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अफसरों की मानेंगे योगी या विधायकों की
अफसरों की मानेंगे योगी या विधायकों की
Updated Wed, 26 Apr 2017 12:37 AM IST
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सीएम योगी आदित्यनाथ
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फतेहपुर सीकरी और सदर बाजार थाने में हुए बवाल मामले में मुख्यमंत्री महंत आदित्यनाथ योगी की परीक्षा होने जा रही है। उनके सामने धर्मसंकट यह है कि अपने अफसरों की बात को सही मानें या फिर अपने विधायकों की। दोनों ने अलग-अलग रिपोर्ट तैयार की है। अफसरों ने शासन को रिपोर्ट भेजी है, जो सीएम तक पहुंचनी तय है। विधायकों ने सीधे मुख्यमंत्री को ही रिपोर्ट भेज दी है।
पुलिस अफसरों ने जो रिपोर्ट भेजी है, उसमें पूरी गलती भाजपा और हिंदू संगठनों के नेताओं और कार्यकर्ताओं की है। पुलिस सूत्रों का कहना है कि रिपोर्ट में बताया गया है कि उन्होंने सीकरी में हिरासत में लिए गए आरोपियों को छुड़ाने के लिए सीओ को थप्पड़ जड़ दिया। वे थाने पर कब्जा करना चाहते थे। इसके चलते आरोपी सदर बाजार थाना भेजे गए। यह देख यहां हमला किया गया।
हवालात तोड़ने की कोशिश की गई। इसमें कामयाब नहीं हुए तो दरोगा की बाइक फूंककर रिवाल्वर लूट ली। इसके विपरीत भाजपा के सात विधायकों और सांसद राम शंकर कठेरिया ने हस्ताक्षर करके एक रिपोर्ट सीएम के नाम भेजी है।
भाजपा सूत्रों ने बताया कि इसमें सारी गलती पुलिस की बताई गई है। इसमें बताया गया है कि पुलिस ने ड्रामा किया है। पिटाई पुलिसवालों की नहीं, कार्यकर्ताओं की हुई है। कार्यकर्ताओं ने सिर्फ धरना प्रदर्शन किया। वह भी झूठे मुकदमे के खिलाफ। इसी पर पुलिस ने उन्हें बुरी तरह से पीटा। इसके बाद खुद ही वाहनों में तोड़फोड़ कर कार्यकर्ताओं को आरोपी बना दिया।
भाजपा नेताओं के निशाने पर सात अफसर
आगरा। भाजपा नेताओं ने अधिकारियों के ट्रांसफर के लिए दबाव बनाना शुरू कर दिया है। भाजपा सूत्रों की मानें तो सीएम से मिलकर सात अधिकारियों का नाम दिया जाना है। इनके तबादले की मांग की जाएगी। इनमें सीओ से लेकर आला अफसर तक शामिल हैं। देखना है कि सीएम इसे कितनी गंभीरता से लेते हैं?
बैकफुट पर आई पुलिस, तफ्तीश पर लगा ब्रेक
आगरा। पुलिस पर हमले के आरोपियों की हिमायत में भाजपा नेताओं के खुलकर सामने आ जाने के बाद पुलिस अफसर फिलहाल बैकफुट पर आ गए हैं। फरार आरोपियों की दबिश बंद कर दी गई। तफ्तीश पर भी ब्रेक लग गया है। पुलिस सूत्रों का तो यहां तक कहना है कि इस विषय पर मंगलवार को अधिकारियों की गोपनीय मीटिंग भी हुई। इसमें विचार विमर्श हुआ कि इस मुद्दे का हल कैसे निकाला जाए?
इसमें अधिकारी एकमत नहीं थे। कुछ का कहना था कि जैसा शासन से इशारा मिले, वैसी कार्रवाई की जाए। अगर शासन कहे कि मामला दबाना है, तो जांच सीबीसीआईडी को ट्रांसफर करा दी जाए, मामला अपने आप ठंडे बस्ते में चला जाएगा। दूसरा विचार यह भी था कि कार्रवाई जारी रखी जाए, अगर पुलिस झुकी तो इसका गलत संदेश जाएगा।
बता दें, शासन ने शुरू में कार्रवाई के लिए हरी झंडी दे दी थी लेकिन तब भाजपा नेता खामोश बैठे थे। अब स्थिति बदल गई है। अब कार्रवाई हुई तो संदेश यह जाएगा कि भाजपा के सांसद और विधायकों की बिल्कुल नहीं चल पाई। इसके चलते अधिकारियों ने फूंक फूंककर कदम रखने का फैसला लिया है।
हालांकि इस पर कोई अधिकारी बोलने के लिए तैयार नहीं है लेकिन पहले दिन नामजद किए गए आरोपियों के अलावा किसी और का नाम न खोले जाने से साफ लग रहा है कि पुलिस कहीं न कहीं दबाव में आ चुकी है।
वजीरपुरा कांड में झुक गई थी पुलिस
आगरा। डेढ़ साल पहले टोरंट की बिजली लाइन डाले जाने केदौरान वजीरपुरा में बवाल हुआ था। पुलिस पर हमला किया था। पुलिस वालों के सिर फूट गए थे। तब भी पुलिस ने संगीन धाराओं में केस दर्ज किया था। मौके से कांग्रेस के नेता हिरासत में लिए थे। कई अन्य लोग गिरफ्तार किए गए थे। तब सपा और कांग्रेस के नेता पुलिस के खिलाफ हो गए थे। बाद में पुलिस झुक गई थी। आरोपियों के पक्ष में कोर्ट में रिपोर्ट ( धारा 169) की भेजी गई थी। उनकी रिहाई हो गई थी। बाद में मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था।
75 में से 59 वाहन स्वामियों के नाम पते मिले
आगरा। सीकरी और सदर बाजार में बवाल के दौरान छूटे 75 वाहनों के बारे में आरटीओ ऑफिस ने पड़ताल करके पुलिस को रिपोर्ट भेज दी है। पुलिस सूत्रों ने बताया कि 59 वाहनों के मालिकों के नाम और पते आरटीओ से मिल गए हैं। पुलिस ने वाहनों के नंबर आरटीओ भेजे थे। अभी इन्हें आरोपी नहीं बनाया गया गया है। इनके बारे में पड़ताल की जा रही है कि ये लोग बवाल में शामिल रहे या किसी अन्य कारण से इनकी वहां पर मौजूदगी रही।

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पुलिस अफसरों ने जो रिपोर्ट भेजी है, उसमें पूरी गलती भाजपा और हिंदू संगठनों के नेताओं और कार्यकर्ताओं की है। पुलिस सूत्रों का कहना है कि रिपोर्ट में बताया गया है कि उन्होंने सीकरी में हिरासत में लिए गए आरोपियों को छुड़ाने के लिए सीओ को थप्पड़ जड़ दिया। वे थाने पर कब्जा करना चाहते थे। इसके चलते आरोपी सदर बाजार थाना भेजे गए। यह देख यहां हमला किया गया।
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हवालात तोड़ने की कोशिश की गई। इसमें कामयाब नहीं हुए तो दरोगा की बाइक फूंककर रिवाल्वर लूट ली। इसके विपरीत भाजपा के सात विधायकों और सांसद राम शंकर कठेरिया ने हस्ताक्षर करके एक रिपोर्ट सीएम के नाम भेजी है।
भाजपा सूत्रों ने बताया कि इसमें सारी गलती पुलिस की बताई गई है। इसमें बताया गया है कि पुलिस ने ड्रामा किया है। पिटाई पुलिसवालों की नहीं, कार्यकर्ताओं की हुई है। कार्यकर्ताओं ने सिर्फ धरना प्रदर्शन किया। वह भी झूठे मुकदमे के खिलाफ। इसी पर पुलिस ने उन्हें बुरी तरह से पीटा। इसके बाद खुद ही वाहनों में तोड़फोड़ कर कार्यकर्ताओं को आरोपी बना दिया।
भाजपा नेताओं के निशाने पर सात अफसर
आगरा। भाजपा नेताओं ने अधिकारियों के ट्रांसफर के लिए दबाव बनाना शुरू कर दिया है। भाजपा सूत्रों की मानें तो सीएम से मिलकर सात अधिकारियों का नाम दिया जाना है। इनके तबादले की मांग की जाएगी। इनमें सीओ से लेकर आला अफसर तक शामिल हैं। देखना है कि सीएम इसे कितनी गंभीरता से लेते हैं?
बैकफुट पर आई पुलिस, तफ्तीश पर लगा ब्रेक
आगरा। पुलिस पर हमले के आरोपियों की हिमायत में भाजपा नेताओं के खुलकर सामने आ जाने के बाद पुलिस अफसर फिलहाल बैकफुट पर आ गए हैं। फरार आरोपियों की दबिश बंद कर दी गई। तफ्तीश पर भी ब्रेक लग गया है। पुलिस सूत्रों का तो यहां तक कहना है कि इस विषय पर मंगलवार को अधिकारियों की गोपनीय मीटिंग भी हुई। इसमें विचार विमर्श हुआ कि इस मुद्दे का हल कैसे निकाला जाए?
इसमें अधिकारी एकमत नहीं थे। कुछ का कहना था कि जैसा शासन से इशारा मिले, वैसी कार्रवाई की जाए। अगर शासन कहे कि मामला दबाना है, तो जांच सीबीसीआईडी को ट्रांसफर करा दी जाए, मामला अपने आप ठंडे बस्ते में चला जाएगा। दूसरा विचार यह भी था कि कार्रवाई जारी रखी जाए, अगर पुलिस झुकी तो इसका गलत संदेश जाएगा।
बता दें, शासन ने शुरू में कार्रवाई के लिए हरी झंडी दे दी थी लेकिन तब भाजपा नेता खामोश बैठे थे। अब स्थिति बदल गई है। अब कार्रवाई हुई तो संदेश यह जाएगा कि भाजपा के सांसद और विधायकों की बिल्कुल नहीं चल पाई। इसके चलते अधिकारियों ने फूंक फूंककर कदम रखने का फैसला लिया है।
हालांकि इस पर कोई अधिकारी बोलने के लिए तैयार नहीं है लेकिन पहले दिन नामजद किए गए आरोपियों के अलावा किसी और का नाम न खोले जाने से साफ लग रहा है कि पुलिस कहीं न कहीं दबाव में आ चुकी है।
वजीरपुरा कांड में झुक गई थी पुलिस
आगरा। डेढ़ साल पहले टोरंट की बिजली लाइन डाले जाने केदौरान वजीरपुरा में बवाल हुआ था। पुलिस पर हमला किया था। पुलिस वालों के सिर फूट गए थे। तब भी पुलिस ने संगीन धाराओं में केस दर्ज किया था। मौके से कांग्रेस के नेता हिरासत में लिए थे। कई अन्य लोग गिरफ्तार किए गए थे। तब सपा और कांग्रेस के नेता पुलिस के खिलाफ हो गए थे। बाद में पुलिस झुक गई थी। आरोपियों के पक्ष में कोर्ट में रिपोर्ट ( धारा 169) की भेजी गई थी। उनकी रिहाई हो गई थी। बाद में मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था।
75 में से 59 वाहन स्वामियों के नाम पते मिले
आगरा। सीकरी और सदर बाजार में बवाल के दौरान छूटे 75 वाहनों के बारे में आरटीओ ऑफिस ने पड़ताल करके पुलिस को रिपोर्ट भेज दी है। पुलिस सूत्रों ने बताया कि 59 वाहनों के मालिकों के नाम और पते आरटीओ से मिल गए हैं। पुलिस ने वाहनों के नंबर आरटीओ भेजे थे। अभी इन्हें आरोपी नहीं बनाया गया गया है। इनके बारे में पड़ताल की जा रही है कि ये लोग बवाल में शामिल रहे या किसी अन्य कारण से इनकी वहां पर मौजूदगी रही।