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यही रात अंतिम यही रात भारीः मुलायम परिवार की 'महाभारत' का सपा के गढ़ पर असर!

प्रशांत कुमार द्विवेदी, अमर उजाला, कानपुर Published by: प्रशांत कुमार Updated Sun, 28 Apr 2019 11:14 PM IST
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Mulayam stronghold challenge for alliance lok sabha elections 2019
मुलायम सिंह यादव, शिवपाल यादव, अखिलेश यादव व डिंपल यादव

चुनाव प्रचार थमने के बाद अब राजनीतिक दल अपनी-अपनी स्थिति और आने वाली सुबह का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। लेकिन आज की रात सभी दलों के लिए किसी निर्णायक रात से कम नहीं है। बात जब सूबे के सबसे बड़े सियासी परिवार की हो तो उसके साथ ही परिवार में लंबे अर्से से चल रही उथल-पुथल का भी जिक्र हो ही जाता है। यूपी की राजनीति में मुलायम परिवार का रसूख लंबे अर्से से जारी है।

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Mulayam stronghold challenge for alliance lok sabha elections 2019
मुलायम सिंह यादव

मुलायम के गढ़ इटावा में इस बार सियासी तापमान कुछ ज्यादा ही हाई है। पिछले लोकसभा चुनाव की बात करें तो इटावा, फर्रुखाबाद और कन्नौज में भाजपा ने सपा को तगड़ी शिकस्त दी थी और इन तीन सीटों में से दो पर जीत दर्ज की थी।

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Mulayam stronghold challenge for alliance lok sabha elections 2019
शिवपाल यादव

मुलायम के भाई शिवपाल और उनके भतीजों के बीच मचा बवाल भी थमने का नाम नहीं ले रहा है। अखिलेश से शिवपाल के रिश्ते तो सियासी गलियारों में जगजाहिर हैं, लेकिन रामगोपाल के बेटे अक्षय यादव और शिवपाल का आमने-सामने चुनाव लड़ना सपा के गढ़ पर क्या प्रभाव डालेगा ये आने वाला वक्त ही बताएगा।
 

Mulayam stronghold challenge for alliance lok sabha elections 2019
मुलायम सिंह यादव

तीसरे चरण के मतदान के बाद अक्षय यादव ने यहां तक कह डाला कि जिनके पास चुनाव लड़ने के पैसे नहीं हैं वो हेलीकॉप्टर से चुनावी जनसभा करने जा रहे हैं। इतना ही नहीं शिवपाल भी कई बार अपने भतीजों को नसीहत देते दिखे हैं। 
 

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Mulayam stronghold challenge for alliance lok sabha elections 2019
अखिलेश यादव व डिंपल यादव

जिस तरह से इटावा के समीकरण देखते हुए भाजपा ने कठेरिया पर भरोसा जताया है इसके कई सियासी मायने निकाले जा रहे हैं। बात अगर कन्नौज की करें तो भाजपा ने प्रचार के आखिर दिन पूरी ताकत लगा दी है। पिछले लोकसभा चुनाव में डिंपल ने जीत हासिल की थी लेकिन जीत का मार्जिन उतना नहीं था जितनी की पार्टी ने उम्मीद जताई थी। डिंपल की इस जीत पर भी भाजपा ने सवाल उठाते हुए इस लोकसभा चुनाव प्रचार में मुद्दा बनाया है। आने वाली सुबह मुलायम के गढ़ की क्या कहानी लिखेगी ये तो 23 मई को ही पता लगेगा। लेकिन सियासी समीकरण गड़बड़ाते जरूर दिख रहे हैं।

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