साहस के आगे शारीरिक दिव्यांगता मायने नहीं रखती। यदि साहस और हौसला हो तो बड़े से बड़े धुरंधर सामने घुटने टेक देते हैं। ऐसा एक हाथ से दिव्यांग धर्मपाल उर्फ पांडेय जी ने करके दिखाया है। उनके हौसले को देख बैंक लूटने पहुंचे सात बदमाशों के चेहरे पर खौफ दिखा और दुम दबाकर भाग निकले।
लेकिन पांडेय जी यहीं पर नहीं रुके 48 वर्ष की उम्र में भी चीते से फुर्ती दिखाते हुए बदमाश के हाथ से बंदूक छीनकर उसे जमीन पर पटखनी देते हुए दबोच लिया। यह सब कुछ महज एक मिनट के अंदर हुआ। इसके बाद तो असलहों से लैस बदमाशों को देख मूकदर्शक बने लोगों में भी हौसला जाग सका।
यह किस्सा है कुर्रही गांव में बैंक लूटने पहुंचे बदमाशों पकड़वाने वाले बैंक के चतुर्थ श्रेणी कर्मी गांव निवासी धर्मपाल पांडेय का। कोर्रही की आर्यावर्त बैंक में धर्मपाल करीब 13 वर्ष से चतुर्थ श्रेणी कर्मी के पद पर हैं। धर्मपाल ने बताया कि रोज की तरह ही शाम करीब पांच बजे साहब लोग निकल कर कार में बैठ गए।
लेकिन पांडेय जी यहीं पर नहीं रुके 48 वर्ष की उम्र में भी चीते से फुर्ती दिखाते हुए बदमाश के हाथ से बंदूक छीनकर उसे जमीन पर पटखनी देते हुए दबोच लिया। यह सब कुछ महज एक मिनट के अंदर हुआ। इसके बाद तो असलहों से लैस बदमाशों को देख मूकदर्शक बने लोगों में भी हौसला जाग सका।
यह किस्सा है कुर्रही गांव में बैंक लूटने पहुंचे बदमाशों पकड़वाने वाले बैंक के चतुर्थ श्रेणी कर्मी गांव निवासी धर्मपाल पांडेय का। कोर्रही की आर्यावर्त बैंक में धर्मपाल करीब 13 वर्ष से चतुर्थ श्रेणी कर्मी के पद पर हैं। धर्मपाल ने बताया कि रोज की तरह ही शाम करीब पांच बजे साहब लोग निकल कर कार में बैठ गए।