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Chaitra Navratri 2025: अष्टमी पर आज, जानें कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त और मंत्र
अमर उजाला नेटवर्क, आगरा
Published by: धीरेन्द्र सिंह
Updated Sat, 05 Apr 2025 09:21 AM IST
सार
Chaitra Navratri 2025: नवरात्रि पर कन्या पूजन का विशेष महत्व होता है। बड़ी संख्या में श्रद्धालु अष्टमी का पूजन भी करते हैं। अष्टमी 5 अप्रैल को सुबह सात बजे तक है, लेकिन उदया तिथि के कारण ये पूरे दिन मान्य रहेगी।
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नवरात्रि
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विस्तार
चैत्र नवरात्रि की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को माता के आठवें स्वरूप महागौरी मां की पूजा की जाती है। भक्त कन्या-लांगुर पूजन के साथ माता की आराधना करते है। इस साल अष्टमी तिथि को सर्वार्थसिद्धि, लक्ष्मी नारायण, पंचग्रही जैसे कई राजयोग बन रहे है। इस अवधि में मां दुर्गा की पूजा करने से याचक को शुभ फलों की प्राप्ति हो सकती है।
ज्योतिषाचार्य आशिमा शर्मा ने बताया कि इस बार अष्टमी तिथि की शुरुआत 4 अप्रैल को रात 8 बजकर 12 मिनट पर और समापन 5 अप्रैल को रात 7 बजकर 26 मिनट पर है। उदया तिथि के मुताबिक अष्टमी 5 अप्रैल 2025 को शनिवार के दिन मनाई जाएगी। ऐसे में अष्टमी तिथि का पूजन करने वाले श्रद्धालुओं के लिए कन्या-लांगुर को भोजन कराने का शुभ मुहूर्त सुबह 11:05 से दोपहर 12:49 बजे तक रहेगा।
चैत्र नवरात्र पर 5 अप्रैल को नवमी तिथि रात 7:26 बजे से शुरु हो रही है और समापन 6 अप्रैल को रात 7: 22 बजे पर है। ऐसे में 6 अप्रैल को रामनवमी मनाई जाएगी। नवमी का पूजन करने वाले श्रद्धालुओं के लिए कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त सुबह 10:59 बजे से दोपहर 12:50 बजे तक है।
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ज्योतिषाचार्य आशिमा शर्मा ने बताया कि इस बार अष्टमी तिथि की शुरुआत 4 अप्रैल को रात 8 बजकर 12 मिनट पर और समापन 5 अप्रैल को रात 7 बजकर 26 मिनट पर है। उदया तिथि के मुताबिक अष्टमी 5 अप्रैल 2025 को शनिवार के दिन मनाई जाएगी। ऐसे में अष्टमी तिथि का पूजन करने वाले श्रद्धालुओं के लिए कन्या-लांगुर को भोजन कराने का शुभ मुहूर्त सुबह 11:05 से दोपहर 12:49 बजे तक रहेगा।
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चैत्र नवरात्र पर 5 अप्रैल को नवमी तिथि रात 7:26 बजे से शुरु हो रही है और समापन 6 अप्रैल को रात 7: 22 बजे पर है। ऐसे में 6 अप्रैल को रामनवमी मनाई जाएगी। नवमी का पूजन करने वाले श्रद्धालुओं के लिए कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त सुबह 10:59 बजे से दोपहर 12:50 बजे तक है।
कन्या पूजन मंत्र
स्तोत्र मंत्र:
"या देवी सर्वभूतेषु कन्या रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥"
ऊं श्री दुं दुर्गायै नम: ।।
स्तोत्र मंत्र:
"या देवी सर्वभूतेषु कन्या रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥"
ऊं श्री दुं दुर्गायै नम: ।।
अंबे जी की आरती
अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली,
तेरे ही गुण गावें भारती, ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती।
तेरे भक्त जनो पर माता भीर पड़ी है भारी।
दानव दल पर टूट पड़ो मां करके सिंह सवारी॥
सौ-सौ सिहों से बलशाली, है अष्ट भुजाओं वाली,
दुष्टों को तू ही ललकारती।
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती॥
माँ-बेटे का है इस जग में बड़ा ही निर्मल नाता।
पूत-कपूत सुने है पर ना माता सुनी कुमाता॥
सब पे करूणा दर्शाने वाली, अमृत बरसाने वाली,
दुखियों के दुखड़े निवारती।
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती॥
नहीं मांगते धन और दौलत, न चांदी न सोना।
हम तो मांगें तेरे चरणों में छोटा सा कोना॥
सबकी बिगड़ी बनाने वाली, लाज बचाने वाली,
सतियों के सत को संवारती।
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती॥
चरण शरण में खड़े तुम्हारी, ले पूजा की थाली।
वरद हस्त सर पर रख दो माँ संकट हरने वाली॥
माँ भर दो भक्ति रस प्याली, अष्ट भुजाओं वाली,
भक्तों के कारज तू ही सारती।
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती॥
अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली,
तेरे ही गुण गावें भारती, ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती।
तेरे भक्त जनो पर माता भीर पड़ी है भारी।
दानव दल पर टूट पड़ो मां करके सिंह सवारी॥
सौ-सौ सिहों से बलशाली, है अष्ट भुजाओं वाली,
दुष्टों को तू ही ललकारती।
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती॥
माँ-बेटे का है इस जग में बड़ा ही निर्मल नाता।
पूत-कपूत सुने है पर ना माता सुनी कुमाता॥
सब पे करूणा दर्शाने वाली, अमृत बरसाने वाली,
दुखियों के दुखड़े निवारती।
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती॥
नहीं मांगते धन और दौलत, न चांदी न सोना।
हम तो मांगें तेरे चरणों में छोटा सा कोना॥
सबकी बिगड़ी बनाने वाली, लाज बचाने वाली,
सतियों के सत को संवारती।
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती॥
चरण शरण में खड़े तुम्हारी, ले पूजा की थाली।
वरद हस्त सर पर रख दो माँ संकट हरने वाली॥
माँ भर दो भक्ति रस प्याली, अष्ट भुजाओं वाली,
भक्तों के कारज तू ही सारती।
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती॥