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UP: साइबर गैंग तक पहुंचने के लिए खुद ठग बने पुलिसकर्मी, तब क्रैक हुआ सबसे बड़ा नेटवर्क; 32 गिरफ्तार
अमर उजाला न्यूज नेटवर्क, आगरा
Published by: धीरेन्द्र सिंह
Updated Tue, 16 Dec 2025 11:36 AM IST
सार
साइबर गैंग तक पहुंचने के लिए पुलिसकर्मी खुद ठग बन तस्दीक करने जाते थे, इसके बाद पुलिस ने इस गैंग का पर्दाफाश करते हुए 32 ठगों को गिरफ्तार किया।
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गिरफ्तार 32 साइबर ठगों के साथ पुलिस
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
कुछ वर्षों पहले हलवाई की दुकान चलाने वाला नितिन भगौर साइबर ठगी के गैंग से जुड़ने के बाद रातों -रात अमीर बन बैठा। खुद का सफेद कॉलर रखने के लिए उसने दुबई का वीजा लिया और वहां जाकर एक बोगस कंपनी मेडलर ग्लोबल एक्सीलेंस, मेडलर सर्विस ग्रुप बना ली। ठगी कर कमाए रुपयों को कंपनी की आय के रूप में दर्शाकर आराम की जिंदगी जी रहा था। देश में गैंग के सदस्यों से संपर्क रखने और नए सदस्यों को ट्रेंड करने की जिम्मेदारी उसने अपने साथी रवि को दी थी। दुबई में ठगी का सेंटर चलाने के लिए बीच-बीच में देश आकर ट्रेंड युवाओं को अपनी कंपनी के वीजा पर दुबई ले जाता था।
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32 साइबर अपराधियोें की पूरी बारात पकड़ने के लिए पुलिस को दो महीने तक मेहनत करनी पड़ी। एनसीआरबी पर दर्ज हुई एक शिकायत पर जांच करने के दौरान प्रतिबिंब एप पर पुलिस को साइबर ठगी में शामिल युवक का पता चला। उसने पूछताछ में पुलिस को बताया कि ताजगंज के गोबर चौकी क्षेत्र निवासी रवि राठौर और न्यू सुरक्षा विहार कॉलोनी के नितिन भगौर के लिए काम करता है। रवि के अपराध में शामिल होने की पुलिस को जल्द ही पुष्टि हो गई लेकिन नितिन तक पहुंचना मुश्किल था। नितिन अपने किसी नंबर,मेल और खाते का इस्तेमाल ठगी के लिए नहीं करता था। डार्क वेब और अन्य एप के माध्यम से ही कुछ खास लोगों से संपर्क करता था। पुलिस ने संदेह के घेरे में आए 200 से ज्यादा नंबरों और उनसे लिंक खातों के बारे में जांच शुरू की। एक संदिग्ध खाते से नितिन ने अपनी कंपनी के खाते में रकम ट्रांसफर कराई थी। इसके बाद पुलिस पूरी चेन पकड़ती चली गई। सोमवार को ताजगंज पुलिस ने ठगों के स्थानीय लीडर रवि राठौर को गिरफ्तार कर लिया है।
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रविवार को ताजगंज थाना पुलिस ने 24 साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया था। प्राथमिकी में सरगना नितिन समेत दस को नामजद किया था। पूछताछ में सामने आया है कि नितिन केे गैंग में हर तरह के साइबर अपराध करने वाले शामिल थे पर कोई एक दूसरे को सीधा नहीं जानते थे। पुलिस को आरोपियों ने बताया कि खाते बेचने वाले लोगों से गैंग के दो सदस्य मिलते थे। वहीं जनसेवा केंद्रों के संचालकों से बैंक खाते खोलने और सिम लेने के लिए दस्तावेज की खरीद करने की जिम्मेदारी अलग व्यक्ति की होती थी। जो भी काम में ट्रेंड हो जाता था। नितिन आगरा आकर उसका टेस्ट लेता था। अच्छे वेतन और कमीशन का लालच देकर कंपनी के वीजा पर दुबई ले जाता था। पुलिस को उसके माध्यम से कई लोगों को देश से बाहर ले जाने की पुष्टि हुई है।
साइबर ठगी का गैंग पकड़ने के दौरान कोई ऐसा व्यक्ति न फंस जाए जो खुद ठगों की साजिश का शिकार हुआ हो। इसलिए पुलिसकर्मी खुद साइबर अपराधी बन गैंग के लोगों से मिले थे। जनसेवा केंद्र संचालकों से बैंक एकाउंट खुलवाने के दस्तावेज मांगे गए तो खाते बेचने वालों से खुद खरीदार बनकर खातों के दाम पूछे गए।
एडीसीपी सिटी आदित्य कुमार ने बताया कि विदेश में बैठे अपराधी को रेड कार्नर नोटिस देने के लिए सीबीआई को रिपोर्ट दी जाएगी। आरोपी रवि राठौर से पुलिस को कई जानकारी मिली हैं। गैंग के अन्य सदस्यों की गिरफ्तारी के प्रयास किए जा रहे हैं।
