दहशत में जिंदगी: मेरठ में पढ़ रहे अफगानिस्तान के छात्रों का छलका दर्द, सुनाई परिजनों की आपबीती
थोड़ी-बहुत हिंदी बोलने वाले बाजोरी ने अपने शहर का हाल सुनाते हुए बताया कि तालिबानियों ने उनके शहर के बाजार जला दिए हैं। रोटी का संकट खड़ा हो रहा है। वह परिवार से मोबाइल पर बात कर रहे हैं, जिस पर परिवार ने घर नहीं लौटने की बात कही है। तालिबानियों का अत्याचार बढ़ रहा है। वह घरों में अंदर घुस रहे हैं और प्रत्येक घर में आठ-दस लोगों को तीनों समय का खाना बनाकर देने का दबाव बना रहे हैं। खुद परिवार के लोग भूखे रह रहे हैं।
बल्ख शहर के नजीब उल्ला खां का कहना है कि घर पर सब बेबस हैं। फोन करते हैं तो तालिबानियों की बर्बरता के किस्से परिवार के लोग बताते हैं। इंसानियत शर्मसार हो रही है। अमेरिका के हटते ही बल्ख प्रांत पर तालिबानियों ने कब्जा कर बर्बरता शुरू कर दी थी।
हर व्यक्ति जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहा है। मन करता है कि परिवार के बीच पहुंच जाएं, लेकिन बेहद लाचार हैं। समनगान शहर के खेयरुद्दीन कहते हैं कि वह हिंदुस्तान में ही सुरक्षित हैं।
अफगानिस्तान के छात्रों का कहना है कि मीडिया और परिवार के जरिए तालिबानियों की क्रूरता के बातें सुन रहे हैं। पूरा देश बेहद मजबूर हो गया है। हमारे भविष्य का भी कुछ पता नहीं है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अफगानिस्तान को मदद मिलनी चाहिए, लेकिन अभी तक ऐसा कोई बहुत बड़ा प्रयास किसी देश की ओर से नहीं किया गया है। पूरा देश सहमा हुआ है।
कुंदुज के ही छात्र एत्तेहाद का कहना है कि कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि जिंदगी की सबसे मुश्किल घड़ी में वह परिवार के साथ नहीं होंगे। पूरे अफगानिस्तान के लिए वजूद का संकट खड़ा हो गया है। किसी की कोई सुनवाई नहीं हो रही है। हर तरफ आंसू, बेबसी और लाचारी है। परिवार सहमा हुआ है। महिलाएं और बच्चे भी सुरक्षित नहीं रह गए हैं। वह सोचकर ही डरे हुए हैं।
चल रही थी शादी की तैयारी
छात्र टीवी बाजोरी ने बताया कि उसकी शादी भी तय हो गई है। यहां से लौटते ही जुलेखा से निकाह होना था। अब वीडियो कॉल पर बात होती है। जुलेखा ने कहा कि यहां मत आना, हम तो घर में कैद हैं। बस यह राहत है कि अभी तक परिवार के सदस्य सुरक्षित हैं।