पुलवामा में हुए आतंकी हमले के दौरान शहीद रोहित के पार्थिव शरीर के पहुंचने तक भारी संख्या में लोग उनके घर पहुंच गए। इस दौरान मां और पत्नी कई बार रोते-रोते बेहोश हो गई। वहां मौजूद डाक्टरों की टीम ने उपचार किया। लोगों ने कई बार समझाने का प्रयास किया, लेकिन मां ने एक ही रट लगा कर रखी थी कि मेरे लाल को बुला दो।
डेरापुर कस्बे के आंबेडकर नगर निवासी शहीद रोहित यादव के शव के पहुंचने तक लोग बड़ी संख्या में लोग उनके घर पहुंच गए। जैसे ही शहीद के पार्थिव शरीर के आने की सूचना मिली, परिजनों की हालत बिगड़ती ही चली गई। इस दौरान कई बार मां विमला देवी व पत्नी वैष्णवी की हालत बिगड़ गई। मौके पर मौजूद स्वास्थ्य टीम को बुलाया गया।
दोनों का परीक्षण करने के बाद उनका इलाज किया गया। करीब एक बजे गार्ड ऑफ ऑनर देने के लिए असम राइफल के जवान पहुंचे। लोगों को ऐसा लगा कि रोहित का पार्थिव शरीर आ गया। सब लोग सड़क की ओर देखने लगे। बाद में बताया कि अभी शव आने में देर है। करीब एक बजे डीएम राकेश कुमार सिंह, एसपी राधेश्याम, एडीएम पंकज वर्मा आदि प्रशासनिक अधिकारी पहुंचे।
कस्बे के लोग शहीद रोहित के पार्थिव शरीर की एक झलक पाने को घरों के बाहर आकर खड़े हो गए। करीब 1:30 बजे जैसे ही शहीद का पार्थिव शरीर लगाया गया वैसे ही लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। वहां मौजूद महिलाओं सहित अन्य लोगों ने दहाड़ मारकर रोना शुरू कर दिया।
शहीद के को लेकर घर के बाहर रखा गया। बेटे का शव देख मां फफक-फफक कर रोने लगी। पत्नी रोते हुए शव के पास पहुंची तो ताबूत को खोलकर रोहित का चेहरा दिखाया तो वह लिपटकर रोने लगी। अंतिम विदाई की प्रक्रिया के बीच युवा वर्ग लगातार नारेबाजी करते हुए अपना दुख प्रकट करते रहे।