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अश्वथामा के इस अद्भुत मंदिर में हो गया बड़ा कर्मकांड, जानिए तस्वीरों की जुबानी
टीम डिजिटल, अमर उजाला, कानपुर
Updated Mon, 10 Apr 2017 08:51 AM IST
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डेमो
कानपुर के नजदीक शिवराजपुर में पौरौणिक मंदिर खेरेश्वर धाम में बड़ा कर्मकांड हो गया। इस घटना से पूरा इलाका बिलबिला उठा है। दरअसल, इस मंदिर का पौराणिक महत्व है ही इतना बड़ा...
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शिवराजपुर खेरेश्वर धाम मंदिर
- फोटो : अमर उजाला, कानपुर
बता दें शिवराजपुर में पौरौणिक मंदिर खेरेश्वर धाम को शनिवार रात चोरों ने अपना निशाना बनाया है। यहां शिवलिंग पर चढ़े 11 किलो चांदी के अर्घे को चुराने का असफल प्रयास किया गया। इस मामले की पुलिस को जानकारी मिली तो जांच पड़ताल शुरू कर दी गई।
मंदिर के महंत ने पुलिस को बताया कि शनिवार रात लगभग 2 बजे 5 चोरों ने छेनी-हतौड़ी और अन्य यंत्रों से प्राचीन शिवलिंग के अर्घा पर चढ़ी करीब 11 किलो चांदी काटनी शुरू कर दी। आधी रात में मंदिर के अंदर शोर-शराबा सुनकर जागे कुछ भक्त और मंदिर के प्रमुख महंत सुरेंद्र पुरी चोरों को ललकारा तो सभी चोर एक-एक कर मंदिर के पिछले दरवाजे से भागने लगे। जब तक मंदिर परिसर में सो रहे अन्य कर्मी और भक्त कुछ समझ पाते तब तक सभी चोर अंधेरे का फायदा उठाकर गंगा नदी की ओर भाग निकले।
मंदिर महंत ने मामले की सूचना तत्काल 100 पुलिस कंट्रोलरूम को दी। सूचना के करीब 20 मिनट बाद करीब 2:30 बजे पुलिस मौके पर पहुंची और आसपास क्षेत्र में दबिश दी, लेकिन काफी देर तक खोजबीन के बाद भी चोरों का कोई सुराग हाथ नहीं लग सका।
मंदिर के महंत ने पुलिस को बताया कि शनिवार रात लगभग 2 बजे 5 चोरों ने छेनी-हतौड़ी और अन्य यंत्रों से प्राचीन शिवलिंग के अर्घा पर चढ़ी करीब 11 किलो चांदी काटनी शुरू कर दी। आधी रात में मंदिर के अंदर शोर-शराबा सुनकर जागे कुछ भक्त और मंदिर के प्रमुख महंत सुरेंद्र पुरी चोरों को ललकारा तो सभी चोर एक-एक कर मंदिर के पिछले दरवाजे से भागने लगे। जब तक मंदिर परिसर में सो रहे अन्य कर्मी और भक्त कुछ समझ पाते तब तक सभी चोर अंधेरे का फायदा उठाकर गंगा नदी की ओर भाग निकले।
मंदिर महंत ने मामले की सूचना तत्काल 100 पुलिस कंट्रोलरूम को दी। सूचना के करीब 20 मिनट बाद करीब 2:30 बजे पुलिस मौके पर पहुंची और आसपास क्षेत्र में दबिश दी, लेकिन काफी देर तक खोजबीन के बाद भी चोरों का कोई सुराग हाथ नहीं लग सका।
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शिवलिंग से चांदी का अर्घा चुराने की कोशिश
- फोटो : अमर उजाला, कानपुर
इसके बाद पुजारी से सीसीटीवी फुटेज मांगी गई तो उन्होंने कैमरा बंद होने की बात कही। स्थानिय लोगों ने इस पर सवाल उठाते हुए कहा मंदिर के पुजारी और उसके परिवार की नियत ठीक नहीं है। मंदिर में सीसीटीवी लगे हुए हैं जो हर समय मंदिर की निगरानी करते हैं तो फिर मंदिर का सीसीटीवी कल ही क्यों बंद हुई।
साथ ही लोगों ने यह भी बताया कि इस प्रकरण के बाद मंदिर के पुजारी ने चांदी का अर्घा उतार कर उसके स्थान पर तांबे का अर्घा लगाया है, आखिर तांबे का अर्घा एक ही रात में कहां से आ गया। इस पर स्थानिय लोगों ने कहा पुजारी ने तांबे का अर्घा पहले से तैयार कर रखा था। इस से साफ है पुजारी द्वारा ही ये प्रकरण गढ़ा गया है।
आपकी जानकीर के लिए बता दें ये वही मंदिर है जहां लोगों की मान्यता है कि रोज रात यहां आकर गुरू द्रोण के पुत्र अश्वथामा पूजा अर्चना करते है। अगली स्लाइड में जानिए इस मंदिर के पौराणिक महत्व के बारे में...
साथ ही लोगों ने यह भी बताया कि इस प्रकरण के बाद मंदिर के पुजारी ने चांदी का अर्घा उतार कर उसके स्थान पर तांबे का अर्घा लगाया है, आखिर तांबे का अर्घा एक ही रात में कहां से आ गया। इस पर स्थानिय लोगों ने कहा पुजारी ने तांबे का अर्घा पहले से तैयार कर रखा था। इस से साफ है पुजारी द्वारा ही ये प्रकरण गढ़ा गया है।
आपकी जानकीर के लिए बता दें ये वही मंदिर है जहां लोगों की मान्यता है कि रोज रात यहां आकर गुरू द्रोण के पुत्र अश्वथामा पूजा अर्चना करते है। अगली स्लाइड में जानिए इस मंदिर के पौराणिक महत्व के बारे में...
खेरेश्वर धाम का शिवलिंग
- फोटो : अमर उजाला
अश्वथामा रोज रात करते थे 'खरेश्वर धाम' में पूजा
औद्योगिक नगरी कानपुर से करीब 40 किलोमीटर दूर भगवान शंकर के नाम से ही बसा शिवराजपुर में खेरेश्वर धाम मंदिर है। यहां ऐसी मान्यता है कि भगवान शंकर का सबसे बड़ा और "अमर" भक्त अश्वथामा मंदिर में नित्य पूजा उपासना करता है। यहां रात बंद मंदिर कोई आकर पूजा करता है। सुबह शिवलिंग पर पूजन सामाग्री देख लोग अचंभित रह जाते हैं।
औद्योगिक नगरी कानपुर से करीब 40 किलोमीटर दूर भगवान शंकर के नाम से ही बसा शिवराजपुर में खेरेश्वर धाम मंदिर है। यहां ऐसी मान्यता है कि भगवान शंकर का सबसे बड़ा और "अमर" भक्त अश्वथामा मंदिर में नित्य पूजा उपासना करता है। यहां रात बंद मंदिर कोई आकर पूजा करता है। सुबह शिवलिंग पर पूजन सामाग्री देख लोग अचंभित रह जाते हैं।
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खेरेश्वर धाम मंदिर
पराक्रमी अश्वथामा गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र थे। अश्वथामा में 10 हज़ार हाथियों का बल था। मीलों में फैला शिवराजपुर क्षेत्र महाभारत काल का "अरण्य वन" क्षेत्र माना गया है, जहां गुरु द्रोणाचार्य का आश्रम था। यहीं उनके महा पराक्रमी पुत्र अश्वथामा का जन्म हुआ था।
ऐसे पड़ा 'खेरेश्वर' नाम
पहले शिवराजपुर का नाम "खोडी" फिर "खेड़ी" फिर "शिवखेरी" और उसके बाद "खेरे" रखा गया। खेरे के नाम पर ही यहां मौजूद ऐतिहासिक शिवमंदिर को खेरेश्वर धाम नाम दिया गया। कहा जाता है कि इस मंदिर में विराजमान भगवान शंकर के शिवलिंग की 5 दिनों तक लगातार पूजा अर्चना करने से अभीष्ट फल की प्राप्ति होती है।
महाभारत के समय भगवान कृष्ण ने अश्वथामा को श्राप दिया था जिसके बाद से वह मोक्ष के लिए भटक रहा हैं। लोगों की ऐसी मान्यता है कि आज भी अश्वथामा शिवराजपुरी के इसी मंदिर में भगवान शंकर की पूजा उपासना कर रहा है।
ऐसे पड़ा 'खेरेश्वर' नाम
पहले शिवराजपुर का नाम "खोडी" फिर "खेड़ी" फिर "शिवखेरी" और उसके बाद "खेरे" रखा गया। खेरे के नाम पर ही यहां मौजूद ऐतिहासिक शिवमंदिर को खेरेश्वर धाम नाम दिया गया। कहा जाता है कि इस मंदिर में विराजमान भगवान शंकर के शिवलिंग की 5 दिनों तक लगातार पूजा अर्चना करने से अभीष्ट फल की प्राप्ति होती है।
महाभारत के समय भगवान कृष्ण ने अश्वथामा को श्राप दिया था जिसके बाद से वह मोक्ष के लिए भटक रहा हैं। लोगों की ऐसी मान्यता है कि आज भी अश्वथामा शिवराजपुरी के इसी मंदिर में भगवान शंकर की पूजा उपासना कर रहा है।