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पाकिस्तान की जेल में यातनाएं झेल 28 साल बाद कानपुर लौटे शमसुद्दीन, बीवी-बच्चों को देख सीने से लगाकर रोए
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, कानपुर
Published by: प्रभापुंज मिश्रा
Updated Mon, 16 Nov 2020 04:10 PM IST
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पत्नी और बच्चों को गले से लगाकर रोए शमसुद्दीन
- फोटो : amar ujala
आखिरकार 28 वर्षों के बाद शमसुद्दीन अपने गृह निवास कानपुर के कंघीमुहाल आए। कानूनी प्रक्रिया पूरी करने के बाद शमसुद्दीन को परिजनों से मिलाया गया। शमसुद्दीन अपनी बहन शबीना, भांजी इंशा, भतीजे अफवान, छोटू, मुस्तफा, मायरा से मिले। शमसुद्दीन 28 साल बाद अपने परिवारीजनों को देख फफककर रो पड़े।
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परिवार के साथ शमसुद्दीन
- फोटो : amar ujala
उनको इतने वर्षों के बाद देख परिवारीजन भी अपने आंसू रोक न सके। बहन ने शमसुद्दीन का माथा चूम हालचाल लिया। परिजनों से मिलने के बाद शमसुद्दीन को पुलिस अपने साथ पूछताछ के लिए ले गई। कानपुर के कंघीमोहाल निवासी शमसुद्दीन वर्ष 1992 में 90 दिन का वीजा लगवाकर अपने एक परिचित के साथ पाकिस्तान चले गए थे। वर्ष 1994 में पाकिस्तान की नागरिकता मिलने पर वहीं बस गए थे। कुछ सालों के बाद वर्ष 2012 में पाकिस्तान सरकार ने जासूसी का आरोप लगाकर उन्हें गिरफ्तार कर लिया था और करांची की लाडी जेल में बंद कर दिया था।
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पत्नी और बेटी के साथ शमसुद्दीन
- फोटो : amar ujala
आठ साल बाद रिहाई मिली तो उन्होंने अपने वतन की राह पकड़ी। पूरे 28 साल के बाद उनकी अपने वतन वापसी हुई और अमृतसर तक छोड़ा गया। कानपुर से उनके भाई मिलने के लिए अमृतसर गए और प्रशासन से जल्द घर भिजवाने की गुहार लगाई। सभी प्रशासनिक और सुरक्षा प्रक्रियाएं पूरी हाेने के बाद कानपुर पुलिस की टीम उन्हें लाने अमृतसर गई थी। दीपावली के दूसरे दिन पुलिस टीम शमसुद्दीन को लेकर शहर आ गई।
शमसुद्दीन का मालाओं से हुआ स्वागत
- फोटो : amar ujala
इस दौरान शमसुद्दीन की आंखों से आंसू बहने लगे, उन्होने कहा कि यह दीपावली उनके लिए जीवन भर यादगार रहेगी। इसके बाद पुलिस उन्हें कंघी मोहाल स्थित घर ले गई। शमसुद्दीन के आने को लेकर पहले ही मोहल्ले में लोग एकत्र थे। भीड़ ने उन्हें घेर लिया और फूल माला पहनाकर गले मिले। वर्षो बाद घर वापस आने की मुबारकबाद दी गई। घर में इंतजार कर रही बेटियां व परिवार के सदस्य शमसुद्दीन से गले मिलकर रोने लगे।
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कानपुर पहुंचे शमसुद्दीन
- फोटो : amar ujala
शमसुद्दीन ने बताया कि पाकिस्तान में भारतीयों के साथ बहुत बुरा बर्ताव होता है। उनके साथ दुश्मनों जैसा व्यवहार होता है। उन्होने कहा कि वीजा अवधि खत्म होने के बाद दोनों देशों में फसें लोगों को घर वापस जाने की सहूलियत दी जाए। उन्होने कहा कि दीपावली पर घर वापस आने का तोहफा मिला है इसे जिंदगी भर याद रखेंगे।
