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UP: लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर रात 12 बजे के बाद क्यों हो रहे भयानक हादसे, सच्चाई हिला देगी...66 लोगों की हुई मौत
अमर उजाला न्यूज नेटवर्क, आगरा
Published by: धीरेन्द्र सिंह
Updated Thu, 06 Nov 2025 12:58 PM IST
सार
आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर सफर जानलेवा होता जा रहा है। सबसे ज्यादा हादसे रात 12 बजे के बाद हो रहे हैं। इसके पीछे की वजह आखिर क्या है, आइये बताते हैं...
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आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे
- फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
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विस्तार
आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर रात का सफर जानलेवा होता जा रहा है। रात 12 से सुबह 8 बजे के बीच सबसे ज्यादा हादसे हुए और लोगों की मौत हुई। जनवरी से सितंबर के बीच लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर कुल 1077 हादसे हुए। इनमें से 583 हादसे रात में और 494 हादसे दिन में हुए।
अगर रात 12 बजे से सुबह 8 बजे के बीच हादसे देखें तो यह सबसे ज्यादा थे। इस अंतराल में 66 लोगों की जान गई, जबकि बाकी समय में 28 मौतें हुईं। उत्तर प्रदेश एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीडा) की ओर से अधिवक्ता केसी जैन को उपलब्ध आंकड़ों में यह सच्चाई सामने आई है।
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अगर रात 12 बजे से सुबह 8 बजे के बीच हादसे देखें तो यह सबसे ज्यादा थे। इस अंतराल में 66 लोगों की जान गई, जबकि बाकी समय में 28 मौतें हुईं। उत्तर प्रदेश एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीडा) की ओर से अधिवक्ता केसी जैन को उपलब्ध आंकड़ों में यह सच्चाई सामने आई है।
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अधिवक्ता केसी जैन ने कहा कि रात में वाहनों की गति सीमा घटाई जाए। रात 8 बजे से सुबह 8 बजे तक कारों के लिए गति सीमा 120 किमी प्रति घंटा से घटाकर 75 किमी प्रति घंटा की जाए। यह परिवर्तन मोटर वाहन अधिनियम की धारा 112 (2) के अंतर्गत उत्तर प्रदेश शासन अधिसूचना जारी कर कर सकता है।
सरकार को निशुल्क डॉर्मेटरी व विश्राम स्थल उपलब्ध कराने होंगे। यह पेट्रोल पंपों, जन सुविधाओं और टोल प्लाजा के पास हों। सस्ती चाय व भोजन की सुविधा दी जाए। हर टोल प्लाजा व जनसुविधा केंद्र पर चमकते डिजिटल बोर्ड लगाए जाएं, जिन पर लिखा हो कि रात की नींद, मौत की नींद न बने।
यह हैं आंकड़ा
कारण कुल मौतें रात 12 से सुबह 8 बजे के बीच मौतें
नींद/झपकी 42 38
ओवरस्पीडिंग 21 13
अन्य कारण 27 15
कुल 94 मौतें 66 मौतें
(जनवरी से सितंबर 2025)
कारण कुल मौतें रात 12 से सुबह 8 बजे के बीच मौतें
नींद/झपकी 42 38
ओवरस्पीडिंग 21 13
अन्य कारण 27 15
कुल 94 मौतें 66 मौतें
(जनवरी से सितंबर 2025)
इन पर ध्यान देने की जरूरत
चालकों की नींद और झपकी - लंबे सफर में थकान से चालक नींद की गिरफ्त में आ जाते हैं।
तेज रफ्तार- रात में ट्रैफिक कम होने के कारण लोग 140-150 किमी. प्रतिघंटा तक गाड़ी दौड़ाते हैं।
लेन अनुशासन की कमी- धीमे और तेज वाहन एक ही लेन में चलते हैं, जिससे टकराव का जोखिम बढ़ता है।
सुविधाओं की अनुपलब्धता- रुकने, सोने या चाय पीने के लिए कोई सस्ती जगह नहीं।
अंधेरा और दृश्यता की कमी- खराब रोशनी और हाई-बीम का दुरुपयोग भी हादसों को आम बनाता है।
लंबा रास्ता- चालकों की एकाग्रता कम होती है।
चालकों की नींद और झपकी - लंबे सफर में थकान से चालक नींद की गिरफ्त में आ जाते हैं।
तेज रफ्तार- रात में ट्रैफिक कम होने के कारण लोग 140-150 किमी. प्रतिघंटा तक गाड़ी दौड़ाते हैं।
लेन अनुशासन की कमी- धीमे और तेज वाहन एक ही लेन में चलते हैं, जिससे टकराव का जोखिम बढ़ता है।
सुविधाओं की अनुपलब्धता- रुकने, सोने या चाय पीने के लिए कोई सस्ती जगह नहीं।
अंधेरा और दृश्यता की कमी- खराब रोशनी और हाई-बीम का दुरुपयोग भी हादसों को आम बनाता है।
लंबा रास्ता- चालकों की एकाग्रता कम होती है।
यमुना एक्सप्रेस-वे भी कम नहीं
आईआईटी दिल्ली की 29 अप्रैल 2019 की रोड सेफ्टी ऑडिट रिपोर्ट ने पहले ही आगाह कर दिया था कि रात 12 बजे से सुबह 6 बजे के बीच यमुना एक्सप्रेस-वे पर सबसे अधिक हादसे होते हैं। सितंबर 2012 से अगस्त 2018 के बीच यमुना एक्सप्रेस-वे पर हुए 272 जानलेवा हादसों में से 170 (63.23 प्रतिशत) रात 12 से सुबह 6 बजे के बीच हुए।
आईआईटी दिल्ली की 29 अप्रैल 2019 की रोड सेफ्टी ऑडिट रिपोर्ट ने पहले ही आगाह कर दिया था कि रात 12 बजे से सुबह 6 बजे के बीच यमुना एक्सप्रेस-वे पर सबसे अधिक हादसे होते हैं। सितंबर 2012 से अगस्त 2018 के बीच यमुना एक्सप्रेस-वे पर हुए 272 जानलेवा हादसों में से 170 (63.23 प्रतिशत) रात 12 से सुबह 6 बजे के बीच हुए।