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बेसमेंट हादसा: कल्लू बोले जि का भओ...और मलबे में दब गए, सुनाई रूह कंपा देने वाली दास्तान

संवाद न्यूज एजेंसी, आगरा Updated Tue, 23 Dec 2025 12:12 PM IST
सार

किसी की चीख सुनाई दी तो किसी की सिसकी की आवाज। वह दर्द से कराह रहे थे, घुटन महसूस हो रही थी। बाहर की चीख-पुकार सुनाई दे रही थी। गांव के लोगों ने मलबा हटाकर बाहर निकाला तो दर्दनाक मंजर सामने था।

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Basement accident: Ramendra Singh, a victim of the accident, narrated a heart-wrenching story.
बेसमेंट हादसा: रामेन्द्र सिंह ने सुनाई हादसे की दास्तान
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विस्तार
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आगरा के बाह के बिजकौली में बेसमेंट हादसे का शिकार हुए 58 साल के रामेंद्र सिंह सोमवार को अस्पताल से छुट्टी के बाद घर पहुंच गए। उन्होंने हादसे की रूह कंपा देने वाली दास्तान सुनाई। बोले कि बेसमेंट में ताश का खेल देखने के लिए 15 मिनट पहले ही बैठे थे। कल्लू दीवार की ओर मुंह किए था, इसलिए उसने दीवार को गिरते हुए देखा, वह चिल्लाया..... जि का भओ....वह खड़ा भी नहीं हो पाया था कि पलक झपकते ही सभी दीवार के मलबे के नीचे दब गए।
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किसी की चीख सुनाई दी तो किसी की सिसकी की आवाज। वह दर्द से कराह रहे थे, घुटन महसूस हो रही थी। बाहर की चीख-पुकार सुनाई दे रही थी। गांव के लोगों ने मलबा हटाकर बाहर निकाला तो दर्दनाक मंजर सामने था। लोग इलाज के लिए लेकर दौड़ पड़े, सीएचसी बाह पर भर्ती कराया। यहां से एसएन आगरा ले गए। इसके बाद निजी अस्पताल में ले गये, पैरों पर प्लास्टर चढ़ा दिया। सीने और रीढ़ की हड्डी के जख्म देख कर डॉक्टरों ने हाथ खड़े कर दिए। इसलिए छुट्टी कराकर घर आ गए।
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पति की मौत के सदमे में रात में बबली की हालत बिगड़ी
बटेश्वर के बिजकौली गांव में हुए बेसमेंट हादसे में रविवार को योगेश कुमार उर्फ योगेंद्र (45) की मौत हुई थी। पति की मौत के सदमे में रविवार की पत्नी बबली की हालत बिगड़ गई। घबराहट और बेचैनी होने पर परिजन ने बाह सीएचसी पर भर्ती कराया। पति की मौत से बबली सुधबुध खो बैठी है।उनको बेटी नेहा की शादी एवं बेटे रोहित की परवरिश की चिंता सताए जा रही है। सिसकते हुए उन्होंने बताया कि वे (पति) चाय कौ एक घूंट पीकें निकले थे, वह रोकती रह गई। कुछ ही देर में मलबे में दबने की सूचना मिली थी और आंखों के सामने ही सांसे थम गईं। बूढ़ी मां उमा देवी भी योगेश की मौत के सदमे में हैं। घर पर आने जाने वाले लोगों से पूछ उठती हैं कि बेटा घर कब आएगा? उनके सवाल के साथ ढांढ़स बंधाने वाले भी अपने आंसू नहीं हो पा रहे हैं।
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