मूल रूप से बुलंदशहर के लुहारली गांव निवासी क्रिकेटर भुवनेश्वर कुमार के पिता किरनपाल पाल सिंह हमेशा सादा जीवन व्यतीत करते थे। वह भुवनेश्वर से अक्सर कहते थे, बेटा तू कहीं भी रहे, मेरा तो मेरठ में ही मन लगता है। इसी कारण वह अपने अंतिम समय तक मेरठ में ही रहे और अपने आवास पर अंतिम सांस ली।
मेरठ: भुवनेश्वर से हमेशा ये बात कहते थे पिता किरनपाल, दादा बनने के लिए थे उत्साहित, पैतृक गांव में हुआ अंतिम संस्कार
इसके बाद इंग्लैंड के डॉक्टरों के निर्देशन में इलाज शुरू हुआ। दिल्ली व नोएडा में उनकी कीमो थेरेपी पूरी हो गई थी। जिसके बाद वह खुद को ठीक महसूस कर रहे थे। गंभीर हालत में भी किरनपाल सिंह ने आईसीसी प्लेयर ऑफ द मंथ के लिए भुवी को वोट देने की अपील की थी। भुवी सर्वाधिक वोट पाकर प्लेयर ऑफ द मंथ चुने भी गए थे। इससे पिता बहुत खुश हुए थे। दो सप्ताह पहले उनकी हालत फिर खराब हो गई थी। उन्हें गंगानगर स्थित पास के ही अस्पताल में भर्ती कराया गया। हालत स्थिर रहने के कुछ दिन बाद मुजफ्फरनगर क्षेत्र के मसूरी स्थित अस्पताल में भर्ती कराया गया। लिवर की बीमारी के कारण उन्हें पीलिया और अन्य कई बीमारी ने चपेट में ले लिया, जिसके बाद डॉक्टरों ने जवाब दे दिया था।
पैतृक गांव में हुआ अंतिम संस्कार
किरनपाल सिंह की इच्छा के अनुसार उनके पार्थिव शरीर को गांव लुहारली ले जाया गया। गुरुवार शाम करीब 7:30 बजे भुवनेश्वर ने पिता को मुखाग्नि दी। अंतिम संस्कार के बाद भुवी, उनकी पत्नी नूपुर, बहन रेखा व बहनोई, माता इंद्रेश देवी और भुवी के ससुराल पक्ष के लोग गांव में ही रुक गए। तेरहवीं तक भुवी परिवार सहित गांव में ही रहेंगे।
कठोर परिश्रमी थे
भुवनेश्वर के पिता किरनपाल सिंह जी के निधन से मन व्यथित है। वह कठोर परिश्रमी, अनुशासित और अत्यंत सरल विनम्र व्यक्ति थे। भुवी की सफलता के पीछे उन्हीं का हाथ था। दुख की इस घड़ी में भुवी और उनके परिवार के साथ मेरी संवेदनाएं हैं। - राजेंद्र अग्रवाल, सांसद
भुवनेश्वर ने पत्रकार का तोड़ा कैमरा
भुवनेश्वर के पिता की मौत की सूचना मिलते ही मीडियाकर्मी भी उनके पैतृक गांव पहुंच गए। बताया गया कि इस दौरान भुवनेश्वर ने एक स्थानीय पत्रकार का डीएसएलआर कैमरा छीन कर जमीन पर दे मारा, जिससे वह टूट गया। वहीं किरनपाल सिंह की मौत की सूचना मिलने पर उनके पैतृक गांव में नेताओं का आना जाना शुरू हो गया। अंतिम संस्कार के बाद भाजपा के जिलाध्यक्ष अनिल सिसौदिया भी उनके गांव पहुंचे और परिजनों को ढांढस बंधाया।