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Indo-Pak War 1971: कानपुर की शान बने पाक को धूल चटाने वाले टी-55 टैंक, 14 किमी थी मारक क्षमता, देंखे तस्वीरें

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, कानपुर Published by: हिमांशु अवस्थी Updated Wed, 08 Feb 2023 12:30 AM IST
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Indo Pak War 1971, Kanpurs pride became the pride of Pakistan T 55 tank
टी-55 टैंक - फोटो : अमर उजाला

भारत-पाकिस्तान 1971 युद्ध के दौरान दुश्मनों को धूल चटाने वाले टी-55 टैंक कानपुर शहर की शान बन गए हैं। सेंट्रल आर्म्ड फाइट व्हीकल डिपो किरकी, पुणे से दो टी-55 टैंक मंगलवार सुबह शहर पहुंचे। उन्हें छावनी के शंख चौक और महात्मा गांधी पार्क के पास रखा गया है।



टैंक की मारक क्षमता 14 किलोमीटर थी और इसमें चार जवान बैठ सकते हैं। आजादी के अमृत महोत्सव और भारत-पाकिस्तान 1971 युद्ध के स्वर्ण जयंती कार्यक्रम के तहत इन्हें यहां पर लाया गया है। पांच दिन पहले पुणे से ये टैंक सड़क मार्ग से शहर के लिए रवाना हुए थे।

टी- 55 टैंक को भारतीय सीमा पर सजग प्रहरी के नाम से जाना जाता था। भारत और पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध में टैंक को पंजाब- राजस्थान बॉर्डर पर तैनात किया गया था। सोवियत संघ में निर्मित और 1966 में सेना में शामिल इन टैंक ने नैनाकोट, बसंतर और गरीबपुर में हुई लड़ाई में पाकिस्तान सेना को शिकस्त दी थी।

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टी-55 टैंक - फोटो : अमर उजाला

टैंक चौक नाम से जाने जाएंगे, सेल्फी भी ले सकेंगे
छावनी बोर्ड, सेना की जवानों की मदद से शंख चौक और महात्मा गांधी चौराहा के पास रखा गया है। आने वाले समय में इन चौराहों का नाम टैंक चौराहा किया जाएगा। जल्द ही इन स्थानों को और विकसित, रंग रोगन और सजाकर सेरेमनी कार्यक्रम किया जाएगा। कोई भी व्यक्ति इन टैंकों के साथ सेल्फी ले सकेगा।

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टी-55 टैंक - फोटो : अमर उजाला

टैंक की खासियत
टैंक की लंबाई 9 मीटर, चौड़ाई 3.7 मीटर है। ऊंचाई 2.40 मीटर है। इसका वजन करीब 36 हजार किलोग्राम है। इसमें लगी मुख्य गन 100 एमएमडी, 10 टी और माध्यमिक गन 12.5 एमएम मशीनगन भी लगी होती थी। साथ ही एंटी एयरक्राफ्ट गन भी लगती थी। इससे दुश्मनों के लड़ाकू विमानों को भी मार गिरा सकता था।

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टी-55 टैंक - फोटो : अमर उजाला

अब शहर में हो गए चार टैंक
कानपुर में अब चार टैंक हो गए हैं। इससे पहले 1971 के युद्ध में ही पाकिस्तानियों के हौसले पस्त करने वाला और देश में बना पहला युद्धक टैंक विजयंता एक जून 2020 को फील्डगन फैक्टरी के मुख्य द्वार पर स्मारक के तौर पर स्थापित किया गया था। यहां पर दो टैंक रखे गए थे।

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टी-55 टैंक - फोटो : अमर उजाला

विजयंता का निर्माण चेन्नई स्थित हैवी व्हीकल फैक्टरी अवाडी में किया गया था। यह टैंक 1963 में शुरू होकर 1965 में तैयार हुआ। शुरुआत में भारतीय सेना को 2200 टैंक दिए गए थे। इसकी मारक क्षमता 4000 मीटर व भार 39 टन था।

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