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आईएसआई एजेंट: ऑर्डनेंस फैक्टरी में रविंद्र को लेकर होती थी ऐसी चर्चा...अब साथी कर्मचारियों को सता रहा ये डर

संवाद न्यूज एजेंसी, फिरोजाबाद Published by: अरुन पाराशर Updated Sun, 16 Mar 2025 08:14 AM IST
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सार

पाकिस्तान खुफिया एजेंसी आईएसआई के लिए जासूसी के आरोप में पकड़े गए हजरतपुर स्थित ऑर्डनेंस फैक्टरी के चार्जमैन रविंद्र कुमार को लेकर साथी कर्मचारियों ने भी बड़ा खुलासा किया। रविंद्र सोशल मीडिया पर अधिक सक्रिय रहता था। इसको लेकर फैक्टरी में भी कई चर्चाएं होती थीं।

employees of Ordnance Factory are feeling fear after arresting of ISI agent Ravindra Kumar
जासूसी के आरोप में पकड़ा गया रविंद्र। - फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी

विस्तार
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फिरोजाबाद के हजरतपुर स्थित ऑर्डनेंस फैक्टरी के बाहर शनिवार को सन्नाटा पसरा दिखाई दिया। होली की छुट्टी होने के कारण अधिकांश स्टाफ अवकाश पर है। हालांकि सुरक्षा व्यवस्था सख्त कर दी गई है। कुछ कर्मचारी मौजूद थे, लेकिन वो बोलने से बचते रहे। घटनाक्रम से हैरान सभी हैं। दबी जुबां से उनका कहना है कि देश के साथ गद्दारी नहीं करनी चाहिए थी।
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टूंडला क्षेत्र के अन्तर्गत ऑर्डनेंस फैक्टरी का संचालन किया जा रहा है। यहां सेना के लिए पैराशूट, वर्दी भी तैयार की जाती है। रविंद्र कुमार का घटनाक्रम उजागर होने के बाद शनिवार को यहां तैनात सुरक्षा बल के जवान मुस्तैद दिखे। पूछताछ के बाद ही एंट्री दी जा रही थी। अधिकृत के अलावा बाहरी की एंट्री प्रतिबंधित रही।

 
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कर्मचारी हैरान, तरह-तरह की चर्चाएं
ऑर्डनेंस फैक्टरी का कर्मचारी जासूसी में पकड़े जाने पर कर्मचारियों में हैरानी है। कुछ कर्मचारियों ने बताया कि रविंद्र अधिकतर सोशल मीडिया पर सक्रिय रहता था। मोबाइल पर उसकी गतिविधियों से उसके किसी से प्रेम संबंध की चर्चाएं होती थीं। कर्मचारियों का कहना है कि इस घटना के बाद अब मोबाइल पर रोक लग सकती है। रविवार तक कर्मचारियों की छुट्टियां हैं। सोमवार के बाद ही बदलाव का पता चल सकेगा।

 

आरोपी से कई घंटे हुई पूछताछ
यूपी एटीएस ने आरोपी रविंद्र से घंटों पूछताछ की। उससे एक मोबाइल फोन, एक आधार कार्ड, वोटरकार्ड, एक पैनकार्ड, तीन डेबिट कार्ड, 6220 रुपये, मोबाइल फोन में पांच गोपनीय दस्तावेज बरामद किए हैं।

 

सेंडिंग के बाद डिलीट
रविंद्र कुमार ऑर्डनेंस फैक्टरी में चार्जमैन होने के कारण स्टोर का कार्य भी देखते थे। वह फैक्टरी के कई व्हाट्सएप ग्रुपों से भी जुड़े थे। इन ग्रुपों पर प्रोजेक्ट और प्रोडक्शन से संबंधित जानकारियां साझा की जाती थीं। आरोप है कि इनको भी वह एजेंट को भेज दिया करते थे। कई उपकरण भी स्टोर में तैयार होकर रखे जाते थे। आशंका है कि इनको भी उन्होंने भेजा होगा। व्हाट्सएप चैट देखने के बाद कई जानकारी एटीएस के हाथ लगी हैं। वह दस्तावेज और फोटोग्राफ भेजने के बाद डिलीट कर दिया करते थे। अब इनको फॉरेंसिक लैब के माध्यम से रिकवर करने का प्रयास किया जाएगा।

 
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