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UP Double Murder: 25 तारीखें, 12 गवाह... चार माह और छह दिन में सजा; दो बार चश्मदीद मां की गवाही; पूरा घटनाक्रम
अमर उजाला नेटवर्क, हाथरस
Published by: शाहरुख खान
Updated Thu, 29 May 2025 01:39 PM IST
सार
हाथरस डबल मर्डर में चार माह छह दिन में ही फैसला आ गया। 25 तारीखें और 12 गवाह कोर्ट में पेश हुए। घटना की इकलौती चश्मदीद वीरांगना की दो बार गवाही हुई थी।
हाथरस में दो मासूम बहनों की निर्मम हत्या के मामले में पुलिस ने न्यायालय में दाखिल आरोपपत्र में 22 गवाह बनाए थे। 25 तारीखें लगीं, घटना के चार माह छह दिन और आरोप तय होने दो माह बाद सजा सुना दी गई।
दो बच्चियों की हत्या के मामले में वादी वीरांगना खुद ही केस की चश्मदीद गवाह थीं। वीरांगना की केस सुनवाई के दौरान दो बार गवाही हुई थी। पहली गवाही में कुछ पहलू छूट जाने के बाद दूसरी गवाही कराए जाने के लिए धारा 311 में प्रार्थना पत्र दिया गया था।
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Hathras Murder Case
- फोटो : संवाद
इसके बाद दोबारा वीरांगना की गवाही हुई। उसकी गवाही ही मुख्य तौर पर सजा का आधार बनी। पड़ोसियों ने भी हत्या के अभियुक्तों के आने जाने की पुष्टि की। विकास और लल्लू के फोन की सीडीआर के आधार पर उनकी लोकेशन को ट्रेस करने के तकनीकी साक्ष्य पुलिस ने दिए, जिन्होंने केस को मजबूती प्रदान की।
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हाथरस में डबल मर्डर के बाद घटनास्थल पर फैला खून (फाइल फोटो)
- फोटो : संवाद
दुबई से मास्टरमाइंड को नहीं ला पाई है पुलिस
भूगोल प्रवक्ता छोटे लाल गौतम की दोनों बेटियों की हत्या में मास्टरमाइंड सोनेलाल गौतम ने दुबई से पूरे परिवार की हत्या की साजिश रची थी। वह अभी पुलिस की गिरफ्त से दूर है। पुलिस उसके प्रत्यर्पण की तैयारी में जुटी है। इस बारे में दूतावास के जरिये प्रक्रिया अपनाई जा रही है।
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मृतक बच्चियों की मां वीरांगना
- फोटो : संवाद
सुरक्षा के लिए अपने भाई के पास कानपुर चली गई थी वीरांगना
वीरागंना के भाई नबाव सिंह ने बताया कि दोनों भांजियों सृष्टि और विधि की हत्या के बाद वे अपनी बहन और बहनोई को मोहनपुर मजराई टर्रा थाना घाटमपुर जनपद कानपुर में ले गए। यहां उनकी जान को खतरा था। वीरांगना ने अपने भाई नवाब सिंह के साथ इस केस की पैरवी की है।
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वादी के अधिवक्ता यज्ञदत्त गौतम
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उन्होंने बताया कि कानपुर में एक प्लॉट, करीब 15 बीघा खेत हथियाने के लिए यह घटना की गई। उन्होंने यह भी बताया कि वीरांगना की जेठानी ने अपने तीन बेटों में से एक अंश को गोद लेने के भी दबाव बनाया था। कई बार कहा था कि उसे अपना वारिस बना लो। हाथरस ले जाओ और पढ़ाओ लिखाओ, लेकिन वीरांगना ने ऐसा करने से साफ इनकार कर दिया था।
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