साल में लोग इंतजार ही कर रहे हैं। इस बार भी नेताओं का सबसे पहला वादा पानी का संकट दूर कराने को लेकर है। अब उनसे 2024 तक का इंतजार करने को कहा जा रहा है, जब प्रधानमंत्री की हर घर को नल से जल योजना पूरी होने का लक्ष्य पूरा किया जाएगा। 
Trending Videos
Water problem in the rural area of Agra
2 of 6
फतेहपुर सीकरी में सूख पड़ा तेरहमोरी बांध - फोटो : अमर उजाला
सूखा तेरहमोरी बांध, 60 हजार लोग परेशान
437 साल पहले मुगल शहंशाह अकबर ने पानी की किल्लत के कारण फतेहपुर सीकरी को छोड़ दिया था। कभी सैकरिक्य यानी पानी से घिरे फतेहपुर सीकरी में हिरन मीनार के पीछे पानी की बड़ी झील थी, जहां राजस्थान से पानी आता था। साल 2010 में यहां बाढ़ के बाद पूरा क्षेत्र पानी से भर गया और तेरहमोरी बांध से पानी तेजी से निकलते देखा, पर उसके बाद यहां कभी पानी नहीं आया। राजस्थान से सटी सीमा के 25 गांवों के 60 हजार लोग पानी के संकट से जूझ रहे हैं। 

हर गांव में नहीं पहुंचा पानी
फतेहपुर सीकरी के ज्ञान सिंह कुशवाह बताते हैं कि जब तक नहर नहीं निकाली जाती, पानी नहीं मिल पाएगा। पिछले चुनाव में हर घर को पानी देने का वादा किया था, पर हर गांव को भी नहीं पहुंचा।
विज्ञापन
Water problem in the rural area of Agra
3 of 6
साइकिल पर डिब्बे टांगकर पानी लेने जाता युवक (फाइल) - फोटो : अमर उजाला
टैंकर से खरीदना पड़ रहा पानी
एत्मादपुर क्षेत्र में 15 से ज्यादा गांवों में खारे पानी का संकट है। खंदौली ब्लॉक में पानी खारा है तो लोग पीने के लिए टैंकर से पानी खरीदते हैं। पिपरिया, धरेरा, भवाइन, सवाई, नगला हंसराज आदि गांवों के लोगों को पीने के लिए पानी खरीदने की मजबूरी है। गांव के रिंकू राजपूत, प्रेम सिंह ने बताया कि पिछले विधानसभा चुनाव में नहरों की सफाई, गांव में पानी की टंकी लगाकर पानी देने और टीटीएसपी लगाकर पानी की दिक्कत दूर करने का वादा था, पर चुनाव बीता तो वादे भी भूल गए। 

ये कैसी डबल इंजन की सरकार
एत्मादपुर के नेत्रपाल ने कहा कि ये कैसी डबल इंजन की सरकार, जिसमें पानी के लिए कोई योजना नहीं बनाई। जैसे शहर में गंगाजल ला सकते हैं, वैसे हमें भी नहरों से पाइप लाइन बिछाकर पानी दे सकते हैं। 
 
Water problem in the rural area of Agra
4 of 6
अकोला में पानी की टंकी - फोटो : अमर उजाला
50 गांवों में खारे पानी की समस्या
आगरा ग्रामीण के 50 गांवों में खारे पानी की समस्या है। 20 साल से खारापन पानी में और ज्यादा बढ़ा तथा भूगर्भ जलस्तर और नीचे पहुंच गया। फ्लोराइड समेत कई चीजें पानी में कई गुनी मात्रा में पहुंची तो स्वास्थ्य की परेशानी शुरू हो गई। खारे पानी से अकोला, ऊधर, नगला परिमाल, नगला जयराम, बसावन, रामनगर, शंकरपुर, घड़ी हरदयाल, लालऊ, लाडम, मनकैंडा, नगला सूर, नगला श्याम, नगला सांवला, नगला कारे, खाल, खलऊआ, गडसानी, सुतैंडी, नगला हट्टी, घड़ी भूरिया, बरारा जूझ रहे हैं। 

छह साल में ही बंद हो गई टंकी
रामनगर के मूलचंद ने बताया कि 50 साल पहले टंकी बनी थी, जो 6 साल बाद बंद हो गई। तब से पानी की समस्या है। चुनाव में वादा करके गए थे कि टंकी बनवाएंगे और पानी दिलाएंगे। पांच साल बाद भी जैसे के तैसे हैं।
 
विज्ञापन
Water problem in the rural area of Agra
5 of 6
नदी से पानी लेकर आते हैं ग्रामीण - फोटो : अमर उजाला
पानी न मिला तो कर लिया पलायन
चंबल नदी से राजस्थान सरकार ने पाइप लाइन के जरिये गांव-गांव पानी पहुंचा दिया, लेकिन बाह में पानी लेने के लिए चंबल तक की दौड़ लगानी पड़ती है। यहां गुढ़ा, पुरा डाल, मऊ की मढै़या, गांव के विद्याराम, जय नारायण, रमेश चंद्र, फूलवती, कंठश्री, रेखा ने बताया कि पानी के लिए 800 मीटर तक पैदल चलते हैं। पूर्व प्रधान पुत्तू लाल ने बताया मऊ की मढै़या गांव की आबादी 900 से घटकर 100 के करीब रह गई है। मजबूरी में लोगों को पलायन करना पड़ा।

'वादों पर भरोसा करना गलती थी'
बाह के सुनील कुमार ने कहा कि पानी और सड़क न होने के कारण लोग गांव छोड़कर जा रहे हैं। इन गांवों में लगातार आबादी कम हो रही है। चुनावी वादों पर भरोसा करना हमारी गलती थी।
 
विज्ञापन
अगली फोटो गैलरी देखें

रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे|
Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.

विज्ञापन
विज्ञापन

एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें

Next Article

एप में पढ़ें

Followed