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UP: महिलाओं के चेहरे पर इसलिए आ रहीं हल्की दाढ़ी-मूंछ, कहीं आप भी तो नहीं करती हैं ये गलतियां?
धर्मेंद्र त्यागी, अमर उजाला न्यूज नेटवर्क, आगरा
Published by: धीरेन्द्र सिंह
Updated Tue, 18 Feb 2025 07:58 AM IST
सार
एसएन मेडिकल कॉलेज के स्त्री रोग विभाग ने 220 महिलाओं पर शोध किया गया। इस शोध में महिलाओं के खून में 15 कीटनाशक मिले। इससे उनके हार्माेंस गड़बड़ाने से हल्की दाढ़ी-मूंछ उग आई हैं।
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- फोटो : Adobe stock
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विस्तार
डिब्बाबंद भोजन में रासायनिक तत्व और खेती में कीटनाशक का बढ़ता प्रयोग बीमारी की वजह बन रहा है। एसएन मेडिकल कॉलेज के स्त्री रोग विभाग के शोध में महिलाओं के खून में 15 कीटनाशक मिले हैं। इससे उनके हार्माेंस गड़बड़ाने से हल्की दाढ़ी-मूंछ उग आई हैं। मधुमेह, बांझपन और अवसाद की बीमारी भी बन गई।
स्त्री रोग विभाग की वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. रुचिका गर्ग ने बताया कि 18 से 30 साल की 220 महिलाओं पर सितंबर 2022 से मार्च 2024 तक शोध किया। इनमें 71.8 फीसदी शादीशुदा और 28.2 फीसदी अविवाहित हैं। ये 27 फीसदी उच्च वर्ग, 29 फीसदी मध्यम वर्ग और 44 फीसदी निम्न वर्ग की हैं। 54 फीसदी ग्रामीण और 46 फीसदी शहरी रहीं।
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स्त्री रोग विभाग की वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. रुचिका गर्ग ने बताया कि 18 से 30 साल की 220 महिलाओं पर सितंबर 2022 से मार्च 2024 तक शोध किया। इनमें 71.8 फीसदी शादीशुदा और 28.2 फीसदी अविवाहित हैं। ये 27 फीसदी उच्च वर्ग, 29 फीसदी मध्यम वर्ग और 44 फीसदी निम्न वर्ग की हैं। 54 फीसदी ग्रामीण और 46 फीसदी शहरी रहीं।
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इनके खून की विभिन्न चरणों में जांच कराने पर 15 कीटनाशकों की मात्रा अधिक मिली। इनमें 39.7 फीसदी महिलाओं में बांझपन और गर्भधारण करने में दिक्कत आ रही थी। मधुमेह थायराइड ही भी दिक्कत मिली। सरकार को कीटनाशक के प्रयोग और डिब्बाबंद सामग्री के लिए गाइडलाइन बनाने की मांग करते हुए रिपोर्ट भेज रहे हैं।
संतान में भी बीमारियों का खतरा
एसएन के स्त्री रोग विभागाध्यक्ष डॉ. रिचा सिंह ने बताया कि डिब्बाबंद, फास्ट फूड और खेती में कीटनाशकों के उपयोग से फसलों में भी इसका असर पहुंच रहा है। प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से ये शरीर में पहुंच रहा है। इससे महिलाओं के हार्माेंस भी प्रभावित हो रहे हैं। इसका दुष्प्रभाव उनके नवजात में भी मिल सकता है। लंबे समय तक कैंसर की भी वजह बन रहा है।
एसएन के स्त्री रोग विभागाध्यक्ष डॉ. रिचा सिंह ने बताया कि डिब्बाबंद, फास्ट फूड और खेती में कीटनाशकों के उपयोग से फसलों में भी इसका असर पहुंच रहा है। प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से ये शरीर में पहुंच रहा है। इससे महिलाओं के हार्माेंस भी प्रभावित हो रहे हैं। इसका दुष्प्रभाव उनके नवजात में भी मिल सकता है। लंबे समय तक कैंसर की भी वजह बन रहा है।
गंभीर बीमारियां भी बन गईं
शोध की सहयोगी डॉ. शैफाली सिंह ने बताया कि करीब दो साल तक महिलाओं की सेहत, लक्षण पर शोध किया। इनके रक्त की विभिन्न जांच कराईं। इनका फॉलोअप भी किया। इनमें 15 कीटनाशक की मात्रा अधिक मिली। इसके सेहत पर कई दुष्प्रभाव भी मिले। इलाज, काउंसिलिंग और पौष्टिक भोजन से इनकी सेहत में सुधार भी हुआ।
शोध की सहयोगी डॉ. शैफाली सिंह ने बताया कि करीब दो साल तक महिलाओं की सेहत, लक्षण पर शोध किया। इनके रक्त की विभिन्न जांच कराईं। इनका फॉलोअप भी किया। इनमें 15 कीटनाशक की मात्रा अधिक मिली। इसके सेहत पर कई दुष्प्रभाव भी मिले। इलाज, काउंसिलिंग और पौष्टिक भोजन से इनकी सेहत में सुधार भी हुआ।
ये मिली स्थिति
73.6 फीसदी में बाल झड़ना
72.7 फीसदी में मुहांसे
71.8 फीसदी में चिंता
60.9 फीसदी में मोटापा
43.6 फीसदी में अनचाहे बाल
37.3 फीसदी में अवसाद
19.3 फीसदी में मधुमेह
18.7 फीसदी में थायराइड
73.6 फीसदी में बाल झड़ना
72.7 फीसदी में मुहांसे
71.8 फीसदी में चिंता
60.9 फीसदी में मोटापा
43.6 फीसदी में अनचाहे बाल
37.3 फीसदी में अवसाद
19.3 फीसदी में मधुमेह
18.7 फीसदी में थायराइड
रक्त में ये मिले ये कीटनाशक:
अल्फा बीएचसी, बीटा बीएचसी, गामा बीएचसी, डेल्टा बीएचसी, एल्डि्रन, एंडि्रन, एंडि्रन एल्डेहाइड, हेप्टाक्लोर, हेप्टाक्लोर एपॉक्साइड, एंडि्रन एपॉक्साइड, डीडीटी(पीपीडीडीडी), डीडीटी(पीपीडीडीटी), डीडीई (पीपीडीडीई), मेथॉक्सीक्लोर, इंडोसल्फान सल्फेट।
अल्फा बीएचसी, बीटा बीएचसी, गामा बीएचसी, डेल्टा बीएचसी, एल्डि्रन, एंडि्रन, एंडि्रन एल्डेहाइड, हेप्टाक्लोर, हेप्टाक्लोर एपॉक्साइड, एंडि्रन एपॉक्साइड, डीडीटी(पीपीडीडीडी), डीडीटी(पीपीडीडीटी), डीडीई (पीपीडीडीई), मेथॉक्सीक्लोर, इंडोसल्फान सल्फेट।
केस एक: पंचकुइयां की 22 साल की युवती के हल्की मूंछें उग आईं। इससे उसकी शादी में परेशानी आने लगी। इससे युवती अवसाद का शिकार भी हो गई। एसएन में इलाज, काउंसिलिंग से उसकी हालत में सुधार हो रहा है।
केस दो: मथुरा की 28 साल की महिला को गर्भधारण करने में दिक्कत आ रही है। शादी के 6 साल में भी गर्भधारण नहीं कर पाईं। बांझपन की दिक्कत पर दिखाया। रक्त में कीटनाशक मिले। अभी इनका इलाज चल रहा है।
केस दो: मथुरा की 28 साल की महिला को गर्भधारण करने में दिक्कत आ रही है। शादी के 6 साल में भी गर्भधारण नहीं कर पाईं। बांझपन की दिक्कत पर दिखाया। रक्त में कीटनाशक मिले। अभी इनका इलाज चल रहा है।
ये दिए सुझाव:
- किसान जैविक खेती करें, कीटनाशक-रासायनिक खाद से बचें।
- डिब्बा बंद, फास्ट फूड भोजन से बचें, बाहर के भोजन से बचें।
- फल, सब्जी और दालों को अच्छी तरह से साफ करके उपयोग करें।
- व्यायाम, योग, ध्यान पर विशेष जोर दें, वजन न बढ़ने दें, फिट रहें।
- किसान जैविक खेती करें, कीटनाशक-रासायनिक खाद से बचें।
- डिब्बा बंद, फास्ट फूड भोजन से बचें, बाहर के भोजन से बचें।
- फल, सब्जी और दालों को अच्छी तरह से साफ करके उपयोग करें।
- व्यायाम, योग, ध्यान पर विशेष जोर दें, वजन न बढ़ने दें, फिट रहें।