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किसान भाई ध्यान दें: गेहूं की उपज में होगी 30 फीसद तक की वृद्धि, कृषि वैज्ञानिक ने बताया ये आसान तरीका
अमर उजाला न्यूज नेटवर्क, आगरा
Published by: आगरा ब्यूरो
Updated Thu, 27 Nov 2025 09:47 AM IST
सार
गेहूं की पैदावार बढ़ाने के लिए किसानों को बुवाई के 20–25 दिन बाद पहली सिंचाई करनी होगी। कृषि वैज्ञानिक ने बताया कि यही वह दौर है जब गेहूं में सबसे अधिक कुल्ले (टिलर) फूटते हैं, जो आगे चलकर सीधे उपज तय करते हैं।
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गेहूं की फसल। संवाद
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विस्तार
नवंबर में बोई गई गेहूं की फसल जब 20–25 दिन की अवस्था में पहुंचती है, तब यह उपज निर्धारण का सबसे महत्वपूर्ण समय होता है। कृषि विज्ञान केंद्र के शस्य वैज्ञानिक डॉ. अंकुर त्रिपाठी ने किसानों से इस अवस्था में पहली सिंचाई अवश्य करने की अपील की है।
शस्य वैज्ञानिक डॉ. अंकुर त्रिपाठी ने बताया कि यही वह दौर है जब गेहूं में सबसे अधिक कुल्ले (टिलर) फूटते हैं, जो आगे चलकर सीधे उपज तय करते हैं। कुल्ले फूटने की अवस्था गेहूं की बढ़वार का स्वर्णिम चरण होती है। इस समय दी गई हल्की सिंचाई कुल्लों की संख्या बढ़ाती है, जिससे अंतिम पैदावार में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज होती है। उन्होंने कहा कि समय पर पानी मिलने से पौधे मजबूत बनते हैं, जड़ें सक्रिय रहती हैं और दाने का आकार बेहतर बनता है।
वहीं, इस अवस्था में खरपतवार गेहूं से नमी, पोषक तत्व और धूप छीन लेते हैं। डॉ. अंकुर त्रिपाठी के अनुसार, समय रहते खरपतवार नियंत्रण न करने पर उपज में 25–30 प्रतिशत तक की गिरावट संभव है। इसलिए पहली सिंचाई के तुरंत बाद चौड़ी पत्ती व संकरी पत्ती वाले खरपतवारों की पहचान कर उपयुक्त दवा का छिड़काव करें। छिड़काव सुबह या शाम के समय करें, तेज हवा होने पर बिल्कुल नहीं करें। साथ ही खेत की नालियां साफ रखें ताकि पानी बराबर फैले और दवा प्रभावी रहे। अधिक जानकारी के लिए कृषि विज्ञान केंद्र पर संपर्क कर सकते हैं।
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शस्य वैज्ञानिक डॉ. अंकुर त्रिपाठी ने बताया कि यही वह दौर है जब गेहूं में सबसे अधिक कुल्ले (टिलर) फूटते हैं, जो आगे चलकर सीधे उपज तय करते हैं। कुल्ले फूटने की अवस्था गेहूं की बढ़वार का स्वर्णिम चरण होती है। इस समय दी गई हल्की सिंचाई कुल्लों की संख्या बढ़ाती है, जिससे अंतिम पैदावार में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज होती है। उन्होंने कहा कि समय पर पानी मिलने से पौधे मजबूत बनते हैं, जड़ें सक्रिय रहती हैं और दाने का आकार बेहतर बनता है।
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वहीं, इस अवस्था में खरपतवार गेहूं से नमी, पोषक तत्व और धूप छीन लेते हैं। डॉ. अंकुर त्रिपाठी के अनुसार, समय रहते खरपतवार नियंत्रण न करने पर उपज में 25–30 प्रतिशत तक की गिरावट संभव है। इसलिए पहली सिंचाई के तुरंत बाद चौड़ी पत्ती व संकरी पत्ती वाले खरपतवारों की पहचान कर उपयुक्त दवा का छिड़काव करें। छिड़काव सुबह या शाम के समय करें, तेज हवा होने पर बिल्कुल नहीं करें। साथ ही खेत की नालियां साफ रखें ताकि पानी बराबर फैले और दवा प्रभावी रहे। अधिक जानकारी के लिए कृषि विज्ञान केंद्र पर संपर्क कर सकते हैं।