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Vikas Dubey: सीबीआई की फोरेंसिक लैब भेजे गए विकास अमर और प्रभात के मोबाइल, हो सकता है बड़ा खुलासा

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, कानपुर Published by: प्रभापुंज मिश्रा Updated Thu, 04 Mar 2021 09:09 PM IST
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Vikas Dubey: Vikas Amar and Prabhat's mobiles sent To CBI's forensic lab
विकास दुबे कांड - फोटो : अमर उजाला
दहशतगर्द विकास दुबे, उसके गुर्गों अमर दुबे व प्रभात मिश्रा के बरामद मोबाइलों की जांच सीबीआई की फोरेंसिक लैब में कराई जाएगी। ताकि डाटा रिकवर कराने में किसी तरह की परेशानी न आए। फिलहाल मोबाइल लखनऊ फोरेंसिक लैब भेजे गए हैं।
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Vikas Dubey: Vikas Amar and Prabhat's mobiles sent To CBI's forensic lab
विकास दुबे कांड - फोटो : अमर उजाला
प्राथमिक जांच पूरी होने के बाद दिल्ली सीबीआई की लैब भेजे जाएंगे। वहीं बरामद असलहों की बैलिस्टिक जांच भी कराई जाएगी। इसके लिए आगरा फोरेंसिक टीम से संपर्क किया गया है। एसटीएफ ने एक सेमी ऑटोमेटिक राइफल, कारबाइन समेत सात असलहे बरामद किए थे।

 
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Vikas Dubey: Vikas Amar and Prabhat's mobiles sent To CBI's forensic lab
विकास दुबे कांड - फोटो : अमर उजाला
आरोपियों के पास से विकास, अमर और प्रभात के मोबाइल भी मिले थे। डीआईजी डॉ. प्रीतिंदर सिंह ने बताया कि ये तीनों मोबाइल फोरेंसिक लैब लखनऊ भेजे गए हैं। स्क्रीनिंक कराई जा रही है। डाटा ट्रांसफर के साथ रिकवर भी कराया जा रहा है। इसके बाद मोबाइलों को सीबीआई की लैब भेजा जाएगा। डीआईजी ने बताया कि जल्द ही मददगारों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाएगी। 

 
Vikas Dubey: Vikas Amar and Prabhat's mobiles sent To CBI's forensic lab
विकास दुबे कांड - फोटो : अमर उजाला
जय गुरुदेव के अनुयायी के कपड़े पहनकर फरार हुआ था विकास
एसटीएफ की जांच में एक और तथ्य सामने आया है। विकास दुबे व अन्य तीनों बदमाश कई घंटे रसूलाबाद में रामजी के घर रुके थे। रामजी के पिता जय गुरुदेव के अनुयायी हैं। विकास व अन्य दोनों ने उनके कुर्ते लेकर पहन लिए। इसके बाद बाइक व कार से बेखौफ होकर घूमते रहे।

 
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विकास दुबे कांड - फोटो : amar ujala
बता दें उत्तर प्रदेश के सबसे चर्चित बिकरू कांड के आठवें दिन भले ही विकास दुबे एनकाउंटर में मारा गया लेकिन इतनी बड़ी घटना को अंजाम देने के बाद उसका बचकर भाग निकलना रहस्य बन कर रह गया था। फरारी के समय वह कहां रहा, कैसे फरार हुआ आदि बातों का अबतक पता नहीं चलने से लोगों में तो जिज्ञासा थी ही लेकिन पुलिस की पड़ताल में यह अहम कड़ी छूट रही थी। एसटीएफ ने तीन दिन पहले ही इस कहानी का खुलासा किया था।
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